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बेलारूस एवं पोलैण्ड की सीमाओं पर लगे कंटीले तार के बीच आप्रवासी एवं शरणार्थी, 12.11.2021 बेलारूस एवं पोलैण्ड की सीमाओं पर लगे कंटीले तार के बीच आप्रवासी एवं शरणार्थी, 12.11.2021 

कार्डिनल होल्लरिच यूरोपीय संघ की सीमाएं कब्रिस्तान न बनें

बेलारूस की सीमाओं पर हजारों कमजोर आप्रवासियों के फँसे रहने तथा बेलारूस एवं यूरोपीय संघ के बीच राजनीतिक गतिरोध की पृष्ठभूमि में, काथलिक कलीसिया ने सभी से सद्भावना की अपील की है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

यूरोप, शुक्रवार, 12 नवम्बर 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): बेलारूस की सीमाओं पर हजारों कमजोर आप्रवासियों के फँसे रहने तथा बेलारूस एवं यूरोपीय संघ के बीच राजनीतिक गतिरोध की पृष्ठभूमि में, काथलिक कलीसिया ने सभी से सद्भावना की अपील की है। आप्रवासियों के साथ एकात्मता का आह्वान कर कलीसियाई नेताओं ने राजनीतिज्ञों से कहा है कि वे वार्ताओं द्वारा समस्या का हल ढूँढ़े तथा मानवीय गरिमा और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करें।

स्थिति निराशाजनक

यूरोपीय संघ के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के आयोग के अध्यक्ष कार्डिनल जाँ-क्लाऊड होल्लरिच ने यूरोपीय संघ तथा उसके सदस्य राष्ट्रों से अपील की है  कि वे बेलारूस के सीमा पर फँसे आप्रवासियों एवं शरण मांगनेवालों के प्रति सक्रिय एकात्मता दर्शायें जो शीत ऋतु के कारण घोर निराशा की परिस्थितियों से गुज़र रहे हैं।

यूरोपीय संघ का कहना है कि बेलारूस पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगने के बाद से वह जानबूझकर अफ़गानिस्तान, सिरिया एवं अफ्रीका के आप्रवासियों एवं शरणार्थियों को बेलारूस की सीमा को पार करने के लिये उकसा रहा है। इसी बीच, पोलैण्ड तथा लिथुआनिया ने अपनी सीमाओं पर आपात स्थिति की घोषणा कर दी है जहाँ से आप्रवासियों एवं शरणार्थियों को भगाये जाने का सिलसिला जारी है।   

वाटिकन रेडियो से बातचीत में कार्डिनल होल्लरिच ने ज़रूरतमन्द भाइयों के प्रति उदारता की अपील करते हुए कहा कि राजनैतिक मुद्दों के समाधान के लिये मानव व्यक्तियों को ढाल बनाना आदिपाप के सदृश है। उन्होंने कहा कि आप्रवास की चुनौतियों का समाना करने के लिये केवल अच्छे आप्रवास कानून ही पर्याप्त नहीं हैं, अपितु, जैसा कि सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है, आप्रवासियों का स्वागत-सत्कार किया जाये, उनकी सुरक्षा ध्यान रखा जाये तथा उनके एकीकरण का प्रयास किया जाये।

कार्डिनल महोदय ने कहा कि स्वतः के लिये और अपने अधिकारों की रक्षा के लिये ठोस कानून बना लेना महत्वपूर्ण है किन्तु ज़रूरतमन्दों के प्रति उदार रहना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, "हमें और अधिक उदारता तथा अन्यों को बेहतर जानने की इच्छा की आवश्यकता है। हमें खुले दिल और दिमाग की जरूरत है; हमें एक नए सांस्कृतिक संदर्भ की आवश्यकता है जो कम विभाजनकारी हो और दृष्टिकोणों का ध्रुवीकरण न करे। हमें साक्षात्कार की संस्कृति चाहिए। अगर हमारे पास वह है और अगर यूरोपीय संघ के नागरिकों की ऐसी संस्कृति है, तो राजनीति भी उसका पालन करेगी।" 

कलीसिया की भूमिका

कार्डिनल होल्लरिच ने कहा कि यूरेपीय संघ के सदस्य राष्ट्रों के बीच सन्तुलन बनाये रखने में काथलिक कलीसिया की भूमिका अहं है। काथलिक कलीसिया का दायित्व है कि वह आपसी समझदारी तथा सामान्य जनकल्याण को प्रोत्साहित करे। उन्होंने कहा कि कलीसिया मानवता में विशेषज्ञ है, जिसकी सामाजिक धर्मशिक्षा से मार्गदर्शन लिया जाना चाहिये।  

कार्डिनल ने कहा, "हमें सामान्य मानवीय सिद्धांतों पर एकजुट होने की जरूरत है, और हमें बुनियादी नैतिक सिद्धांतों पर वापस आने की जरूरत है, जिन्हें यूरोपीय संघ में राजनीतिक और सामाजिक नेताओं द्वारा साझा किया जाना चाहिए।"

इस बात पर कार्डिनल होल्लरिच ने बल दिया कि आप्रवासी केवल कोई संख्या नहीं हैं, वे पूर्ण सम्मान, मूलभूत अधिकारों तथा मानव गिरमा सहित व्यक्ति हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के प्रति उदासीनता का रवैया रहा तो यूरोप की सीमाओं पर एक विशाल क्रबस्तान बनने का ख़तरा है।

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12 November 2021, 11:56