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केरल के ख्रीस्तीय केरल के ख्रीस्तीय 

भारतीय धर्माध्यक्षों ने काथलिकों को बदनाम करनेवाले नाटक पर प्रतिबंध लगाने की मांग की

केरल धर्माध्यक्षीय फोरम का कहना है कि मलयालम नाटक 'कक्कुकली' कॉन्वेंट के बारे में गलत धारणाएँ फैलाता है और ख्रीस्तीय धर्म का मजाक उड़ाता है। दक्षिण भारत के केरल राज्य में काथलिक धर्माध्यक्षों ने एक नाटक के मंचन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है, जिसमें कहा गया है कि वह कलीसिया का मजाक उड़ाता है और कॉन्वेंट और धार्मिक जीवन को भ्रामक तरीके से चित्रित करता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

केरल के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल बेसेलियोस क्लेमिस ने मांग की है कि मलयालम नाटक, कक्कुकली, केरल में बहु-धार्मिक समाज के "सांस्कृतिक ताने-बाने" को परेशान कर सकता है और सरकार को इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

कार्डिनल क्लेमिस ने कहा कि नाटक काथलिक धार्मिक जीवन का अपमान करता है और ख्रीस्तीय धर्म और इसकी परंपराओं को नीचा दिखाता करता है।

नाटक, जिसका शीर्षक राज्य में लड़कियों द्वारा खेले जानेवाले एक खेल से लिया गया है, एक युवा महिला की अग्नि परीक्षा को चित्रित करता है जो अपने पिता, एक कट्टर कम्युनिस्ट की इच्छाओं के खिलाफ धर्मबहन बनने का विकल्प चुनती है।

9 मार्च को धर्माध्यक्ष परिषद के पदाधिकारियों की एक आपात बैठक के बाद जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसमें नाटक की सामग्री और ख्रीस्तीय समुदाय के लिए इसके निहितार्थों पर विस्तार से चर्चा की गई।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह नाटक ख्रीस्तीय धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है और केरल के सांस्कृतिक जीवन का अपमान है, जहाँ विभिन्न धार्मिक समुदाय शांति और सद्भाव से रहते हैं।

हालाँकि, राज्य के कम्युनिस्ट शासकों ने नाटक का समर्थन किया है, जिसे 5 से 14 फरवरी तक राज्य द्वारा आयोजित केरल के अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच महोत्सव में शामिल किया गया था।

राज्य सरकार ने नाटक पर प्रतिबंध लगाने की कलीसिया की मांग का अभी तक जवाब नहीं दिया है, लेकिन अखिल भारतीय युवा संघ, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की युवा शाखा, ने राज्य भर में नाटक के मंचन का खुलकर समर्थन किया है।

महासंघ ने कहा, "इस तरह के हस्तक्षेप [कलीसिया द्वारा] केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर घुसपैठ के रूप में माना जाएगा।"

नाटक के निर्देशक जॉब मेडाथिल ने मीडिया को बताया कि इसे वापस लेने का कोई सवाल ही नहीं है और अब तक 15 शो सफलतापूर्वक मंचित किए जा चुके हैं।

केरल के धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के जीवन समर्थक क्षण के एक अधिकारी, फादर जेकब जी पलक्कप्पिल्ली ने कहा कि किसी को भी धार्मिक समुदाय का अपमान करने या उपहास करने का अधिकार नहीं है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इस तरह के कृत्यों को उचित नहीं ठहराया जा सकता।

उन्होंने 13 मार्च को ऊका न्यूज को बताया, “नाटक, धर्मबहनों और पुरोहितों के जीवन पर सवाल उठाता है जो समाज के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं। यह इतिहास को भी विकृत करता है और काथलिक धर्म में विशेष रूप से धर्मबहनों को बहुत खराब रूप से चित्रित करता है।"

फादर पलकप्पल्ली ने आगे राज्य और नाटक के पीछे के लोगों को यह याद दिलाने की कोशिश की कि वे जिन पुरुषों और महिलाओं का मजाक उड़ा रहे हैं, वे ही हैं जो समाज द्वारा उपेक्षित और परित्यक्त लोगों की देखभाल कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि "राज्य को उन सेवाओं को नहीं भूलना चाहिए जिनको वे समाज के लिए अर्पित करते हैं।"

केरल में ख्रीस्तीयों का तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय है, जो इसके 33 मिलियन से अधिक लोगों में से 18 प्रतिशत है।

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14 मार्च 2023, 16:35