खोज

संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना ˸ पूर्वाग्रह से ऊपर उठें एवं दूसरों के जीवन के सहभागी बनें

संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों को निमंत्रण दिया कि वे पूर्वाग्रह एवं दूसरों के जीवन में सहभागी होने के डर से ऊपर उठें तथा येसु के उदाहरण पर चलें जो हमारे घावों को अपने ऊपर लेते एवं हमारे जीवन को चंगा करते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 15 फरवरी 21 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 14 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

दो परिवर्तन

आज का सुसमाचार पाठ (मार.1,40-45) येसु एवं एक कोढ़ी व्यक्ति के बीच मुलाकात को प्रस्तुत करता है। कोढी व्यक्तियों को अशुद्ध माना जाता था और नियम के अनुसार उन्हें शहर के केंद्र से दूर रहना था। वे हर प्रकार के मानवीय, सामाजिक एवं धार्मिक संबंधों से वंचित थे : उदाहरण के लिए, वे सभागृह में, मंदिर में धार्मिक रूप से भी प्रवेश नहीं कर सकते थे। जबकि येसु उस व्यक्ति को निकट आने देते और वे उसके इतने निकट आ जाते हैं कि अपना हाथ फैला कर उसे छू सकते हैं। ऐसा करना उस समय सोच के परे था। इस तरह वे सुसमाचार जिसकी घोषणा कर रहे थे उसे पूरा करते हैं।

संक्रमित होने से न डरें

संत पापा ने कहा, "येसु हमारे जीवन के करीब आते हैं, वे दया से द्रवित हो जाते हैं, घायल मानवता के भाग्य के कारण वे हर प्रकार के घेरे को तोड़ने के लिए आते हैं जो हमें उनके साथ, दूसरों के साथ एवं अपने आपसे संबंध जोड़ने से रोकता है। वे नजदीक आते हैं। संत पापा ने तीन शब्दों को याद रखने के लिए कहा, "नजदीकी, दयालुता और कोमलता।" सुसमाचार कहता है कि कोढी को देखकर येसु दया से द्रवित हो गये। इस घटना में हम दो परिवर्तनों को देखते हैं, परिवर्तन जिसमें कोढी येसु के निकट आता है जो ऐसा नहीं कर सकता था, और येसु दया से द्रवित होकर उसे चंगा करने के लिए कोमलता से उसका स्पर्श करते हैं- जिसको वे भी नहीं कर सकते थे। दोनों में परिवर्तन होता हैं। इस प्रकार दो परिवर्तन हैं।  

कोढ़ी का परिवर्तन

नियम निर्धारण के बावजूद वह अपने एकाकी से बाहर निकला और येसु के पास आया। उसकी बीमारी को ईश्वर का दण्ड माना जा रहा था किन्तु येसु में उसने ईश्वर के दूसरे चेहरे को देखा कि ईश्वर सजा नहीं देते बल्कि करुणामय एवं प्रेमी पिता है जो पापों से मुक्त करते एवं अपनी करुणा से हमें कभी वंचित नहीं होने देते। इस तरह वह व्यक्ति अपने अकेलेपन से बाहर निकला क्योंकि येसु में उसने पाया कि ईश्वर उनके दुःख बांटते हैं। येसु का व्यवहार उसे आकर्षित किया, उसे अपने आप से बाहर निकलने और अपनी दुखद कहानी के साथ अपने आपको सिपूर्द करने के लिए प्रेरित किया।

पुरोहितों द्वारा सहायता

संत पापा ने पापस्वीकार संस्कार में पुरोहितों की याद करते हुए कहा, "और मैं यहाँ उन अच्छे पापमोचक पुरोहितों की याद करता हूँ जिनमें लोगों को आकर्षित करने की क्षमता है। कई लोग हैं जो महसूस करते हैं कि वे कुछ नहीं हैं, पाप के कारण अपने आपको जमीन पर पड़ा हुआ पाते हैं ऐसे लोगों को कोमलता एवं सहानुभूति के साथ अच्छे पापमोचक, जिनके हाथों में कोड़े नहीं होते, स्वागत करते, सुनते एवं कहते हैं कि ईश्वर भले हैं, वे हमेशा क्षमा करते हैं, ईश्वर क्षमा करने से कभी नहीं थकते। आज मैं इस प्राँगण में आप सभी से आग्रह करता हूँ कि उन दयालु पुरोहितों के लिए ताली बजायें।"

येसु का परिवर्तन

नियम के अनुसार जब कोढी का स्पर्श करना मना था, वे आगे बढ़ते हैं, अपना हाथ बढ़ाते एवं उसका स्पर्श करते हैं। कोई कह सकता है कि उन्होंने पाप किया, उन्होंने नियम के विरूद्ध काम किया। किन्तु संत पापा ने कहा कि वे परिवर्तन लानेवाले हैं, वे सचमुच बदलाव लानेवाले हैं, वे शब्दों तक सीमित नहीं रहे बल्कि उनका स्पर्श किया। स्नेह से उसका स्पर्श किया ताकि संबंध स्थापित हो, एकता में बढ़े, एक-दूसरे के जीवन में प्रवेश करें, उस हद तक कि वे एक-दूसरे के दुःख को समझ सकें। इस भाव से येसु ने प्रकट किया कि ईश्वर जो उदासीन नहीं हैं वे अपने आपको एक सुरक्षित दूरी में नहीं रखते बल्कि करुणा से नजदीक आते और हमारे जीवन का स्पर्श करते हैं कि हमें चंगा करें। ये ईश्वर के तरीके हैं ˸ नजदीकी, सहानुभूति और कोमलता। ईश्वर का बदलाव इस अर्थ में एक बड़ा बदलाव है।

सामीप्य, सहानुभूति एवं कोमलता

संत पापा ने कहा, "आज भी हमारे बहुत सारे भाई-बहन इस बीमारी से पीड़ित हैं, कोढ़ की बीमारी, अन्य बीमारी या शर्तों से जो अपने साथ सामाजिक कलंक धारण किये हुए हैं कि "यह आदमी पापी है"। उस पल के बारे सोचें जब महिला ने भोज में प्रवेश किया और येसु के पैरों में सुगंधित तेल उंडेला...दूसरे कह रहे थे ˸ यदि वह कोई नबी होता तो जानता कि वह महिला कौन है, एक पापी, तुच्छ। जबकि येसु ने उसका स्वागत किया बल्कि धन्यवाद दिया और कहा, "तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं। यही येसु की कोमलता है। सामाजिक पूर्वाग्रह इन लोगों को शब्दों से अलग कर देता है ˸ यह व्यक्ति अशुद्ध है, वह आदमी पापी है, वह एक धूर्त है...आदि आदि। जी हाँ कभी-कभी ये सच हैं किन्तु न्याय करने के लिए नहीं है। हम प्रत्येक ने घायल होने, असफलता, पीड़ा, स्वार्थ को महसूस किया होगा जो हमें ईश्वर और दूसरों से दूर अपने आपमें बंद कर देते हैं क्योंकि पाप हमें लज्जा और अपमान के कारण बंद कर देता जबकि ईश्वर हमारे हृदय को खोलना चाहते हैं। इन सब के सामने, येसु घोषित करते हैं कि ईश्वर कोई विचारधारा या अस्पष्ट सिद्धांत नहीं हैं किन्तु हमारे मानवीय घायलपन का स्पर्श करते और हमारे घाव को छूने से नहीं हिचकते हैं।" संत पापा ने कहा कि ऐसा मैं अपनी ओर से नहीं कह रहा हूँ संत पौलुस कहते हैं, "उन्हें पाप का भागी बनाया जिससे कि हम उनके द्वारा ईश्वर की पवित्रता के भागी बन सकें। ( 2 कोर. 5,21) हम देखते हैं कि किस तरह ईश्वर अपने आपको पाप का भागी बनाते हैं ताकि वे हमारे करीब आ सकें, हम पर दया दिखा सकें और इस कोमलता का एहसास करा सकें। सामीप्य, सहानुभूति एवं कोमलता।

हम जैसे हैं वैसे ही ईश्वर के पास आयें

संत पापा ने कहा कि अपनी अच्छी ख्याति और सामाजिक रस्म–रिवाजों को बनाये रखने के लिए नियमों की कद्र में हम बहुधा पीड़ा को दबाते या मास्क लगा लेते हैं जो छलावरण का काम करता है। हमारे स्वार्थ और हमारे भय के आंतरिक नियमों के परिणाम में संतुलन बनाये रखने के लिए हम दूसरों की पीड़ा में सहभागी नहीं होते हैं। संत पापा ने कहा कि हम आज के सुसमाचार के इन दो परिवर्तनों को जीने के लिए ईश्वर से कृपा की याचना करें। उस कोढ़ी की तरह ताकि हम अपने अकेलेपन से बाहर निकल सकें और अपने आपको दोष देने, अपनी असफलताओं को लेकर चलने और शिकायत करने के बदले हम जैसे हैं वैसे ही येसु के पास आयें। और कहें, "येसु मैं ऐसा हूँ। तब हम उनके आलिंगन को महसूस करेंगे, येसु के आलिंगन को जो अत्यन्त सुखद है।

उसके बाद येसु का परिवर्तन, एक प्रेम जो परम्परा के बाहर जाता, जो पूर्वाग्रह एवं दूसरों के जीवन में शामिल होने के भय से ऊपर है। आइये हम इन दो परिवर्तनों को अपनाना सीखें। कोढ़ी के परिवर्तन एवं येसु के परिवर्तन के समान।

कुँवारी मरियम हमें इस यात्रा में साथ दे जिनका हम इस समय देवदूत प्रार्थना में आह्वान करते हैं।        

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

15 February 2021, 14:45