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आमदर्शन समारोह में धर्मशिक्षा देते संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में धर्मशिक्षा देते संत पापा फ्रांसिस 

ख्रीस्त का क्रूस, आशा का स्तम्भ

संत पापा फ्राँसिस ने साप्ताहिक आमदर्शन समारोह के दौरान अपनी धर्मशिक्षा माला में पास्का त्रिदियुम (तीन दिवसीय) एवं ख्रीस्त की मुक्ति के रहस्य, उनके दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान पर प्रकाश डाला।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 31 मार्च 21 (रई)- संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन के प्रेरितिक निवास की पुस्तकालय से सभी का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

पवित्र सप्ताह के आध्यात्मिक माहौल में सराबोर हम पास्का तृदिवसीय की पूर्व संध्या में हैं। आज से लेकर रविवार तक हम कलीसिया की पूजन विधि के केन्द्रविन्दु, ख्रीस्त के दुःखभोग, क्रूस मरण और पुनरूत्थान की यादगारी मनायें। यूखारिस्त में सहभागी होते हुए हम हर समय इस रहस्य को मानते हैं। हम मिस्सा बलिदान में सहभागी होते हुए इस पास्का रहस्य को नवीन बनाये। यह हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं हम इसे न भूलें। यह हमारे लिए मानो कलवारी की यात्रा है, यह वही है।  

प्रेम की नई आज्ञा

पवित्र बहस्पतिवार की संध्या हम अंतिम व्यारी के भोज की यादगारी मनाते हेतु पास्का तृदिवसीय में प्रवेश करते हैं। इस संध्या बेला में येसु ने परमप्रसाद को अपने शिष्यों के लिए प्रेम की निशानी स्वरूप स्थापित किया, न केवल अपनी यादगारी के रुप में बल्कि सदैव अपनी उपस्थिति की स्मृति स्वरुप। जब कभी हम यूखारिस्तीय संस्कार में सहभागी होते हम मुक्ति के रहस्य की यादगारी मनाते हैं। इस संस्कार में येसु ने अपने को सारी मानव जाति के लिए बलि मेमने स्वरुप अर्पित किया, जहाँ उनका शरीर और रक्त हमारे लिए मुक्तिदायी भोजन बनता है। यही वह संध्या बेला है जहाँ येसु अपने शिष्यों के पैर धोते हुए हमें एक-दूसरे की प्रेममयी सेवा करने को कहते हैं। यह निशानी हमें क्रूस के रंक्तरजित बलिदान की ओर इंगित करती है, जो एक सेवा का बलिदान है जिसके द्वारा हम सभी मुक्त किये गये हैं। 

पवित्र क्रूस की आराधना

संत पापा ने कहा कि पुण्य शुक्रवार हमारे लिए उपवास, परहेज और प्रार्थना का दिन है। पवित्र सुसमाचार और धर्मविधि की प्रार्थनाओं के द्वारा हमें ऐसा लगता है मानो हम कलवारी पहाड़ में येसु के दुःखभोग और क्रूस मरण के मुक्तिदायी रहस्य को मनाने हेतु जमा होते हैं। धर्मविधि की गहराई में हम येसु के क्रूस की आराधना करते हैं। क्रूस उपासना के द्वारा हम निर्दोष मेमने के बलिदान की याद करते जिन्होंने हमारी मुक्ति हेतु अपने को अर्पित कर दिया। संत पापा ने कहा कि हम अपने हृदय और मन में उन लोगों की याद करें जो दुःखित हैं, बीमार, गरीब और दुनिया में परित्यक्त हैं। हम उनकी याद करें जो युद्धों के परिणाम स्वरुप, तानाशाही, रोज की हिंसा, गर्भपात के कारण “बलि के मेमने” बनते हैं। हम येसु के क्रूस के समीप अपनी प्रार्थना में उन सबों को लाये जो वर्तमान दुःखों के कारण अपने को क्रूसित पाते हैं जिससे वे अपने में सांत्वना का अनुभव कर सकें और अपनी पीड़ा के अर्थ को समझ सकें। आज बहुत सारे हैं जो कई रुपों में क्रूसित हैं, जो क्रूस पर चढ़ाए गए येसु की छवि हैं, हम उन्हें न भूलें।

हमारे हृदय के सूखेपन को अपने प्रेम से सींचा

संत पापा ने कहा कि जब से येसु ने मानवता के घावों और मृत्यु को अपने ऊपर लिया है तब से ईश्वर ने हमारे हृदय के सूखेपन को अपने प्रेम से सींचा है, उन्होंने हमारे अंधकारमय जीवन को प्रकाशित किया है। दुनिया अपने में अंधकार है। हम वर्तमान में युद्दों के विभिन्न रुपों की याद करें, बच्चे जो भूख के कारण मर रहे हैं, वे सभी बच्चें जो शिक्षा से वंचित हैं, लोग जो युद्ध, आतंकवाद के कारण बिखर गये हैं। बहुत से लोगों को दवाइयों की जरुरत है यह स्थिति अपने में एक आपदा, मरूभूमि की भांति है। ख्रीस्तीय और अन्य धर्मों के बहुत से लोग हैं जो अपने जीवन को बेहतर बनाने की सोच रखते हैं। लेकिन कलवारी की मृत्यु में हम सच्चाई का सामना करें कि येसु हमारे सबों के लिए दुःख सहते हैं।

सबसे बड़ा बलिदान

अपने प्रेरितिक जीवन काल में ईशपुत्र ने लोगों को चंगाई प्रदान किया, पापों को क्षमा दी और मृत्यु से जीवन देते हुए जीवन का संचार किया। अब हम उन्हें अपने जीवन के सबसे बड़े बलिदान के क्षण में पाते हैं जहाँ वे अपने पिता के दिये गये कार्यों को पूरा करते हैं। वे दुःखों की गहराई में उतरते, जिससे वे हमें उनसे मुक्ति दिलाते हुए नया जीवन दे सकें। वे दुनिया के दुःखों को सहन करते हैं जिससे हम घमंड, अंधकार और प्रेम करने के अवरोध से मुक्त हो सकें। केवल ईश्वर का प्रेम हमारे लिए ऐसा कर सकता है। उनके घावों द्वारा हमें चंगाई मिली है (1पेत्रु.2.24) उनकी मृत्यु द्वारा हमें नया जीवन मिला है। हम उनका धन्यवाद करते हैं जो क्रूस पर छोड़ दिये गये, अब कोई भी मृत्यु के अंधकार में दुबारा अकेला कभी नहीं रहेगा। वे हमेशा हमारी बगल में हैं। केवल, हमें अपना हृदय खोलना होगा और अपने को उन्हें निहारने देना होगा।

विश्वासियों की माता

संत पापा फ्रांसिस ने कहा पवित्र शनिवार हमारे लिए शांति का दिन है, हम धरती पर एक गहरी शांति पाते हैं। एक घोर शांति में हम प्रथम शिष्यों के संग येसु के अपमानजनक मृत्यु पर शोक मनाते और विस्म्ति होते हैं। शब्द शांत है, जीवन क्रब में पड़ा है, जिन्होंने उन पर आशा की थी उनकी परीक्षा ली गई, वे अपने को अनाथ पाते हैं। यह शनिवार मरियम का दिन है जो आंसूओं में अपना जीवन जीती हैं, लेकिन उनका हृदय विश्वास से भरा है, आशा और प्रेम से परिपूर्ण। येसु की माता ने अपने बेटे को दुःख के मार्ग में साथ दिया और बेधित हृदय से, क्रूस के नीचे उनके साथ खड़ी रहीं। ऐसा प्रतीत होता है मानो सारी चीजें समाप्त हो गई हैं ऐसी परिस्थिति में वह जागरण करते हुए ईश्वर की प्रतिज्ञा में दृढ़ बनी रहती हैं। इस भांति वे दुनिया के अंधकार भरे क्षणों में विश्वासी, कलीसिया की माता बनती हैं जो आशा की एक निशानी है। उनका साक्ष्य और उनकी मध्यस्थता हमें सबल बनाती है जब हम क्रूस को अपने लिए भारी होता अनुभव करते हैं।

पवित्र शनिवार के अंधेरे में, पास्का जागरण की धर्मविधि हमारे लिए खुशी और ज्योति लेकर आती है जहाँ हम अल्लेलूया के आनंदमय गीत गाते हैं। यह विश्वास में हमारे लिए पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त से मिलन होगा और हम पास्का की खुशी में, पवित्र आत्मा के आने तक पचास दिनों के लिए खुशी में बने रहेंगे। वे जिन्हें क्रूस पर चढ़ाया गया था वे जी उठे हैं। इस रहस्य में जीवन के सारे सवाल, अनिश्चितताएं, संदेह और भय अपने में दूर हो जाते हैं। पुनर्जीवित येसु हमें इस बात की सुनिश्चितता प्रदान करते हैं कि बुराई के ऊपर अच्छाई की सदा जीत होती है, मृत्यु पर जीवन की विजयी होती है। हम अपने जीवन में नीचे से नीचे, दुःख से दुःख की ओर नहीं जाते बल्कि हम ऊपर की ओर उठते हैं।

धन सत्य को बदल देता है

जीवित येसु हमारे लिए इस बात को सुदृढ़ करते हैं कि वे सभी चीजों मृत्यु से जीवन, पापों से परे हमें क्षमा देने- सभी बातों में सही हैं। संत पापा ने कहा कि शिष्यों को संदेह हुआ, उन्होंने विश्वास नहीं किया। मरियम मगदलेना पहली थी जिन्होंने विश्वास किया और देखा, वह पुनरूत्थान की शिष्या थी जिन्होंने शिष्यों को बतलाया कि उसने येसु को देखा है और उन्होंने उसे नाम लेकर पुकारा। उसके बाद सभी शिष्यों ने उन्हें देखा। संत पापा ने पहरेदारों, सैनिकों के बारे में कहा जो क्रब के पास तैनात किये गये थे जिससे वे शिष्यों को उनका शरीर ले जाने से रोक सकें, उन्होंने येसु को जी उठा और पुनर्जीवित देखा। शत्रुओं ने उन्हें देखा और बहाना किया कि उन्होंने नहीं देखा है क्यों? क्योंकि उन्हें रकम दिया गया था। संत पापा ने कहा कि यहाँ हम दो रहस्यों को पाते हैं जिसे येसु ने एक बार कहा था, “दुनिया में दो स्वामी हैं, ईश्वर और धन। जो धन की सेवा करते हैं वे ईश्वर से विरूद्ध हैं।” धन सत्य को बदल देता है। उन्होंने पुनरूत्थान के आश्चर्य को देखा था लेकिन उन्हें चुप रहने के लिए पैसा दिया गया था। उन्होंने कहा कि बहुत बार ख्रीस्तीय स्त्री और पुरूषों को पुनर्जीवित येसु पर विश्वास नहीं करने हेतु पैसे दिये जाते हैं, अतः वे उन कार्यों को नहीं करते जिसे येसु करने को कहते हैं।

येसु का क्रूस हमारे लिए आशा की निशानी

प्रिय भाइयो एवं बहनो, इस साल हम पास्का को पुनः कोविड-19 की महामारी में मनायेंगे। दुःख की बहुत सारी परिस्थितियाँ विशेष रूप से जब वे लोगों, परिवारों, संकटों या युद्धों के द्वारा उत्पन्न किये जाते हैं, येसु ख्रीस्त के क्रूस समान हैं जो हमें एक दीपस्तंभ की तरह समुद्री लहरों में उलझे नावों का संकेत देती हैं। येसु का क्रूस हमारे लिए आशा की एक निशानी है जो हमें हताशा नहीं करता, जो हमें यह कहता है कि एक भी आंसू ईश्वर की योजना में व्यर्थ नहीं जाते हैं। हम ईश्वर से सेवा की कृपा मांगें, येसु को पहचानने की कृपा जिससे हम उन्हें अपनी कृतज्ञता में न भूलें।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ करते हुए सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

आमदर्शन समारोह पर संत पापा की धर्मशिक्षा

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31 March 2021, 14:17

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