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आमदर्शन समारोह में धर्मशिक्षा देते संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में धर्मशिक्षा देते संत पापा फ्रांसिस 

संत पापाः अवलोकन प्रार्थना का मर्म

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा माला में अवलोकन प्रार्थना का मर्म समझाया।

दिलीप संजय एक्का-विटाकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार, 05 मई 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन प्रेरितिक निवास की पुस्तकालय से सभों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

हम प्रार्थना पर अपनी धर्मशिक्षा माला जारी रखते हैं, आज की धर्मशिक्षा माला में मैं अवलोकन ध्यान प्रार्थना पर चिंतन करना चाहूँगा।

अवलोकन प्रार्थना

अवलोकन मानव जीवन का वह आयाम है जो एक तरह से “नमक” की भांति है, लेकिन यह अब तक प्रार्थना का रुप नहीं बन पाया है, यह हमारे जीवन में स्वाद लाता है जिसके फलस्वरुप हम  अपने दिन को स्वादिष्ट पाते हैं। हम सुबह में उगते हुए सूर्य की ओर अपनी निगाहें फेरते हुए उसका अवलोकन कर सकते हैं या हम पेड़ों को निहारते हुए उन पर चिंतन कर सकते हैं जो बसंत में नई पत्तियों से अपने को ढ़क लेते हैं। हम संगीत सुनते हुए चिंतन कर सकते हैं या पंछियों के कलरव, पुस्तक पढ़ते हुए, कोई कलाकृति को देखते हुए या मानव चेहरे की उत्कृष्ट कृति को देखते हुए चीजों का अवलोकन कर सकते हैं। कार्लो मारिया मरतीनी को जब मिलान का धर्माध्यक्ष बनाया गया था तो उन्होंने अपने प्रथम प्रेरितिक पत्र जीवन का चिन्तशील आयाम में इस बात का जिक्र किया, सच्चाई यह है कि जो लोग बड़े शहरों में रहते हैं जहाँ सारी चीजें हम कह सकते हैं अपने में कृत्रिम हैं, जहाँ सभी चीजें कार्यात्मक हैं, हम अवलोकन करने की अपनी क्षमता को खोने के जोखिम में आ जाते हैं। अवलोकन का संदर्भ किसी चीज को करने से नहीं अपितु एक तरह से उस चीज का अंग बनना है, उस बात में प्रवेश कर उससे एक हो जाना है।

चीजें हृदय से निकलती हैं

अवलोकन के तहत, चिन्तनशील होना हमारी आंखों में नहीं बल्कि हमारे हृदय पर निर्भर करता है। यहां हम प्रार्थना को विश्वास की क्रिया और प्रेम के रुप में, अपनी “सांसें” स्वरुप पाते हैं जो ईश्वर से संयुक्त होता है। प्रार्थना हमारे हृदय को शुद्ध करता है इसके साथ ही हमारी निगाहें तीक्ष्ण होती हैं परिणाम स्वरुप हम सच्चाइयों को एक अलग ही दृष्टिकोण से देखते हैं। काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा इस हृदय परिवर्तन को प्रार्थना के प्रभाव स्वरुप वर्णन करती है जो कूरे ऑफ आर्स के प्रसिद्ध साक्ष्य में व्यक्त होता है, “अवलोकन विश्वास की निगाहों से येसु को देखना है, मैं उसकी ओर देखता हूँ और वे मेरी ओर देखते हैं।” येसु का प्रदीप्त चेहरा हमारे हृदय की आंखों को प्रकाशित करता है और हम सारी मानवता के लिए चीजों को सच्चाई और करूणा के प्रकाश में देखने की शिक्षा पाते हैं (सीसीसी,2715)। सारी चीजें हमारे हृदय की गहराई से निकलती हैं जहाँ हम यह अनुभव करते हैं कि हमें प्रेम से देखा जाता है। इस तरह सच्चाई एक अलग ही नजरिये से देखी जाती है।

येसु को देखना और देखा जाना

“मैं उन्हें देखता हूँ और वे मुझे देखते हैं”। प्रेममय अवलोकन ऐसा ही है, एक अति अंतरंग प्रार्थना है, जिसमें हम अधिक शब्दों को नहीं पाते हैं। यहाँ निगाहें की काफी हैं। इसके द्वारा हम इस बात से अपने को विश्वस्त पाते हैं कि हमारा जीवन उनके अनंत और निष्ठामय प्रेम से सराबोर है जिससे हमें कोई भी अलग नहीं कर सकता है।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि येसु इस नजर में माहिर थे। उनके जीवन में समय, स्थान, शांति और प्रेमपूर्ण संबंध की कमी कभी नहीं थी जिसके द्वारा वे अपने जीवन की कठिनाइयों से विचलित नहीं हुए बल्कि अपने में सबल बने रहे। उनके इस रहस्य का राज अपने स्वर्गीय पिता से उनका संबंध था।

रुपांतरण प्रेम का परिणाम

उन्होंने उनके रुपांतरण का उदाहरण देते हुए कहा कि सुसमाचार इस घटना को येसु के प्रेरितिक कार्य के केन्द्र-विन्दु पर रखती है जब वे अपने को विरोध और तिरस्कार से घिरा हुआ पाते हैं। स्वयं उनके बीच में बहुत से शिष्यों ने उन्हें नहीं समझ पाया और उनका साथ छोड़ दिया। बारहों में से एक ने उन्हें धोखा देने की सोच ली। येसु खुले रुप में अपने दुखभोग और मृत्यु के बारे में जिक्र किया जो येरुसलेम में घटित होनी वाली थी। इस परिदृश्य में वे अपने शिष्यों पेत्रुस, याकूब और योहन के साथ पहाड़ की चोटी में चढ़ते हैं। संत मारकुस का सुसमाचार हमें कहता है,“उनके सामने उनका रुपांतरण हो गया, उनके वस्त्र ऐसे चमकीले और उजले हो गये, कि दुनिया का कोई भी घोबी उन्हें उतना उजला नहीं कर सकता (9.2-3)। यह ठीक उस समय हुआ जब येसु अपनों के द्वारा नसमझी के शिकार होते- और उनके चेले उन्हें छोड़ कर जा रहे होते हैं, नसमझी की इस धुंधली, एक भांवर परिस्थिति में हम एक दिव्य ज्योति को चमकता हुआ पाते हैं। यह पिता की प्रेममयी ज्योति है जो पुत्र के हृदय को भर देती जो उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को रुपांतरित कर देता है।

कुछ आध्यात्मिक गुरूओं ने आतीत में अवलोकन को कार्य के विपरीत समझा, और उन्होंने उन बातों को बढ़ावा दिया जो लोगों को दुनिया की तकलीफों से दूर करता है जिससे वे अपने को प्रार्थना में संलग्न कर सकें। वास्तव में, येसु ख्रीस्त अपने व्यक्तित्व में जैसे कि हम सुसमाचार में पाते हैं, उनकी प्रार्थना और कार्य में कोई अंतर नहीं है। सुसमाचार और येसु ख्रीस्त में हम कोई विरोधाभाव नहीं पाते हैं। यह नियोप्लाटोनिक दर्शनशस्त्र से प्रभावित है जो इसमें विरोधाभाव उत्पन्न करता है, लेकिन इसमें निश्चित रूप से एक द्वैतवाद शामिल है जो ख्रीस्तीय संदेश का हिस्सा नहीं है।

येसु का अनुसरण एक मात्र निमंत्रण

संत पापा ने कहा कि हमारे लिए केवल एक ही महान निमंत्रण है जिसे हम सुसमाचार में पाते हैं और वह है प्रेम के मार्ग में येसु ख्रीस्त का अनुसरण करना। यही सारी चीजों का केन्द्र-विंदु और चरमसीमा है। इस संदर्भ में हम करूणा और चिंतन को एक ही रुप में पाते हैं जो एक ही तथ्य के बारे में कहती है। क्रूस के संत योहन ने विश्वास किया कि विशुद्ध प्रेम का एक छोटा कार्य अन्य दूसरे मिश्रित कार्यों की अपेक्षा कलीसिया के लिए अति उपयोगी है। प्रार्थना से उत्पन्न होने वाले कार्य यद्यपि अपने में गुप्त और शांतिमय प्रेम के कार्य होते लेकिन इसके द्वारा एक ख्रीस्तीय महान चमत्कार कर सकता है। यह अवलोकन चिंतन प्रार्थना का मार्ग है जहाँ मैं उन्हें देखते हूँ और वे मुझे देखते हैं। यह हमारे लिए येसु के साथ शांतिमय प्रेम वार्ता है जो कलीसिया के लिए महान कार्य करता है।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सबों के संत हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ करते हुए सभों को अपने प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।  

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05 May 2021, 15:16

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