खोज

रोम के कांगो समुदाय से संत पापा: 'शांति हम में से प्रत्येक से शुरु होती है

रोम के कांगो समुदाय के लिए संत पेत्रुस महागिरजाघर में रविवारीय मिस्सा समारोह की अध्यक्षता कर रहे संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों के साथ मिलकर घायल लेकिन जीवंत कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के लिए शांति हेतु प्रार्थना की।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 04 जुलाई 2022 (वाटिकन न्यूज) :  संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को रोम के कांगो समुदाय के साथ पवित्र मिस्सा समारोह की अध्यक्षता की। इसी दिन संत पापा अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान किंशासा के नदोलो हवाई अड्डे पर पवित्र मिस्सा समारोह की अध्यक्षता करने वाले थे। संत पापा फ्राँसिस ने घायल राष्ट्र के लिए शांति की प्रार्थना की और वहां उपस्थित विश्वासियों को याद दिलाया कि वे "शांति से जीने और शांति जगाने" के लिए बुलाये गये हैं, ताकि उनके घरों, कलीसिया और देश में शांति बनी रहे।

मिशन

संत पापा ने संत लूकस के सुसमाचार से लिये गये रविवारीय पाठ पर चिंतन किया। संत पापा ने कहा, कि ईश्वर की निकटता, जो हमारे आनंद का स्रोत है, हमें विस्मय से भर देता है, हमें आश्चर्यचकित करता है और हमारे जीवन को बदल देता है। इसी ने शिष्यों को एक मिशन पर, ईश्वर की निकटता की घोषणा करने और प्रभु के वचन की घोषणा करने के लिए दूर जाने हेतु प्रेरित किया।

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय के रूप में हम औसत दर्जे का जीवन जीने से संतुष्ट नहीं हो सकते हैं, क्योंकि हम येसु के मिशनरी हैं और हमें दुनिया में "तीन मिशनरी आश्चर्य के साथ भेजा जाता है जिसे येसु ने शिष्यों के लिए और हम में से प्रत्येक के लिए रखा है।"

पहला आश्चर्य: उपकरण

हमें जो उपकरण लेने की आवश्यकता है वह व्यावहारिक रूप से कुछ भी नहीं है, संत पापा ने कहा: "कोई सामान नहीं, कोई सुरक्षा नहीं, कोई मदद नहीं। हम अक्सर सोचते हैं कि हमारी कलीसिया की पहल ठीक से काम नहीं करती है क्योंकि हमारे पास सुविधाओं, धन और साधनों की कमी है: यह सच नहीं है। खण्डन स्वयं येसु की ओर से आता है।”

विश्वासियों से धन पर भरोसा न करने या गरीबी से न डरने का आग्रह करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "जितना अधिक हम स्वतंत्र और सरल, छोटे और विनम्र होते हैं, उतना ही पवित्र आत्मा मिशन का मार्गदर्शन करता है और हमें इसके चमत्कारों का नायक बनाता है।"

उन्होंने कहा कि  एकमात्र मौलिक "उपकरण", बंधुत्व है, "क्योंकि भाईचारे के बिना कोई मिशन नहीं है। ऐसी कोई घोषणा नहीं है जो दूसरों की परवाह किए बिना काम करती हो।"

दूसरा आश्चर्य: संदेश

मिशन का दूसरा आश्चर्य "संदेश" है। संत पापा ने कहा कि यह सोचना तर्कसंगत है कि उद्घोषणा की तैयारी के लिए, "चेलों को सीखना चाहिए कि क्या कहना है, विषय वस्तु का अच्छी तरह से अध्ययन करना और अच्छी तरह से स्पष्ट भाषण तैयार करना।”

इसके बजाय, येसु ने उन्हें केवल दो छोटे वाक्यांश प्रदान किया: "जिस घर में तुम प्रवेश करो, पहले कहो, "इस घर को शांति मिले!"; दूसरा, "ईश्वर का राज्य आ गया है।"

कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के लिए शांति

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि किसी भी स्थान पर ख्रीस्तीय शांति का वाहक है, यही उसकी पहचान है।

संत पापा ने कहा,  "आज, आइए हम कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में शांति और सुलह के लिए प्रार्थना करें, जो इतने घायल और शोषित हैं। आज, हम देश में मनाए जाने वाले पवित्र मिस्सा समारोह में शामिल होते हैं और प्रार्थना करते हैं कि सभी ख्रीस्तीय शांति के गवाह हों, विद्वेष और प्रतिशोध की हर भावना पर काबू पाने में सक्षम हों और आपसी सुलह कर सकें। हर अपने स्वयं के समूह के प्रति अस्वस्थ लगाव को अपने वश में कर सकें जो दूसरों के लिए अवमानना ​​की ओर ले जाता है।”

“भाइयों और बहनों, शांति हमारे साथ शुरू होती है; आपके और मेरे साथ, हर एक के दिल में शांति निवास करती है।”

संत पापा ने विश्वासियों को अपने घरों में शांति लाने के लिए आमंत्रित किया। संत पापा ने कहा कि अपने जीवनसाथी का सम्मान और प्यार करने, अपने बच्चों, बड़ों और पड़ोसियों का सम्मान करने और उनकी देखभाल करने से शांति उनके बीच निवास करेगी।

उन्होंने कहा, "आप शांति से जियें, शांति से रहें तो शांति आपके घर में, आपकी कलीसिया में और आपके देश में रहेगी।"

संत पापा ने समझाया कि  सन्देश का दूसरा भाग जो हमें बताता है कि "ईश्वर का राज्य निकट है" यह आशा और परिवर्तन की मांग करता है। हम जानते हैं कि ईश्वर हम सबके पिता हैं और वे चाहते हैं कि हम सभी भाई-बहन बने रहें।"

"यदि हम इस मनोभावना में जीते हैं, तो दुनिया युद्ध का मैदान नहीं होगा, बल्कि शांति का बगीचा होगा; इतिहास प्रथम होने की दौड़ नहीं लगाएगी, बल्कि एक सामान्य तीर्थयात्रा होगी।"

तीसरा आश्चर्य: शैली

संत पापा ने कहा कि उपकरण और संदेश के बाद, तीसरा मिशनरी आश्चर्य हमारी शैली से संबंधित है, हमें याद दिलाता है कि येसु अपने लोगों को "भेड़ियों के बीच मेमनों के रूप में" दुनिया में जाने के लिए कहते हैं।

एक ऐसी दुनिया में जो हमसे खुद को थोपने और उत्कृष्टता प्राप्त करने की अपेक्षा करती है। मसीह चाहते हैं कि हम भेड़िया नहीं मेमना बनें। "इसका मतलब भोला होना नहीं है, परन्तु प्रभुत्व और प्रबलता, लोभ और अधिकार की सभी प्रवृत्तियों से घृणा करना है।”

"जो मेमने के रूप में रहते हैं वे न तो हमला करते हैं और न ही तामसिक होते हैं: वे दूसरों के साथ झुंड में रहते हैं, और अपने चरवाहे में सुरक्षा पाते हैं, बल या अहंकार में नहीं। धन और संपत्ति का लालच उन्हें नुकसान पहुंचाता है।"

संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तियों को याद दिलाते हुए अपना संदेश समाप्त किया कि येसु के शिष्य हिंसा को अस्वीकार करते हैं, किसी को चोट नहीं पहुंचाते और सभी से प्यार करते हैं। वे अपने चरवाहे, येसु की ओर देखते हैं, "ईश्वर का मेमना, जिसने क्रूस पर मरकर संसार पर विजय प्राप्त की। "

उन्होंने प्रार्थना की, "ईश्वर, आज हमें मिशनरी बनने में मदद करें, हमारे भाईयों और बहनों की संग रहें; हमारे होठों पर ईश्वर की शांति और निकटता रहे; हमारे दिलों में येसु की नम्रता और अच्छाई रहे। हे ईश्वर का मेमना, संसार के पापों को हर ले।"

संत पापा मिस्सा के अंत में काॉगो  वासियों का अभिवादन करते हुए
संत पापा मिस्सा के अंत में काॉगो वासियों का अभिवादन करते हुए

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

04 July 2022, 15:30