नाइजीरियाई नरसंहार पर चुप्पी की भारतीय काथलिकों ने की निन्दा
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
नई दिल्ली, शुक्रवार, 17 जून 2022 (ऊका समाचार): भारत में काथलिकों ने हाल ही में दक्षिण-पश्चिम नाइजीरिया में ईसाइयों की नृशंस सामूहिक हत्या पर वैश्विक समुदाय की चुप्पी पर सवाल उठाया है तथा अत्याचारों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की घोषणा की है।
पेन्तेकॉस्त रविवार यानि पाँच जून को इस्लामी चरमपंथी बन्दूकचियों ने नाईजिरिया के ओन्दो प्रान्त के ओवओ शहर स्थित सन्त फ्राँसिस जेवियर काथलिक महागिरजाघर में प्रवेश कर अन्धाधुन्ध गोलियाँ चलाई और विस्फोटक उड़ाए जिसमें कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई तथा कई अन्य घायल हो गये।
नाईजिरियाः ख्रीस्तीयों की हत्या का निन्दा
केरल के कोट्टायम ज़िले में केरल स्थित काथलिक काँग्रेस के सैकड़ों सदस्यों ने एक जुलूस निकाला तथा नरसंहार की कड़ी निन्दा की।
चेंगनासेर्री महाधर्मप्रान्त में काथलिक काँग्रेस अध्यक्ष पी.पी. जोसफ ने कहा, "हम वैश्विक समुदाय से नाइजीरिया में सामूहिक हत्याओं के खिलाफ खड़े होने की अपील करते हैं।" उन्होंने कहा, "जब तक इस तरह की हत्याओं के खिलाफ वैश्विक चेतना जागृत नहीं होगी तब तक इस दुनिया में मानवता नहीं बचेगी।"
केरल काथलिक धर्माध्यक्षीय समिति के प्रवक्ता फादर जैकब जी. पालाक्कापिल्ली ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने अब तक 05 जून को नाईजिरिया में हुए ख्रीस्तीयों के नरसंहार पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र इस तरह के हमलों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए।"
उन्होंने कहा, "कभी-कभी मुझे लगता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय चुप है या प्रतिशोध से डरता है इसलिए वह चुप है, लेकिन एक बात निश्चित है - दुनिया में मानवता की रक्षा के लिए पूरी मानवता को ऐसी हत्याओं के खिलाफ उठना चाहिए।"
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, मीडिया से अपील
केरल स्थित चेंगनासेर्री महाधर्मप्रान्त के महाधर्माध्यक्ष जोसफ पेरुमथोट्टम ने मलयालम पत्रिका दीपिका में 13 जून को एक संपादकीय प्रकाशित कर सवाल उठाया, “जब ईसाइयों की हत्या और उत्पीड़न की बात आती है, तो कुछ मीडिया संस्थाएं चुप्पी साधे रहती हैं। यह किस तरह की मीडिया नीति है?”
महाधर्माध्यक्ष कहा कि अकेले 2021 में नाइजीरिया में बोको हराम जैसे इस्लामिक आतंकवादी समूहों द्वारा कम से कम 6,000 ईसाइयों की हत्या कर दी गई थी। 2009 के बाद से, नाइजीरिया में बोको हराम द्वारा कम से कम 40,000 ईसाई मारे गए हैं।
महाधर्माध्यक्ष ने अन्य अफ्रीकी देशों और दुनिया के अन्य हिस्सों में इस्लामी आतंक के प्रसार पर भी चिंता व्यक्त की और इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि ख्रीस्तीय धर्मानुपयायी "उत्पीड़न के सबसे बुरे शिकार" बनते हैं। उन्होंने सवाल किया कि वैश्विक शक्तियां इस्लामी आतंकवादियों के हमले से इंसानों की रक्षा क्यों नहीं कर सकीं।
इसी बीच, सिरो मलाबार कलीसिया के धर्माधिपति कार्डिनल जॉर्ज आलेनचेरी ने नाईजिरिया में ख्रीस्तीयों की सामूहिक हत्या की घोर निन्दा की है। उन्होंने कहा, “यह जानकर बहुत दुख होता है कि बहुत से बेगुनाहों को केवल ईसाई होने के कारण मार दिया जाता है। इस्लामी आतंकवाद दुनिया भर में दैनिक आधार पर बढ़ रहा है, इसलिये अब समय आ गया है कि विश्व शक्तियाँ इस मामले पर गम्भीर रूप से विचार करें।
भारत में ख्रीस्तीयों के उत्पीड़न की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कार्डिनल महोदय ने भारतीय सरकार से अपील की कि वह सामुदायिक शांति भंग करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करे।
नई दिल्ली स्थित यूनाईटेड क्रिस्टियन फोरम ने केवल वर्ष 2022 में ही 207 ख्रीस्तीय उत्पीड़न के मामले पंजीकृत किये हैं। इसी प्रकार 2021 में 505 उत्पीड़न के मामले दर्ज़ किये गये, जिसे भारत के ख्रीस्तीयों के लिये सबसे खराब वर्ष घोषित किया गया है।
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