सिस्टर इसाबेल टुरसिओस प्रवासियों के घऱ ‘फ्रोंतेरा दिग्ना’ में सिस्टर इसाबेल टुरसिओस प्रवासियों के घऱ ‘फ्रोंतेरा दिग्ना’ में   #SistersProject

‘मोविलिदाद हुमाना’ प्रेरिताई: उम्मीद का ज़रिया, जो अपने सपनों को साकार करने की ओर बढ़ते हैं

बराबरी की भावना से प्रेरित होकर, निष्कलंक मरिया की फ्रांसिस्कन धर्मबहनें, ‘फ्रोंतेरा दिग्ना’ नाम के प्रवासियों के घर में, उन लोगों पर पूरा ध्यान देती हैं जो बेहतर भविष्य की तलाश में निकलने का फैसला करते हैं।

यामिले लोपेज़

मेक्सिको, पिएड्रास नेग्रास, मंगलवार 09 दिसंबर 2025 (वाटिकन न्यूज) : “जो लोग बाहर जाते हैं, वे एक-दूसरे से भाई-बहन की तरह प्यार करें, जो हम सब हैं। हम सब जीवित प्राणी हैं, चाहे हममें कोई कमी हो या न हो, लेकिन हम सब बराबर हैं”, उक्त बात कमिलो ने कहा, जब उनसे पूछा गया कि एक प्रवासी के तौर पर उनकी ज़िंदगी उनके लिए क्या मायने रखती है। उन्होंने बताया कि प्रवासन को कैसे समझा जाना चाहिए, एक मिशन जिसे निष्कलंक मरिया की फ्रांसिस्कन धर्मबहनें, ‘मोविलिदाद हुमाना’ (‘मानव गतिशीलता’) प्रेरिताई के ज़रिए पूरा करती हैं।

तीस साल पहले, मेक्सिको-अमेरिका की सीमा पर मौजूद पिएड्रास नेग्रास धर्मप्रांत ने उन नागरिकों के लिए एक आश्रय सेंटर खोला था जिन्हें निर्वासित किया गया था। समय के साथ, हालात बदले और यह आश्रय सेंटर ‘फ्रोंतेरा दिग्ना’ (गरिमापूर्ण सीमा’) बन गया, जो उन लोगों के लिए एक ‘नखलिस्तान’ है जो बेहतर भविष्य बनाने की उम्मीद के साथ चलते हैं।

फ्रोंतेरा दिग्ना में,  प्रवासियों के आने पर उन्हें होने वाले शारीरिक और भावनात्मक दर्द को कम करने की कोशिश की जाती है।
फ्रोंतेरा दिग्ना में, प्रवासियों के आने पर उन्हें होने वाले शारीरिक और भावनात्मक दर्द को कम करने की कोशिश की जाती है।

मिशन : वहां काम करना जहां सबसे ज़्यादा ज़रूरत है

सिस्टर इसाबेल ने पहली बार प्रवासियों के लिए एल साल्वाडोर के धर्मसंघियों के सम्मेलन (सीओएनएफआरईएस) के साथ काम किया था, जो मुख्य रूप से प्रवासन के खतरों को रोकने पर ध्यान देता था। बाद में उन्होंने आठ आश्रयों से गुज़रते हुए, ग्वाटेमाला से होते हुए, और आखिर में मेक्सिको के इक्स्टेपेक पहुंचकर प्रवासन का रास्ता पूरा किया।

2018 में वे बोगोटा गईं, और दूसरी धर्मबहनों के साथ उन्होंने वेनेज़ुएला के प्रवासियों के लिए एक खास सेवा दी, जो उन सालों में बड़ी संख्या में कोलंबिया आते थे।

सिस्टर इसाबेल ने महिलाओं की हालत देखकर दुख जताते हुए कहा, “मैं सालिट्रे के टर्मिनल पर हर सुबह जाती थी, जहाँ आने वाले सभी वेनेज़ुएला प्रवासियों का स्वागत करती थी। मैं उन्हें कुछ रास्ता बताती थी, उन्हें मीठा ड्रिंक और पेस्ट्री देती थी, उनके साथ प्रभु का वचन पढ़ती थी, और वहाँ मौजूद स्कालब्रिनियन लड़कियों को गाइड करने के लिए कुछ कार्यक्रम भी चलाती थी।” उन्हें पता था कि कुछ मासुम लड़कियाँ अपने छोटे सूटकेस लेकर आती थीं, उन्हें बोगोटा में वेश्‍यावृत्ति के लिए खरीदा और बेचा जाता था, इसलिए वे पूरे टर्मिनल में घूम-धूमकर उन्हें बताती थी कि मानव व्यपार  क्या है।

कुछ महीने बाद सिस्टर इसाबेल अपनी दो धर्मबहनों के साथ मेक्सिको चली गईं।

भले ही कभी-कभी फ्रोंतेरा दिग्ना में प्रवासियों की संख्या ज़्यादा हो जाती है, हम हमेशा उन्हें ज़रूरी मदद देने की कोशिश करते हैं।
भले ही कभी-कभी फ्रोंतेरा दिग्ना में प्रवासियों की संख्या ज़्यादा हो जाती है, हम हमेशा उन्हें ज़रूरी मदद देने की कोशिश करते हैं।

एकता से उम्मीद  जगती है

धर्मबहनों ने प्रवासियों के साथ हुई तकलीफ़ की कई कहानियाँ साझा की हैं, जिनमें कोविद-19 महामारी के दौरान हुई तकलीफ़ें भी शामिल हैं।

सिस्टर इसाबेल ने कहा, “पिएड्रास नेग्रास एक ऐसी जगह है जहाँ अच्छे, हमदर्द और समर्पित लोग रहते हैं। उस समय, पल्लियों के लोगों ने भी प्रवासियों को खाना देने और उनकी मदद करते रहने के लिए हमारे साथ शामिल हुए।”

ईश्वर की कृपा से ही वह रोज़ाना लगभग 1,000 प्रवासियों की मदद कर पाईं। वह सभी को खाना, तकिया, कंबल, मेडिकल मदद और आध्यात्मिक आराम दे पाईं। इसीलिए वे कई स्वंयसेवकों, पल्लियों, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (बिना सीमाओं के डॉक्टरों) और प्रवासियों के लिए फ्रांसिस्कन नेटवर्क की बहुत शुक्रगुजार हैं।

फ्रांसिस्कन प्रार्थना और आध्यात्मिकता धर्मबहनों को प्रवासियों के दुख को सहने में मदद करती हैं – जैसे कि गर्भवती महिलायें जो इस झूठी उम्मीद के साथ नदी पार करने का तय करती हैं कि अगर उनका बच्चा अमेरिका में पैदा होगा, तो उन्हें नागरिकता मिल जाएगी; दूसरे, जो गलत व्यवहार या अपहरण के शिकार थे और जिन्हें बेच दिया गया था, और जो खुद को आज़ाद करके नॉर्थ पहुँच गए। वे उन सभी को याद करती हैं, और इनमें से कई औरतें धर्मबहनों को धन्यवाद देने के लिए फोन करती हैं कि उनकी सहायता से वे अपने सपनों को पूरा कर पायेंगी।

मानव गतिशीलता प्रेरिताई के ज़रिए, निष्कलंक मरिया की फ्रांसिस्कन धर्मबहनें, अपनी संस्थापिका धन्य मारिया कारिदाद ब्राडर के मिशनरी करिश्मे को जीती हैं।
मानव गतिशीलता प्रेरिताई के ज़रिए, निष्कलंक मरिया की फ्रांसिस्कन धर्मबहनें, अपनी संस्थापिका धन्य मारिया कारिदाद ब्राडर के मिशनरी करिश्मे को जीती हैं।

प्रवासन और धन्य मारिया कारिदाद ब्राडर

कमिलो ने अपने, अपनी माँ और अपनी बहन के लिए कुछ बेहतर की तलाश में अपना देश छोड़ने का फैसला किया। “मैं सभी माँओं [धर्मबहनों] को यह संदेश देना चाहूँगा कि वे सभी प्रवासियों के साथ जो यह सुंदर और महान काम कर रही हैं, उससे निराश न हों… मैं अपने देश की आज़ादी का दिन के जश्न को कभी नहीं भूलूँगा, उन्होंने मेरे साथ एक खास भोजन, झंडों और खास खाने के साथ जश्न मनाया था।”

प्रवासन एक सच्चाई है जिसका जवाब धर्मबहनें भाईचारे और सहभागी सेवाओं द्वारा देती हैं। धर्मसमाज की संस्थापिका, धन्य मारिया कारिदाद ब्राडर ने अपने समय में मिशनरी आदर्श को अपनाया और 19वीं सदी के अंत में इक्वाडोर और कोलंबिया में भूले-बिसरे लोगों के लिए काम करने हेतु अपना देश स्विट्जरलैंड छोड़ दिया।

“मुझे लगता है कि मदर कारिदाद ने हर सीमा पर धर्मबहनों की मौजूदगी के लिए घर या जगहें बनाई होंगी, क्योंकि उन्होंने यही किया था। इतिहास में, हमारे सामने कुछ ऐसे हालात आए हैं जब युद्ध के दौरान, उन्होंने अपना स्कूल बंद करके उसे अस्पताल में बदल दिया और धर्मबहनों को घायलों की मदद के लिए नर्स के तौर पर काम करने के लिए कहा और यह मदर कारिदाद की मिशनरी भावना ही है जो पिएड्रास नेग्रास में हम लोगों को हर दिन प्रेरित करती हैं।”

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09 दिसंबर 2025, 11:59