देवदूत प्रार्थना : यूखारिस्त, दूसरों के लिए उपहार बनने का निमंत्रण
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, रविवार, 6 जून 2021 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 6 जून को येसु के पावनतम शरीर एवं रक्त के महापर्व के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।
आज, इटली एवं अन्य देशों में, ख्रीस्त के पावन शरीर एवं रक्त का महापर्व मनाया जाता है। सुसमाचार हमारे लिए अंतिम व्यारी की घटना प्रस्तुत करता है। (मार.14,12-16,22-26) प्रभु के शब्द और भाव हमारे हृदयों का स्पर्श करते हैं: वे अपने हाथों में रोटी लेते, धन्यवाद की प्रार्थना करते, उसे तोड़ते एवं शिष्यों को देते हैं, यह कहते हुए, इसे लो, यह मेरा शरीर है।(22)
सबसे बड़ी बात है सेवा करना
इस तरह सरलता से येसु हमें महान संस्कार प्रदान करते हैं। यह उनका देने एवं बांटने का दीन मनोभाव है। अपने जीवन की चरमसीमा पर वे भीड़ को खिलाने के लिए बहुत अधिक रोटी नहीं परोसते बल्कि शिष्यों के साथ पास्का भोज में अपने आपको तोड़ते हैं। इस तरह येसु दिखलाते हैं कि जीवन का लक्ष्य अपने आपको देने में है अर्थात् सबसे बड़ी बात है सेवा करना। और आज हम ईश्वर की महानता को एक रोटी के टुकड़े के रूप में, कोमलता में पुनः देख रहे हैं जो प्रेम और बांटने में झलकता है।
संत पापा ने कहा, “कोमलता एक उपयुक्त शब्द है जिसको मैं रेखांकित करना चाहता था। येसु अपने आपको इतना कोमल बनाते हैं कि वे तोड़े जाते और टुकड़े-टुकड़े किये जा सकते हैं। किन्तु वहीं उनकी दुर्बलता में ही उनकी शक्ति है।” यूखारिस्त में कोमलता ही शक्ति है : प्रेम की शक्ति जो छोटे बन गये ताकि स्वागत किये जा सकें और लोग उनसे भयभीत न हों। प्रेम की शक्ति जिसे तोड़ा और बांटा जाता है ताकि हम पोषित एवं जीवन पा सकें। प्रेम की शक्ति जिसको तोड़ा गया ताकि हम सभी को एकता के सूत्र में बांधा जा सके।
प्रेम की शक्ति, जीवन प्रदान करता
एक दूसरी शक्ति है जो यूखारिस्त की कोमलता में उठती है : प्रेम करने की शक्ति जो गलती करती है। जिस रात को येसु विश्वासघात किये गये उन्होंने जीवन की रोटी प्रदान की। उन्होंने सबसे महान वरदान प्रदान किया जबकि अपने हृदय में गहरे पाताल को महसूस किया। शिष्य जिसने उनके साथ खाया, उनकी थाली में रोटी डुबोया, उसी ने उन्हें धोखा दिया। संत पापा ने कहा, “जो प्यार करता है उसके लिए धोखा सबसे बड़ा दुःख है। और येसु ने क्या किया? बुराई का प्रत्युत्तर अधिक बड़ी अच्छाई से दी। यूदस के "न" को करुणा के "हाँ" से जवाब दिया। वे पापी को दण्ड नहीं देते बल्कि जीवन देते हैं। जब हम यूखारिस्त ग्रहण करते हैं, येसु हमारे साथ ऐसा ही करते हैं : वे पहचानते हैं, वे जानते हैं कि हम पापी हैं, बहुत गलती करते हैं किन्तु अपने जीवन को हमारे जीवन के साथ जोड़ने से कभी पीछे नहीं हटते। वे जानते हैं कि हमें इसकी आवश्यकता है क्योंकि यूखारिस्त संतों का पुरस्कार नहीं है बल्कि पापियों का भोजन है। यही कारण है कि वे आह्वान करते हैं : “इसे लो और खाओ।”
दुर्बलता को नया अर्थ
जब-जब हम जीवन की रोटी को ग्रहण करते, येसु हमारी दुर्बलता को नया अर्थ देने के लिए आते हैं। वे हमें याद दिलाते हैं कि उनकी नजरों में हम उससे अधिक मूल्यवान हैं जितना हम सोचते हैं। वे हमें बतलाते हैं कि वे खुश होते हैं यदि हम उनके साथ अपनी दुर्बलताओं को साझा करते हैं। वे बार-बार दुहराते हैं कि उनकी करुणा हमारी दयनीय स्थिति से भयभीत नहीं है। येसु की करुणा हमारी दयनीय स्थिति से नहीं डरती है। और सबसे बढ़कर, उस दुर्बलता को वे प्रेम से चंगा करते हैं जिसको हम अपने आप से चंगा नहीं कर सकते। कौन-सी दुर्बलता? हम जरा सोचें। उन लोगों के प्रति क्रोध की भावना जो हमें दुःख देते हैं, अपने आपको दूसरों से दूर करना और अपने आपमें बंद रहने, आत्मग्लानि करना और बेचैन होकर शोक मनाना। इन सबसे हम खुद चंगाई नहीं पा सकते। वे ही हैं जो अपनी उपस्थिति से हमें चंगा करते हैं, अपनी रोटी एवं यूखारिस्त से। यूखारिस्त उन सभी रूकावटों के लिए एक प्रभावशाली दवाई है। जीवन की रोटी निश्चय ही कठोरता को कोमलता में बदल देती है। यूखारिस्त हमें चंगा करता है क्योंकि यह हमें येसु के साथ जोड़ता है। यह हमें उनके जीने के तरीके को अपनाने, उनके तोड़े जाने एवं भाई-बहनों के बीच बांटे जाने की क्षमता, बुराई का जवाब अच्छाई से देने की शक्ति प्रदान करता है।
ताकि हम दूसरों को प्यार कर सकें
यह हमें अपने आप से बाहर निकलने और दूसरों की दुर्बलता की ओर प्रेम से झुकने का साहस प्रदान करता है। जैसा कि येसु ने हमारे साथ किया है। यही यूखारिस्त का तर्क है। हम येसु को ग्रहण करते हैं जो हमें प्यार करते और हमारी दुर्बलता को चंगा करते हैं ताकि हम दूसरों को प्यार कर सकें और उनकी दुर्बलता में उनकी मदद कर सकें। और ऐसा हम पूरे जीवन में कर सकते हैं। आज हमने धर्मविधि के दौरान एक स्तोत्र से प्रार्थना की। ये चार पद येसु के पूरे जीवन का सार है। और कहा जाता है कि येसु ने जन्म लेकर जीवन की यात्रा में साथ दिया। उसके बाद व्यारी के समय भोजन के रूप में दिया, फिर क्रूस पर, अपनी मृत्यु द्वारा हमारे लिए दाम चुकाया। अब स्वर्ग में राज करते हैं जो हमारे लिए पुरस्कार है जिसकी खोज हम करें जो हमारा इंतजार कर रहा है।
धन्य कुँवारी मरियम, जिनमें ईश्वर ने शरीर धारण किया, हमें कृतज्ञ हृदय से यूखारिस्त के वरदान को ग्रहण करने और हमारे जीवन को दूसरों के लिए उपहार बनाने में मदद दे। पवित्र यूखारिस्त हमें सभी के लिए उपहार बना दे।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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