अंतर्राष्ट्रीय युवा सलाहकार निकाय के सदस्यों से वाटिकन में मुलाकात करते हुए पोप लियो 14वें अंतर्राष्ट्रीय युवा सलाहकार निकाय के सदस्यों से वाटिकन में मुलाकात करते हुए पोप लियो 14वें  (ANSA)

युवाओं से पोप : सोशल मीडिया के युग में अपने विश्वास को एकाकीपन में न जीएँ

पोप लियो 14वें ने अंतर्राष्ट्रीय युवा सलाहकार निकाय के सदस्यों को अपना संदेश दिया। अपने तैयार भाषण में - जिसे उन्होंने प्रस्तुत नहीं किया, लेकिन बाद में वाटिकन प्रेस कार्यालय ने प्रकाशित किया - पोप ने युवाओं को सिनॉडालिटी, मिशन और सहभागिता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि अलगाव का मुकाबला किया जा सके और कलीसिया को जरूरतमंदों तक पहुँचने में मदद मिल सके।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025 (रेई) : अंतर्राष्ट्रीय युवा सलाहकार निकाय (आईवाईएबी) के सदस्यों को दिये अपने संदेश में संत पापा लियो 14वें ने युवाओं को प्रोत्साहित किया है कि वे सिनॉडालिटी, मिशन और सहभागिता पर ध्यान दें ताकि एकाकीपन का सामना कर सके, ख्रीस्त के निकट रह सकें और कलीसिया को हाशिये पर जीवन यापन करनेवाले लोगों तक पहुँचने में मदद कर सकें।

लोकधर्मी, परिवार और जीवन के लिए गठित विभाग से जुड़े, अंतर्राष्ट्रीय युवा सलाहकार निकाय, का उद्देश्य कलीसिया के मिशन के केंद्र में मौजूद विभिन्न मुद्दों पर युवाओं के दृष्टिकोण को परमधर्मपीठ तक पहुँचाना है। मंगलवार से, निकाय रोम में युवा काथलिकों को प्रभावित करनेवाले विषयों पर विचार-विमर्श के लिए बैठक कर रहा है, जिसमें धर्मसभा, मिशन और भागीदारी के तीन विषय उनकी चर्चाओं के केंद्र में हैं।

पोप ने लिखा, "आप अपने कई साथियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, और आपके माध्यम से, वे भी कलीसिया से 'बात' कर सकते हैं।" "आपकी आवाज आवश्य सुनी जाएगी और उसे गंभीरता से लिया जाएगा। आपकी उपस्थिति और योगदान अमूल्य है।"

सोशल मीडिया के युग में अपने विश्वास को एकाकी में न जीयें

पोप लियो ने जोर देकर कहा कि युवाओं के लिए, "सिनॉडल चर्च" एक "चुनौती, एक उत्प्रेरक" हो सकता है, क्योंकि "यह उन्हें अपने विश्वास को एकाकीपन में न जीने के लिए प्रोत्साहित करता है", खासकर, सोशल मीडिया और डिजिटल युग में।

उन्होंने माना कि "हाल के वर्षों में, कई युवा सोशल मीडिया, सफल कार्यक्रमों और लोकप्रिय ऑनलाइन ख्रीस्तीय गवाहों के माध्यम से विश्वास की ओर बढ़े हैं।"

हालाँकि, उन्होंने चेतावनी दी कि इसका "खतरा" यह है कि "ऑनलाइन खोजा गया विश्वास व्यक्तिगत अनुभवों तक सीमित होता है, जो बौद्धिक और भावनात्मक रूप से आश्वस्त करनेवाला जरूर हो सकता है, लेकिन कभी भी 'साकार' नहीं होता।" इसका अर्थ है कि यह "'कलीसियाई निकाय' से अलग" रहता है और "वास्तविक जीवन की स्थितियों, रिश्तों या साझा स्तर पर दूसरों के साथ नहीं जिया जाता।"

उन्होंने आगे कहा, "अक्सर, सोशल मीडिया एल्गोरिदम लोगों के लिए सिर्फ एक मंच तैयार करते हैं, उनकी व्यक्तिगत पसंद और रुचियों को भाँप लेते हैं, और उन्हें आकर्षक प्रस्तावों के साथ 'वापस भेजते हैं'। फिर भी, हर कोई अपने आप में अकेला रहता है, अपनी ही प्रवृत्तियों और अनुमानों का कैदी।"

पोप के लिए, इस खतरे की दवाई "सिनॉडालिटी के जीवंत अनुभव" हो सकते हैं जो "स्वयं की बाधाओं को दूर करने और युवाओं को ख्रीस्त के परिवार के प्रभावी सदस्य बनने के लिए प्रोत्साहित करने" में मदद करते हैं।

कलीसिया को कमज़ोर और गरीबों की आवाज़ सुनने में मदद करें

पोप ने यह भी बताया कि सिनॉडल कलीसिया में युवाओं को "अपने साथियों की ओर से बोलने के लिए" भी बुलाया जाता है, खासकर, "कमजोर, गरीब और एकाकी, शरणार्थियों और उन लोगों की ओर से जो समाज में घुलने-मिलने या शैक्षिक अवसरों तक पहुँचने के लिए संघर्ष करते हैं।"

उन्होंने कहा, "अक्सर, ये आवाजें शक्तिशाली, सफल और 'विशिष्ट' वास्तविकताओं में जीनेवालों के शोर में दब जाती हैं।"

पोप ने जोर देकर कहा कि एक सिनॉडल कलीसिया (एक साथ चलनेवाली) "पवित्र आत्मा युवाओं से जो कहता है उसे सुनना चाहती है" और "उनके करिश्मे, उनकी उम्र और उनकी संवेदनशीलता के अनुरूप विशिष्ट वरदानों का स्वागत करना चाहती है।"

दिखावे से परे देखें, रचनात्मकता और साहस के अगुवे बनें

इसके बाद पोप ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे "प्रामाणिक धर्मसभा" पवित्र आत्मा द्वारा निर्देशित होती है और इस प्रकार यह "मिशन की ओर ले जाती है।" उन्होंने लिखा, "यह सभाओं को नियंत्रित करनेवाले नियमों का सवाल नहीं है। बल्कि, यह आत्मा की बात सुनकर ईश्वर के कार्यों के लिए जगह बनाने के बारे में है।" उन्होंने आगे कहा कि पवित्र आत्मा हमेशा "येसु, जो सत्य हैं" की ओर ले जाती है।

"हर युग में, सुसमाचार को सभी तक कैसे पहुँचाया जाए, यह समझने के लिए" पोप लियो ने युवाओं को "खुले दिल रखने, आत्मा की 'प्रेरणाओं' और प्रत्येक व्यक्ति की गहरी 'आकांक्षाओं', दोनों को सुनने के लिए तैयार रहने" हेतु प्रोत्साहित किया।

उन्होंने जोर देकर कहा, "जीवन को अर्थ देनेवाले सच्चे उत्तरों की तलाश के लिए आपको दिखावे से परे देखना होगा।" "आपके पास ऐसे दिल होने चाहिए जो ईश्वर के आह्वान के लिए खुले हों और अपनी योजनाओं में उलझे न हों, और निर्णय लेने से पहले समझने और सहानुभूति रखने के लिए तैयार हों।"

उन्होंने आगे कहा, "मिशन की अवधारणा में भय से मुक्ति भी शामिल है, क्योंकि प्रभु हमें नए रास्ते बनाने के लिए बुलाना पसंद करते हैं," और युवाओं से "रचनात्मकता और साहस के नेता" बनने का आग्रह किया।

कलीसिया में भागीदारी आध्यात्मिकता से आती है, विचारधारा या राजनीति से नहीं

पोप ने युवाओं के समूह को उनके कार्य के लिए धन्यवाद दिया, "जो कलीसिया के मिशनरी हृदय को नई ऊर्जा और गति प्रदान करेगा।" उन्होंने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय युवा सलाहकार निकाय एक व्यापक आध्यात्मिक युवा आंदोलन का हिस्सा है, जिसमें विश्व युवा दिवस और नियमित युवा प्रेरिताई शामिल हैं, और इस प्रकार "कलीसिया को हमेशा युवा बनाए रखता है।"

इस संबंध में, पोप लियो 14वें ने युवाओं के इस दल के लिए, "सबसे बढ़कर," यह पहचानने के महत्व पर ज़ोर दिया कि वे दुनियाभर के पुरुषों और महिलाओं के लिए कलीसिया के जीवन और सार्वभौमिक मिशन में भाग ले रहे हैं।

उन्होंने लिखा, "वास्तविक कलीसियाई भागीदारी कहाँ से आती है? मैं कहूँगा कि यह मसीह के हृदय के करीब होने से उपजी है। इसका मूल आध्यात्मिक है, वैचारिक या राजनीतिक नहीं।"

पोप ने अंतर्राष्ट्रीय युवा सलाहकार निकाय के सदस्यों से आग्रह किया कि वे हमारे समय के युवाओं और उनकी “आशाओं, सपनों और कठिनाइयों” को “मसीह की समान करुणा” के साथ देखें और यह कल्पना करने का प्रयास करें कि विश्वास से प्रेरित होकर कलीसिया किस प्रकार उनसे मिलने के लिए आगे आ सकती है।”

दूसरों के दुःखों को ध्यान दें

उन्होंने बताया कि कैसे, सुसमाचार में, येसु "अपने सामने बैठे शिष्यों के छोटे से समूह" से आगे देखते हैं, क्योंकि वे चाहते हैं कि उनका उद्धार, विश्वास की एकता और आपसी प्रेम का संदेश "सभी लोगों तक पहुँचे, जिनमें दूर रहनेवाले और भविष्य में आनेवाले लोग भी शामिल हैं।"

पोप ने आगे कहा, "प्रभु हमेशा पूरे विश्व को अपने हृदय में धारण करते हैं। यही सहभागिता का स्रोत है।"

इस प्रकार उन्होंने युवाओं को "प्रार्थना, संस्कारों और दैनिक जीवन के माध्यम से येसु के मित्र" बनने के लिए आमंत्रित किया ताकि "वे वैसा ही महसूस कर सकें जैसा येसु महसूस करते हैं।" इसका अर्थ है "दूसरों के दुःख, उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं पर ध्यान देना और उनसे प्रभावित होना" और यह "कलीसिया के सार्वभौमिक मिशन का हिस्सा बनने, उसमें भाग लेने की इच्छा को जन्म देता है"।

पोप ने युवाओं को ख्रीस्त से संयुक्त होने की सलाह देते हुए लिखा, "यह सहभागिता मानवीय और आध्यात्मिक परिपक्वता का भी प्रतीक है।" "बच्चे जहाँ केवल अपनी जरूरतों के बारे में ही सोचते हैं, परिपक्व व्यक्ति दूसरों की समस्याओं को साझा करना और उन्हें अपना बनाना जानते हैं।"

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31 अक्तूबर 2025, 15:52