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बोलोसंकर युवा संगठन द्वारा तैयार भोजन बच्चों के लिए बोलोसंकर युवा संगठन द्वारा तैयार भोजन बच्चों के लिए 

असनसोल धर्मप्रांत द्वारा प्रवासियों व तिहाड़ी मजदूरों की मदद

पश्चिम बंगाल के बर्दमान प्रांत में काथलिक उदारता संगठन, सैंकड़ों प्रवासियों, दैनिक मजदूरों और हाशिये पर जीवनयापन करनेवाले लोगों की मदद कर रही है जो कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए लॉकडाउन में हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

बर्दवान, 18 अप्रैल 20 (मैटर्स इंडिया) – पश्चिम बंगाल के बर्दमान प्रांत में काथलिक उदारता संगठन, सैंकड़ों प्रवासियों, दैनिक मजदूरों और हाशिये पर जीवनयापन करनेवाले लोगों की मदद कर रही है जो कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए लॉकडाउन में हैं।  

बर्दवान नगरपालिका के अंदर इकालाबाद वार्ड के मुनी बेसरा ने कहा, "ईश्वर ने काथलिक पुरोहितों, धर्मबहनों एवं अन्य लोगों को भेजा है जब हम संघर्ष कर रहे हैं।"

कानपुकुर आदिवासी पाड़ा के मोहन लोहार ने बतलाया कि एक सप्ताह से उसके पास न भोजन और न ही काम था। उसने कहा, "किन्तु मैं ख्रीस्तियों से भोजन पाकर खुश हूँ।"

मंगली मुरमू एक अनाथ लड़की है उसके चाचा दैनिक मजदूरी कर उसका पालन-पोषण कर रहे हैं। उसने कहा, "मैं अपने जीने के लिए पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हूँ। मैं काथलिक पुरोहितों, धर्मबहनों की मदद में, उनके स्नेह एवं चिंता एवं समर्थन को महसूस कर रही हूँ।"

असनसोल धर्मप्रांत का सामाजिक सेवा विभाग

मैटर्स इंडिया के अनुसार असनसोल धर्मप्रांत के सामाजिक सेवा विभाग, बर्दवान सेवा केंद्र (एबीएसके) द्वारा बर्दवान नगरपालिका एवं अन्य संथाल आदिवासी गाँवों के करीब 4,500 परिवारों की मदद की जा रही है। कलीसियाई उदारता संगठन, मानवीय सहायता के इस कार्य को जिला प्रसाशन से अनुमति लेकर कर रहा है।

पश्चिम बंगाल में काथलिक समाज सेवा के स्थानीय निदेशक फादर विलशन फर्नांडिस ने 15 अप्रैल को मैटर्स इंडिया को बतलाया कि काथलिक टीम 31 मार्च से ही राहत कार्य कर रही है जब जिलाधिकारी विजय भारती ने बर्दवान के चाइल्डलाइन की ओर से पास जारी किया।

एबीएसके का गठन निदेशक फादर आर्विंद तिरकी, संत अन्ना की पुत्रियों चेन्ना की धर्मबहन चंद्रा, येसु के धर्मसमाज की धर्मबहन जोसलेत्ते एवं उनके 14 सहयोगियों से हुआ है।

मास्क और सनिटाईजर का वितरण

फादर फर्नांडिस ने कहा कि दल, गाँव वालों को सुरक्षित दूरी रखने एवं साबून से हाथ धोने सिखलाता है। धर्मबहनों ने कैदियों एवं दिव्यांग बच्चों के लिए 3,500 मास्क और 100 एम एल सनिटाईजर का वितरण किया है।

धर्मप्रांत के इस केंद्र ने झारखंड से काम करने आये 300 प्रवासियों को 10 दिनों तक भोजन दिया जो मेमारी ब्लॉक में फंसे थे। फादर फर्नाडेस ने कहा, "हम बीरभुम एवं पूर्बा बर्दमान जिला में अन्य 4,500 लोगों की मदद 30 अप्रैल कर करेंगे।"

असनसोल के धर्माध्यक्ष सिप्रियन ने अपने लोगों द्वारा प्रवासियों, मजदूरों, गरीबों एवं जरूरतमंद लोगों तक पहुँच के लिए प्रसन्नता जाहिर की। धर्माध्यक्ष ने कहा कि धर्मप्रांत के कई पुरोहित अपने क्षेत्र के गरीबों एवं दैनिक मजदूरों की भी मदद कर रहे हैं जिन्होंने अपना काम खो दिया है।

विश्वास मजबूत हुआ

काथलिक युवा स्वयंसेवक अनिमेश दास ने कहा कि उसका विश्वास मजबूत हुआ जब उसने देखा कि पुरोहित एवं धर्मबहनें  किस तरह लॉकडाउन के समय असहाय लोगों की मदद करने पहुँचे।

उसने कहा, "गिरजाघर बंद हैं, मेरे जीवन में यह पहली बार था जब पास्का पर्व या पास्का रविवार को मिस्सा में भाग नहीं ले पाया, किन्तु ख्रीस्त में मेरा विश्वास बढ़ गया है।"

फादर तिरकी ने कहा कि जिला अधिकारी ने अपने कार्यों को हमें सौंपा है, "वे हमारे राहत कार्यों के बारे जानने के लिए हमसे मुलाकात करते हैं। पुलिस ने हमें बर्दवान रेलवे स्टेशन पर 100 बच्चों को खाना खिलाने के लिए कहा है। प्रशासन ने जो कुछ हमसे मांग की है हम उन्हें अपने सीमित संसाधनों से पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।

कोलकत्ता से 200 किलो मीटर दूर लागहाता गाँव के पल्ली पुरोहित फादर रोबर्ट रिचार्ड डीसूजा ने कहा कि मित्रों की सहायता से वे 400 परिवारों के लिए राहत सामग्री का वितरण कर रहे हैं। उन्होंने बतलाया कि वे सरकार के लॉकडाउन आदेश का सख्ती से पालन करते हैं, उदाहरण के लिए सामाजिक दूरी बनाकर रखना, मास्क और दस्ताना पहनना सनिटाईजर प्रयोग करना और भोजन बांटने के बाद साबून से हाथ धोना आदि।

मुस्लिम समुदाय आभारी

बर्दवान के पल्ली पुरोहित फादर मार्टिन बेहेरा ने कहा, "हमारे पास उन सभी लोगों के लिए सनिटाईजर है जो सहायता मांगने के लिए आते हैं। वे अलग-अलग सर्कल में दो मीटर की दूरी बनाकर खड़े होते हैं। हमारे स्वयंसेवक भी सफाई रखने में ध्यान देते हैं।" उन्होंने बतलाया कि जिनकी वे मदद कर रहे हैं वे सभी दूसरे धर्म के लोग हैं और उनमें 700 मुसलमान लोग भी हैं।

मोहम्मद यूसेफ ने कहा कि हमारा समुदाय ख्रीस्तियों के प्रति सचमुच आभारी है जो इस कठिन समय में हमारे साथ खड़े हैं। "आपके वचन और कार्य एक साथ चलते हैं। आप जो शिक्षा देते हैं उसे साक्षात् में जीते भी हैं। आप जो शिक्षा देते और काम करते हैं उसमें कोई विरोधाभास नहीं है।"

मदद किये जाने वालों में दूसरे लोग हैं झारखंड और बिहार के रिक्शा चालक एवं आदिवासी, जिनकी मदद स्वयंसेवक दल के 14 सदस्यों ने की है। वे पास्का रविवार को पुनः काम शुरू किये। 

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18 April 2020, 15:11