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सारजा रेगिस्तान में पेड़ के नीचे आराम करते ऊंट सारजा रेगिस्तान में पेड़ के नीचे आराम करते ऊंट 

'लौदातो ट्री प्रोजेक्ट' का लक्ष्यः एक हरा-भरा भविष्य

10 मई 1980 में संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने अफ्रीका की पहली प्रेरितिक यात्रा के दौरान सूखाग्रस्त साहेल के लोगों की पीड़ा पर ध्यान देने हेतु अपील की थी। रविवार को संत पापा फ्राँसिस ने संत पापा जॉन पॉल द्वितीय की अपील की याद कराते हुए 'लौदातो सी' की भावना में शुष्क क्षेत्र में खराब स्थितियों और जलवायु परिवर्तन से लड़ने वाली परियोजनाओं के लिए प्रतिबद्ध युवाओं को प्रोत्साहित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 11 मई 2020 ( वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को अफ्रीका में संत पापा जॉन पॉल द्वितीय की पहली प्रेरितिक यात्रा की 40 वीं वर्षगांठ को याद किया, जिसके दौरान उन्होंने साहेल क्षेत्र के लोगों की दुर्दशा के प्रति दुनिया का ध्यान केंद्रित कराया था, जो सूखा और इसके विनाशकारी परिणामों से पीड़ित थे।

'लौदातो ट्री प्रोजेक्ट'

 'लौदातो ट्री प्रोजेक्ट' एक तरफ दुनिया के सबसे गरीब लोगों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को उजागर करता है, तो दूसरी तरफ यह आयरलैंड गणराज्य में नए पेड़ लगाने के लिए सक्रिय रूप से धन जुटा रहा है और साथ ही, अधिक महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रहा है। अफ्रीका में यह प्रोजेक्ट ‘ग्रेट ग्रीन वॉल’ के नाम से जाना जाता है।

सोसाइटी ऑफ अफ्रीकन मिशन्स द्वारा संचालित, इस  पहल द्वारा 2018 में संत पापा फ्राँसिस की आयरलैंड यात्रा को स्थायी विरासत बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

अपनी स्थापना के बाद से, इस परियोजना ने आयरिश युवाओं को, खासकर स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों को प्रभावित किया है जो जलवायु परिवर्तन से जुड़ी आपदाओं से भली-भांति वाकिफ हैं। आयरलैंड में वृक्षों का क्षेत्र यूरोप में सबसे कम है।

‘ग्रेट ग्रीन वॉल’

अफ्रीका में ‘ग्रेट ग्रीन वॉल’ परियोजना का लक्ष्य हजारों किलोमीटर पेड़ लगाना है, जो पूरा होने पर पश्चिम में सेनेगल से लेकर पूर्व में सोमालिया तक 13 देशों में फैला होगा। सहारा के दक्षिण सुहेल क्षेत्र को हरे-भरे इलाकों में बदलने का इरादा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह विचार जलवायु संकट को देखते हुए महाद्वीप के लिए एक जीवन रेखा हो सकता है जिसने मरुस्थलीकरण को बढ़ा दिया है। यह आशा की जाती है कि ग्रेट ग्रीन वॉल, जब एक दशक में पूरी हो जाएगी, तो यह 'पृथ्वी की सबसे बड़ी संरचना' होगी। इसके अलावा, पेड़ों की वृद्धि खाद्य आपूर्ति और घरेलू अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण फल, बीज और बादाम की खेती करने में मदद मिलेगी।

इस परियोजना द्वारा डाका नदी के क्षेत्र में 200,000 से अधिक पेड़ लगाए गए हैं और अन्य 125,000 पेड़ स्थानीय समुदायों की मदद से जिलाये गये हैं।

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11 May 2020, 16:10