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प्रदर्शन करते भारत के ख्रीस्तीय प्रदर्शन करते भारत के ख्रीस्तीय  (ANSA)

भारतीय ख्रीस्तियों ने पुलिस सर्वे रोकने की मांग की है

असम राज्य पुलिस, ख्रीस्तियों, उनके गिरजाघरों, संस्थानों और धर्मांतरण गतिविधियों के बारे में विवरण एकत्र कर रही है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य में एक ख्रीस्तीय समुदाय ने पुलिस द्वारा समुदाय, उनके गिरजाघरों, अन्य संस्थानों और तथाकथित धार्मिक रूपांतरण गतिविधियों पर विवरण एकत्र करने के लिए एक गुप्त सर्वेक्षण को रोकने की मांग की है।

गोलाघाट जिले में यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) ने 20 जनवरी को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को पत्र लिखकर जिले की पुलिस को ख्रीस्तियों को परेशान करने से रोकने के लिए एक निर्देश जारी करने का आग्रह किया।

पुलिस ने गोलाघाट जिले के पुलिस उपाधीक्षक दीपक तामुली के साथ ऐसा कोई भी सर्वेक्षण करने से इनकार किया है और स्थानीय मीडिया को बताया है कि "ख्रीस्तीय या उनके गिरजाघरों का कोई सर्वेक्षण नहीं चल रहा है।" यूसीएफ की याचिका पर इसके अध्यक्ष, जिडेन आईंद और सचिव, लीडर टोप्पो ने हस्ताक्षर किए हैं, जिन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ पुलिस अधिकारी जिले में चर्चों पर, उनके धर्मगुरूओं और धर्मांतरण गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्र करने में शामिल हैं।

उन्होंने कहा है कि "इस तरह के उत्पीड़न की सूचना पूरे राज्य में मिली है।"

जानकारी 2 जनवरी से व्यक्तिगत रूप से मुलाकातकर, या सेल फोन पर भेजे गए संदेशों के माध्यम से एकत्र की गई है, जिसने गोलाघाट में ख्रीस्तीयों को "भ्रमित और परेशान" कर दिया है।

उन्होंने मुख्यमंत्री को सौंपी गई याचिका में कहा, “इसलिए, हम विनम्रतापूर्वक आपसे अनुरोध करते हैं कि कृपया हस्तक्षेप करें और हमारी शिकायतों का समाधान करें। एक शांतिप्रिय और सेवा करनेवाले समुदाय के रूप में हम आपसे संवैधानिक गारंटी का पालन करने की मांग करते हैं।”

आईंद ने २४ जनवरी को ऊका न्यूज को बतलाया कि “समुदाय बिलकुल डरा हुआ है कि पुलिस क्यों उनसे ये जानकारियाँ पूछ रही है और उनके बारे विस्तृत जानकारी एकत्रित कर रही है।”  

स्थानीय मीडिया ने ऐसी खबरे चलाईं हैं जिनमें कहा गया है कि ब्रह्मपुत्र नदी के एक द्वीप माजुली में "चर्च संरचनाओं" और "धर्म परिवर्तन" के बारे में जानकारी लेते हुए पुलिस ने कलीसिया के अधिकारियों को परेशान भी की है।

असम ख्रीस्तीय मंच के प्रवक्ता एलेन ब्रूक्स ने कहा कि इस तरह की परेशानी की बात पूरे राज्य में और खासकर, ग्रामीण इलाके में अधिक होने की शिकायत की गई है।

उन्होंने ऊका न्यूज से कहा, "यह पिछले साल 23 दिसंबर को मुख्यमंत्री द्वारा हमें दिए गए आश्वासन कि उनकी सरकार इस तरह की धमकी के खिलाफ है, इसके बावजूद हो रहा है।"

"हम सभी ख्रीस्तीय समुदायों से आग्रह करते हैं कि वे हमारे साथ जुड़ें।" ब्रूक्स ने कहा कि मुख्यमंत्री को भेजी गई यूसीएफ की याचिका राज्य के ईसाई समुदाय द्वारा महसूस किए गए दर्द और पीड़ा की अभिव्यक्ति है।

ब्रूक्स ने सभी ईसाइयों को "एक साथ खड़े होने और सामूहिक रूप से जवाब देने" का आह्वान किया है।

उन्होंने कहा, “एकता समय की आवश्यकता है। हम सभी ख्रीस्तीय समुदाय से अनुरोध करते हैं कि वे हमसे जुड़ें और हमें सूचित करते रहें ताकि हम सहयोग कर सकेंगे और एकजुट प्रतिक्रिया दे सकेंगे।

हिंदू समर्थक भारतीय जनता पार्टी से ताल्लुक रखनेवाले सरमा ने कहा कि उनका प्रशासन ख्रीस्तीय गतिविधियों का कोई सर्वेक्षण नहीं चाहता है।

असम में पुलिस विभाग द्वारा 16 दिसंबर को जारी सर्कुलर के बारे में पूछे जाने पर सरमा ने पत्रकारों से कहा, "मैं [पुलिस] सर्कुलर से खुद को पूरी तरह से अलग करता हूँ।"

सर्कुलर में राज्य के सभी जिलों में पुलिस को दिसंबर २०२२ तक सर्वेक्षण पूरा करना था।

असम में 31 मिलियन लोगों की आबादी में से ख्रीस्तीयों की कुल संख्या 3.74 प्रतिशत हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.3 प्रतिशत है।

 

 

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24 January 2023, 16:54