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दिल्ली में सामाजिक कार्यों में संलग्न धर्मबहनें : सिस्टर लता लकड़ा, सिस्टर दमयंती एक्का, सिस्टर मंजू कुलपुरम, सिस्टर अन्सी जॉर्ज, सिस्टर मनोरमा एक्का और सिस्टर रेजिना रोज़ारियो दिल्ली में सामाजिक कार्यों में संलग्न धर्मबहनें : सिस्टर लता लकड़ा, सिस्टर दमयंती एक्का, सिस्टर मंजू कुलपुरम, सिस्टर अन्सी जॉर्ज, सिस्टर मनोरमा एक्का और सिस्टर रेजिना रोज़ारियो  #SistersProject

बंदियों को मुक्ति का और गरीबों के बीच सुसमाचार का संदेश लाने का आह्वान

पवित्र क्रूस की दया की धर्मबहनें भारत में मानव तस्करी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। 2012 में, भारत में पवित्र क्रूस की दया की धर्मबहनों ने मानव तस्करी के शिकार लोगों की दुर्दशा में सीधे प्रवेश कर, उनके विरोध में काम करने के आह्वान को स्वीकार कर लिया और अब भारत के अनेक राज्यों में मानव तस्करी विरोधी परियोजनाओं में सक्रिय हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, मंगलवार 16 मई 2023 (वाटिकन न्यूज) : "ईश्वर का राज्य सभी के लिए मानव अधिकारों, न्याय, समानता, गरिमा, करुणा और शांति का राज्य है। आज, हम विशेष रूप से 'बंदियों को मुक्ति का और दरिद्रों को सुसमाचार सुनाते' हुए, उसके राज्य का निर्माण करने के लिए बुलाये गये हैं।(सीएफ, लूकस 4:18) विशेष रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं और बच्चों के दुखद और जटिल मानव शोषण की इस दुनिया में, महिलाओं और बच्चों की तस्करी उनकी गरिमा और अधिकारों का एक अश्लील अपमान है।"

इस प्रकार पवित्र क्रूस की दया की धर्मबहनों ने धर्मसंघ की महासभा 2008 में, मानव तस्करी, विशेष रूप से लड़कियों और महिलाओं की तस्करी के मुद्दे से निपटा। महासभा के प्रतिनिधियों ने एक साथ इस मुद्दे का विश्लेषण किया और इस आधुनिक समय की गुलामी और मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन का मुकाबला करने के तरीकों पर विचार किया। धर्मसमाज में गतिविधियों का समन्वय करने के लिए, उन्होंने स्विट्जरलैंड के इंगनबोल जनरलेट में एक समिति का गठन किया, जहाँ धर्मसमाज की स्थापना हुई थी।

भारत में पहला कदम

फिर, भारत में 2012 में आयोजित प्रोविंसों और विकारिएट के वरिष्ठों की कांग्रेस ने मानव तस्करी, विशेष रूप से लड़कियों और महिलाओं की तस्करी को रोकने की दिशा में एकसाथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया।

सिस्टर रेजिना रोजारियो कहती हैं, "इस अपराध को रोकने के प्रयासों को एकजुट करने के लिए संत पापा फ्राँसिस के आह्वान ने एक धर्मसमाज के रूप में हमारे प्रयासों को और मजबूत किया है। तस्करी की भारी समस्या को देखते हुए, स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठा कि संगठित अपराध के इतने बड़े नेटवर्क को रोकने में हमारी भूमिका क्या हो सकती है? एक छोटा समूह होने के नाते, हम जानती थीं कि हमें पहले से ही क्षेत्र में काम कर रहे अन्य समूहों में शामिल होकर काम करने की आवश्यकता है और इस तरह भारत के विभिन्न प्रांतों के सदस्यों के साथ दिल्ली में एक आम घर की स्थापना की गई। दिल्ली में कई संस्थाएँ (एनजीओ) विभिन्न स्तरों पर रोकथाम, बचाव, पुनर्वास, पुनर्एकीकरण के काम करते हैं। 2017 में, धर्मबहनों ने एक राष्ट्रीय समन्वयक के मार्गदर्शन में विभिन्न एनजीओ के साथ काम करना शुरू किया।

दिल्ली रेल्वे स्टेशन का एक दृश्य
दिल्ली रेल्वे स्टेशन का एक दृश्य

एक समय में एक बच्चा

इन एनजीओ के साथ मिलकर, धर्मबहनें नई दिल्ली और आनंद विहार रेलवे स्टेशनों पर बच्चों को तलाशने में सहयोग करती हैं। सिस्टर रेजिना बताती हैं, कि समाजसेवा कार्यकर्ताओं को आठ घंटे की ड्यूटी के साथ तीन शिफ्ट में बांटा गया है। "हम दो-दो करके बच्चों की तलाश में लग जाते हैं, कुछ बच्चे किसी कारण से घर से भाग जाते हैं और दूसरों को तस्करों द्वारा बाल श्रम, भीख मांगने, या यहां तक कि अंग व्यापार के लिए लाया जाता है। लड़कियों को अच्छी नौकरी और शादी का झांसा देकर शहर ले जाया जाता है। कुछ किशोर बहुत कम या बिना पैसे के सुखी जीवन का सपना लेकर शहर आते हैं। हम आम तौर पर रांची, पटना, पंजाब, उत्तर प्रदेश आदि से आने वाली लंबी रूट की ट्रेनों की निगरानी करते हैं, पाए गए अधिकांश बच्चे इन राज्यों से आते हैं। सितंबर 2021 से अक्टूबर 2022 तक हम 1350 बच्चों को बचाने में सफल रहे।"

दिल्ली और राजस्थान से बचाई गई दो लड़कियों को उनके गृह नगर सिलीगुड़ी ले जाने के लिए पुलिस को सौंपा जा रहा है
दिल्ली और राजस्थान से बचाई गई दो लड़कियों को उनके गृह नगर सिलीगुड़ी ले जाने के लिए पुलिस को सौंपा जा रहा है

सिस्टर रेजिना आगे बताती हैं, "रेलवे स्टेशन में इन बच्चों की पहचान करने के बाद, हम धीरे-धीरे उनसे संपर्क करते हैं और उनके साथ बातचीत शुरू करते हैं," “हम उन्हें अपने विश्वास में लेते हैं और यात्रा विवरण एवं उनके माता-पिता के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। उनसे सच्ची कहानी पाने में बहुत धैर्य और समय लगता है। हम उनकी काउंसलिंग करते हैं और उन्हें बाल तस्करी के बारे में जागरूक करते हैं। फिर, हम उनके माता-पिता से बात करते हैं और पुष्टि करते हैं कि क्या वे अपने बच्चे की यात्रा के बारे में जानते हैं? अगर वे शहर के भीतर या आसपास के हैं तो हम बच्चों को सीधे माता-पिता को सौंप देते हैं। अन्यथा हम उन्हें थाने में डेली डायरी एंट्री के लिए ले जाते हैं, उसके बाद उनकी मेडिकल जांच कराते हैं और फिर उन्हें होम ट्रेसिंग के लिए आश्रय गृहों में रखा जाता है। बच्चों को उनके परिवारों से मिलते हुए देखकर हमें बहुत संतुष्टि और खुशी मिलती है। अधिकांश माता-पिता रोते हैं जब उन्हें अच्छी खबर मिलती है कि उनका बच्चा हमारे साथ सुरक्षित है।”

सिस्टर दानम मेरी एक स्कूल में जागरूकता सत्र का संचालन करते हुए।
सिस्टर दानम मेरी एक स्कूल में जागरूकता सत्र का संचालन करते हुए।

आशा निवास पुनर्वास केंद्र, माझाटोली

झारखंड के माझाटोली में होली क्रॉस आशा निवास पुनर्वास केंद्र 2016 में खोला गया। वर्तमान में सिस्टर रजनी कुल्लू केंद्र का प्रबंधन करती हैं। इस केंद्र में बड़े शहरों में पाई गई बच्चियों और लड़कियों को रखा जाता है। यहाँ रहकर वे अपनी पढ़ाई जारी रखती हैं और कुछ प्रशिक्षण लेती हैं। धर्मबहनें बड़े शहरों में पलायन और तस्करी के विरोध में जागरूकता कार्यक्रम चलाती हैं, विभिन्न समूहों से मिलती हैं। 6 वर्षों की अवधि में, उन्होंने ऐसे 150 कार्यक्रम पूरे किए। सिस्टर रजनी कहती हैं कि धर्मबहनें घर-घर जाकर पता लगाती हैं कि किस गाँव से कितनी लड़कियाँ शहर काम करने गई हैं और कितनों के बारे में उनके माता-पिता को मालुम है या मालुम नहीं है कि वे कहाँ हैं। “प्रवास की प्रक्रिया में, कई लोगों की तस्करी की जाती है और वे कई वर्षों तक घर नहीं लौटते हैं। कुछ माता-पिता अपनी बेटियों को खोजने में हमारी मदद मांगने के लिए हमसे संपर्क करते हैं ताकि उन्हें वापस लाया जा सके।”

झारखंड, माझाटोली में पुनर्वास केंद्र में सिलाई का काम सीखती लड़कियाँ
झारखंड, माझाटोली में पुनर्वास केंद्र में सिलाई का काम सीखती लड़कियाँ

 धर्मबहनें उन लड़कियों के लिए आश्रय भी प्रदान करती हैं जो आय-सृजन गतिविधियों में भाग लेना चाहती हैं जैसे सिलाई का काम सीखना, मशरूम की खेती करना और मोमबत्ती बनाना। सिस्टर रजनी आगे कहती हैं, "हमारे साथ रहने के कारण, वे अपना आत्मविश्वास वापस पा लेती हैं और जब उनके परिवार के सदस्य उन्हें स्वीकार कर लेते हैं, तो उन्हें घर वापस भेज दिया जाता है।"

सिस्टर तेरेसा दोरजी और धर्मबहनों द्वारा मदद की गई लड़कियाँ
सिस्टर तेरेसा दोरजी और धर्मबहनों द्वारा मदद की गई लड़कियाँ

हंसक्वा में मानव तस्करी विरोधी गतिविधियाँ

सिस्टर तेरेसा दोरजी और अन्य धर्मबहनें हंसक्वा, दुलुछाट की अनपढ़ लड़कियों और बीच में पढ़ाई छोड़ देने वाली लड़कियों के साथ काम करती हैं, साथ ही "चाय बागानों और पहाड़ियों" की कुछ शिक्षित लड़कियों के साथ भी काम करती हैं। सिस्टर तेरेसा बताती हैं, "हम ज्यादातर गरीब लड़कियों की पहचान करके शहरों में पलायन की रोकथाम के लिए काम करती हैं, जो अपनी माध्यमिक शिक्षा या यहां तक कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर पर हैं। तस्करों द्वारा उन्हें महानगरों में अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देकर निशाना बनाया जाता है। चूंकि ये लड़कियां किसी भी पेशेवर प्रशिक्षण के लिए जाने और उपयुक्त नौकरी पाने में सक्षम नहीं होती हैं। इसलिए वे आसानी से तस्करों की बातों को मान लेती हैं और शहर चली जाती हैं।”

धर्मबहनें इन गरीब लड़कियों के प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, ताकि वे अपने परिवार की देखभाल कर सकें और अपना भविष्य बना सकें। अन्य अधिक जटिल मामलों में अधिक विशिष्ट हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है, जिसमें स्थानीय पुलिस से संपर्क करना, पीड़ितों के परिवारों का दौरा करना और उन्हें सलाह देना और मध्यस्थता शामिल है। स्थानीय क्षेत्र के लोगों को यह ज्ञात है कि यदि कोई युवती या लड़की किसी परेशानी में है तो धर्मबहनें उसकी हर संभव मदद करने के लिए तैयार हैं।

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16 May 2023, 16:34