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कार्डिनल रानियेरो कान्तालामेस्सा वाटिकन में चालीसाकालीन साधना के अवसर पर कार्डिनल रानियेरो कान्तालामेस्सा वाटिकन में चालीसाकालीन साधना के अवसर पर  

येसु का अनुसरण हमारी जीवनचर्या, कार्डिनल कान्तालामेस्सा

वाटिकन में जारी चालीसाकालीन साधना के दौरान शुक्रवार को अपने पाँचवे प्रवचन में हुए कार्डिनल रानियेरो कान्तालामेस्सा ने सन्त योहन रचित सुसमाचार में निहित इस धरती पर प्रभु येसु मसीह के अन्तिम उपदेश पर चिन्तन किया।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 22 मार्च 2024 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में जारी चालीसाकालीन साधना के दौरान शुक्रवार को अपने पाँचवे प्रवचन में हुए कार्डिनल रानियेरो कान्तालामेस्सा ने सन्त योहन रचित सुसमाचार में निहित इस धरती पर प्रभु येसु मसीह के अन्तिम उपदेश पर चिन्तन किया।

सन्त योहन रचित सुसमाचार के 14 वें अध्याय के छठवें पद के अनुसारः "मार्ग, सत्य और जीवन मैं ही हूं। मुझसे होकर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता", प्रभु येसु मसीह के इन शब्दों पर चिन्तन करते हुए चालीसाकालीन साधना में भाग ले रहे परमधर्मपीठीय धर्माधिकारियों से कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा कि प्रभु येसु ख्रीस्त ही मार्ग हैं, वे ही हमारी नियति हैं। उन्होंने कहा,  "मसीह हमारी यात्रा का मार्ग और गंतव्य है। पिता के शाश्वत वचन रूप में, वे सत्य और जीवन हैं;  तथा देहधारी शब्द रूप में, वे मार्ग है, उन्हीं का अनुसरण हमारी जीवन चर्या होनी चाहिये।"

ख्रीस्त का अनुसरण

ईशशास्त्री मार्टिन लूथर को उद्धृत कर कार्डिनल महोदय ने कहा कि येसु ख्रीस्त हमें पिता ईश्वर द्वारा दिया गया वरदान है जो केवल विश्वास के द्वारा ग्रहण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस धरती पर प्रभु येसु ख्रीस्त जिनसे मिले उनसे उन्होंने कहा कि वे उनका अनुसरण करें और अब वे हमसे भी यही कह रहे हैं कि हम अपने दैनिक जीवन में उनका अनुसरण करें। येसु कहते हैः "मेरे पीछे आओ," या "मेरा अनुसरण करो!"

कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा कि ख्रीस्त का अनुसरण जिसे ग्रीक भाषा में, अकोलौथिया कहा जाता है, एक असीमित विषय है। यह विषय चौथे सुसमाचार में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। येसु का अनुसरण करना लगभग उनमें विश्वास करने का पर्याय है। हालाँकि, विश्वास करना मन और इच्छा का एक दृष्टिकोण है; "रास्ते" की छवि विश्वास के एक महत्वपूर्ण पहलू पर प्रकाश डालती है, जो है "चलना, अग्रसर होना", अर्थात्, वह गतिशीलता जो ख्रीस्तीय जीवन की विशेषता होनी चाहिए और विश्वास का जीवन व्यक्ति के आचरण में व्यक्त होना चाहिये।

मसीह द्वारा अनुग्रह़

 मसीह के अनुसरण की विशेषता क्या है और यह किसी भी अन्य प्रकार के अनुसरण से अलग कैसे है, इस तथ्य पर चिन्तन करते हुए कार्डिनल ने कहा कि किसी कलाकार, दार्शनिक, विद्वान व्यक्ति के बारे में यह कहना आम बात है कि उसने इस या उस प्रसिद्ध गुरु के स्कूल में प्रशिक्षण लिया। यहां तक कि हम धर्मसमाजियों एवं धर्मसंघियों के बारे में भी कहा जाता है कि हमें विशिष्ट गुरुकलों में प्रशिक्षित किया गया था, कुछ बेनेडिक्ट से, कुछ डोमिनिक से, कुछ असीसी के सन्त फ्रांसिस से, कुछ लोयोला के येसु धर्मसमाज से आदि, आदि। तथापि, इस अनुसरण और मसीह के अनुसरण के बीच एक आवश्यक अंतर है, जो कि स्वयं सन्त योहन रचित सुसमाचार की प्रस्तावना के अंत में व्यक्त किया गया है। सन्त योहन कहते हैं: "संहिता तो मूसा द्वारा दी गई है, किन्तु अनुग्रह और सत्य येसु मसीह द्वारा मिला है।"  

मसीह से मिलती शक्ति

उन्होंने कहा कि सभी काथलिक धर्मसमाजियों एवं धर्मसंघियों को यह स्मरण रखना चाहिये कि नियम हमें हमारे संस्थापक के माध्यम से दिया गया था, लेकिन इस पर अमल करने की कृपा और शक्ति हमें केवल येसु मसीह से मिलती है। इसी प्रकार समान रूप से प्रभु ख्रीस्त के सभी अनुयायियों के लिये सन्त योहन के उन शब्दों का अर्थ और अधिक मौलिक हो उठता है और वह यह कि सुसमाचार हमें इस धरती पर येसु द्वारा दिया गया था, लेकिन इसका पालन करने और इस पर अमल करने की क्षमता हमें केवल पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त और उनके पवित्रआत्मा से मिलती है।

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22 March 2024, 10:58