मदर एलिस्वा: स्वर्गीय वैभव से ओतप्रोत
वाटिकन न्यूज
केरल, शनिवार 08 नवंबर 2025 (रेई) : केरल की पहली आदिवासी धर्मबहनों का धर्मसमाज, डिस्काल्ड कार्मेलाइट तृतीय ऑर्डर धर्मसमाज (टीओसीडी) और तेरेसियन कार्मेलाइट धर्मसमाज (सीटीसी) की संस्थापिका, ईशसेविका मदर एलिस्वा वाकायिल को शनिवार, 8 नवंबर को धन्य घोषित किया गया। कोच्चि के वल्लारपदम महागिरजाघर में स्थानीय समय शाम 4:30 बजे शुरू हुए इस समारोह की अध्यक्षता मलेशिया, पेनांग के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल सेबास्टियन फ्रांसिस ने की, जो संत पापा लियो 14वें के विशेष प्रतिनिधि हैं।
भारत में प्रेरितिक राजदूत, महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्डो जिरेली, वारापुड़ा के महाधर्माध्यक्ष, जोसेफ कलाथिपरम्बिल और कई धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मबहनों और हजारों की संख्या में लोकधर्मियों इस समारोह में भाग लिया।
भारत में महिलाओं के लिए प्रथम आदिवासी डिस्काल्ड कार्मेलाइट तृतीय ऑर्डर धर्मसमाज (टीओसीडी) की संस्थापिका, मदर एलिस्वा वाकायिल, केरल में महिलाओं के धार्मिक जीवन की अग्रणी थीं। धर्मसमाज की स्थापना के चौबीस वर्ष बाद, 1890 में, भारत में महिलाओं के लिए प्रथम कार्मेलाइट धर्मसमाज को रीति-रिवाजों के अनुसार विभाजित कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप दो धर्मसमाजों की स्थापना हुई: लैटिन रीति की तेरेसियन कार्मेलाइट धर्मसमाज (सीटीसी) और सिरो-मालाबार रीति की मदर ऑफ कार्मेल धर्मसमाज (सीएमसी)। धर्मबहन और संस्थापिका के रूप में, मदर एलिस्वा ने केरल की कलीसिया के इतिहास में एक निर्णायक योगदान दिया। उन्होंने इस क्षेत्र का पहला कॉन्वेंट स्कूल, एक बोर्डिंग स्कूल और लड़कियों के लिए एक अनाथालय शुरु किया, जिससे मूल्य-आधारित शिक्षा और समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ।
केरल के वेरापोली विकारिएट के ओचंथुरुथ में क्रूज़ मिलग्रिस पल्ली में, कुलीन व्यप्पिसरी कैपिथन परिवार में थॉमन और थांडा की पहली बेटी के रूप में 15 अक्टूबर, 1831 एलिस्वा का जन्म हुआ। उसने 1847 में कूनामावु पल्ली के वथारू वाकायिल से विवाह किया। 1850 में एक बेटी, अन्ना का जन्म हुआ। 1851 में अपने पति की अकाल मृत्यु के बाद, एलिस्वा ने 1852 से 1862 तक मननध्यान प्रार्थना के लिए समर्पित एकांत जीवन व्यतीत किया। इस अवधि के दौरान, उन्होंने समर्पित जीवन के लिए एक दिव्य आह्वान महसूस किया, जिसे उन्होंने 1862 में इतालवी मिशनरी फादर लियोपोल्ड बेकारो, ओसीडी के साथ साझा किया।
धर्मसमाज की स्थापना
फादर लियोपोल्ड ने उनका मामला महाधर्माध्यक्ष बर्नार्डिन बैक्सिनेली (ओसीडी), अपोस्टोलिक विकर के समक्ष प्रस्तुत किया, जिन्होंने सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के बाद, ओसीडी के सुपीरियर जनरल से एक धर्मसमाज स्थापित करने की अनुमति प्राप्त की। 12 फ़रवरी, 1866 को, महाधर्माध्यक्ष बर्नार्डिन बैक्सिनेली ने डिस्काल्ड कार्मेलाइट तृतीय ऑर्डर धर्मसमाज (टीओसीडी) के दस्तावेज पर आधिकारिक रूप से हस्ताक्षर किया, जिसमें एलिस्वा, अन्ना और थ्रेसिया को इसकी आधारशिला के रूप में नामित किया गया। अगले दिन, फादर लियोपोल्ड ने उन्हें कार्मेलाइट स्कैपुलर प्रदान किया। 14 फ़रवरी को, एक सीरो-मालाबार विधवा, मदर एलिस्वा स्वीकार की जाने वाली पहली सीरो-मालाबार उम्मीदवार बनीं, जिससे टीओसीडी लैटिन और सीरो-मालाबार दोनों रीति-रिवाजों के लिए एक धर्मसमाज बन गई। 1890 में, टीओसीडी धर्मसमाज को रीति-रिवाजों के आधार पर विभाजित कर दिया गया, जिससे दो अलग-अलग धर्मसमाज बने : तेरेसियन कार्मेलाइट धर्मसमाज (सीटीसी) और कार्मेल की माता का धर्मसमाज (सीएमसी)।
मदर एलिस्वा का करिश्मा
मदर एलिस्वा का विशेष करिश्मा ईश्वर के साथ उनका चिंतनशील मिलन था, जो दान और कलीसिया की सेवा के माध्यम से प्रकट होता था। उन्होंने अनासक्ति, विनम्रता और प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत किया और टीओसीडी के आध्यात्मिक आधार को आकार दिया। संस्थापिका के रूप में, उन्होंने वारापुड़ा और कूनाम्मावु के कॉन्वेंट में प्रथम सुपीरियर, नवसिखियों की निदेशिका, प्रोक्यूरेटर, शिक्षिका और अनाथालयों की निदेशिका के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने वारापुड़ा स्थित संत जोसेफ कॉन्वेंट को 23 वर्ष समर्पित किए, जहाँ 18 जुलाई, 1913 को उनका निधन हो गया।
19वीं सदी के केरल में, लड़कियों की शिक्षा लगभग न के बराबर थी, सामाजिक मानदंडों के कारण वे अपने घरों तक ही सीमित थीं। मदर एलिसवा ने इस अवधारणा में क्रांति ला दी जब उन्होंने पहला कॉन्वेंट बालिका विद्यालय स्थापित किया, जिसमें भाषा, गणित, धर्मशिक्षा, नैतिक शिक्षा, गृह व्यवस्था और हस्तशिल्प जैसे व्यापक पाठ्यक्रम शामिल थे। उन्होंने केरल की कलीसिया में प्रथम बालिका आवासीय विद्यालय और अनाथालय स्थापित करके महिलाओं को भी सशक्त बनाया। उनकी पहल ने कई कॉन्वेंट विद्यालयों, अनाथालयों और आवासीय विद्यालयों की नींव रखी, जिन्होंने उनके शैक्षिक और आध्यात्मिक आदर्श का अनुसरण किया। उनके द्वारा शुरू की गई मुकुट बनाने की परंपरा आज भी कूनम्मावु में जारी है।
6 मार्च, 2008 को उन्हें ईशसेविका घोषित किया गया और 8 नवंबर, 2023 को संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें आदरणीय (वेनरेबल) घोषित किया। 14 अप्रैल, 2025 को, अपने परमाध्यक्षीय कार्यकाल के बारहवें वर्ष में संत पापा फ्राँसिस ने मदर एलिस्वा की मध्यस्थता से हुए एक चमत्कार को मंजूरी दी। अब संत पापा लियो 14वें ने उनके धन्य घोषणा की तिथि 8 नवंबर, 2025 घोषित की है।
आज, उनकी विरासत डिस्काल्ड कार्मेलाइट के तृतीय ऑर्डर धर्मसमाज (टीओसीडी) और तेरेसियन कार्मेलाइट्स का धर्मसमाज (सीटीसी) के माध्यम से जीवित है। 11 प्रांतों और 78 धर्मप्रांतों के 223 कॉन्वेंटों में सेवारत 1,350 से ज़्यादा धर्मबहनों का यह धर्मसमाज अनेक देशों में सुसमाचार का प्रकाश फैलाता रहता है। मदर एलिस्वा का जीवन समर्पित व्यक्तियों और विश्वासियों, दोनों के लिए एक शाश्वत प्रेरणा है, जो विनम्रता, दानशीलता और ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति के गुणों को दर्शाता है।
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