इक्वाडोर: आदिवासी समुदायों तक पहुँचने के मिशन पर निकल पड़े हैं युवा
एलेना गुलिएल्मी
इक्वाडोर, मंगलवार 18 नवंबर 2025 (वाटिकन न्यूज) : "हम समुदायों को नहीं बदलते, बल्कि वे हमें बदलते हैं।" एक आइडेंटे मिशनरी और यूनिवर्सिडाड टेक्निका पार्टिकुलर डे लोजा विश्वविद्यालय मिशन की निदेशिका मोनिका काल्वा इक्वाडोर में आइडेंटे मिशन का वर्णन इस प्रकार करती हैं।
यह एक ऐसा मिशन है जो "आशा जगाता है, लेकिन सबसे बढ़कर युवाओं को कक्षा से बाहर निकलकर आदिवासी गाँवों में जीवन का अनुभव करने का अवसर देता है, जहाँ समुदायों का सरल विश्वास एक स्कूल और एक उद्घोषणा बन जाता है," जैसा कि ज़मोरा चिंचिपे की मिशनरी कार्ला एस्पार्ज़ा और इबारा की प्रिसिला नोले बताती हैं।
प्रारंभिक चरण
मिसियोन आइडेंटे इक्वाडोर (एमआईई) की स्थापना 2004 में हुई थी जब स्पेन, ब्राज़ील, पेरू और कोलंबिया के मिशनरियों का एक समूह, विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ, मिशन पैइस में भाग लेने के बाद चिली से लौटा था। उस अनुभव ने एक प्रश्न को जन्म दिया: "हम अपने लोगों की मदद के लिए यहाँ क्या कर सकते हैं?"
यह एक प्रक्रिया की शुरुआत थी। उन्होंने महसूस किया कि उनका कार्य केवल सामाजिक सहायता या स्वयंसेवी कार्य तक सीमित नहीं रह सकता, जो कभी-कभी केवल अंतरात्मा को शांत करने का काम करता है। इसे और आगे जाना था: सुसमाचार प्रचार और सेवा को मिलाकर, सबसे भूले-बिसरे गाँवों तक सुसमाचार पहुँचाना।
तब, ज़मोरा चिंचिपे प्रांत के पंगुई में पहले मिशन के दौरान, एक पुरोहित, जिसने इन युवाओं का अपनी पल्ली में स्वागत किया, अपने प्रवचन में कुछ ऐसा कहा जिसने सभी पर एक अमिट छाप छोड़ी: "पंगुई, तू विदा एस मिशन" (पंगुई, आपका जीवन ही मिशन है)।
वे शब्द प्रेरणा का स्रोत बन गए और वर्षों से, आदर्श वाक्य बन गए हैं जो आज भी इस अनुभव के साथ जुड़े हुए हैं: "इक्वाडोर, तु विदा एस मिशन" (इक्वाडोर, आपका जीवन ही मिशन है)।
ऐसे ज़ख्म जिन्हें भरने की ज़रूरत है
पानी या स्वास्थ्य सेवा से वंचित गाँव; ऐसे इलाके जहाँ सिर्फ़ बुज़ुर्ग रहते हैं; अपने ही खेतों पर पलने वाले परिवार और हिंसा से ग्रस्त कुछ अन्य। लोजा, सांतो दोमिंगो और इबारा के आइडेंटे मिशनरियों को यही सब झेलना पड़ा।
उनका लक्ष्य सब कुछ ठीक करना नहीं था, जो असंभव था; बल्कि वहाँ मौजूद रहना था: सुनना, साथ देना, साझा करना। वे समझ गए थे कि तात्कालिक समाधान सुझाने की ज़रूरत नहीं है। उनकी उपस्थिति से ही बदलाव आ सकता है।
युवाओं की देखभाल
विश्वविद्यालय के छात्रों को शामिल करना कोई छोटी बात नहीं, बल्कि मिशन का मूल था। छात्रों को "स्वयंसेवा" करने के लिए नहीं, बल्कि खुद को पूरी तरह से समर्पित करने के लिए बुलाया जाता है: बाहरी इलाकों में घूमना, अपने कौशल का उपयोग करके उन परिवारों की मदद करना जो उनका स्वागत करते हैं, और दैनिक जीवन की चुनौतियों को साझा करना।
साल दर साल, सैकड़ों युवा अपनी कक्षाओं और आरामदायक क्षेत्रों को पीछे छोड़कर यह जानने का विकल्प चुनते हैं कि एक 'विश्वविद्यालय' उद्घोषणा और मिशन का स्थान बन सकता है। और यह अनुभव घर लौटने पर भी समाप्त नहीं होता।
कई लोग सेवा के अन्य रूपों को जारी रखते हैं, वे जिन परिवारों से मिले थे, उनके संपर्क में रहते हैं, वे आध्यात्मिक संगति की प्रार्थना करते हैं, वे अपने अनुभव को अनुसंधान या सामाजिक नवाचार परियोजनाओं में बदलते हैं। कुछ तो अपनी बुलाहट भी खोज लेते हैं।
क्विटो के एक पुरोहित कहते हैं, "मैं अपने बुलावे के लिए मिशन आइडेंटे इक्वाडोर का आभारी हूँ।" और एक मठवासी धर्मबहन धन्यवाद देने के लिए लिखती हैं: यहीं पर उन्होंने अपनी बुलाहट को पहचाना।
युवाओं के बीच सुसमाचार प्रचार करने वाले समुदाय
यह मिशन एकतरफ़ा नहीं है। युवा मदद करने आते हैं, लेकिन उन्हें ही मदद मिलती है। ये समुदाय अपनी सच्ची आस्था से सिखाते हैं कि बिना अपनी खुशी खोए कम संसाधनों में गुज़ारा किया जा सकता है।
यह एक ऐसा झटका है जो गहरी छाप छोड़ता है: शहरी और सुरक्षित पृष्ठभूमि से आने वाले लोग खुद को गरीबी का सामना करते हुए पाते हैं, और साथ ही, एक ऐसी खुशी भी पाते हैं जो उन्हें बदल देती है।
पारिवारिक भावना और कलीसियाई संकेत
मिशन का रहस्य कार्यक्रम नहीं, बल्कि माहौल है। साझा प्रार्थना, साझा भोजन और परिवारों के सरल आतिथ्य से विकसित पारिवारिक भावना, वह वातावरण बन जाती है जो बाकी सब कुछ को संभव बनाती है। इबारा की रूथ ज़ोर देकर कहती हैं, "अगर हम साथ मिलकर अच्छी तरह रहते हैं, तो बाकी सब कुछ अपने आप हो जाता है।" मिशन कोई पूरा किया जाने वाला प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि एक समुदाय के रूप में जीने का अनुभव है।
21 वर्षों में, मिशन आइडेंटे इक्वाडोर ने 4,300 से ज़्यादा छात्रों की भागीदारी देखी है, लगभग 500 समुदायों तक पहुँच बनाई है और लगभग 30,000 परिवारों का साथ दिया है। परिस्थितियाँ रातोंरात नहीं बदल सकतीं: मिशनरी मोनिका और रूथ कहती हैं, "हम यह नहीं कह सकते कि सब कुछ ठीक हो जाएगा, यहाँ तक कि चिकित्सा देखभाल के दिनों में भी नहीं।"
इस अनुभव ने समुदायों के साथ स्थायी बंधनों को जन्म दिया है; समर्पित और पुरोहिताई जीवन के लिए आह्वान; साथ ही अनुसंधान, सामाजिक नवाचार और स्वयंसेवी परियोजनाएं भी हैं जो मिशन से कहीं आगे तक जारी रहती हैं।
प्रत्येक समुदाय में, मिशन, पल्ली के पुरोहित योजना का एक हिस्सा है, जहाँ पल्ली पुरोहितों के साथ सहयोग किया जाता है और स्थानीय नेताओं को प्रशिक्षित किया जाता है, जो फिर पल्ली की गतिविधियों में शामिल होते हैं। इसी अंतर्संबंध में मिशन को अर्थ और निरंतरता मिलती है: यह परियोजना इक्वाडोर के कलीसियाई जीवन का एक हिस्सा बन गई है, जो धर्मप्रांतों के माध्यम से हर साल छात्रों और मिशनरियों का स्वागत करता है।
जड़ें और भविष्य
आज, मिशन में पूरे इक्वाडोर के समर्पित पुरुषों और महिलाओं के चेहरे दिखाई देते हैं: लोजा और ज़मोरा चिंचिपे से लेकर इम्बाबुरा और क्विटो तक; तट से सिएरा तक, और अमेज़ोनियन पूर्व तक। मोनिका, कार्ला, प्रिसिला और सारा, अपने साथी यात्रियों जैसे थेओदोरो, सांत्यागो, जोस मारिया और लुइस दानियल के साथ, स्पेन, पेरू और निकारागुआ की समर्पित महिलाओं, जिनमें रोसारियो, क्रिस्टीना, पत्रिसिया, लुजान, एलीथ और फान्नरी शामिल हैं, के साथ जुड़ती हैं।
मूल की यह विविधता एक ऐसी उपस्थिति को दर्शाती है जो न केवल समुदायों तक पहुँचने में सक्षम है, बल्कि स्थानीय जड़ें जमाने और नए बुलाहटों को जन्म देने में भी सक्षम है।
यह एक ऐसा मोज़ाइक (पच्चीकारी) है जो दर्शाता है कि 20 साल पहले बोया गया एक बीज, कहानियों और क्षेत्रों को आपस में गुंथते हुए, बड़ा हो गया है। यह अब कुछ लोगों का मिशन नहीं रह गया है। यह एक ऐसा मिशन है जो पूरे देश का है।
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