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संत पापा पौल छठवें सभागार में आमदर्शन समारोह संत पापा पौल छठवें सभागार में आमदर्शन समारोह  (ANSA)

आमदर्शन में पोप : कलीसिया भटके लोगों को खोजने के लिए बुलायी गई है

संत पापा फ्राँसिस ने 18 जनवरी के आमदर्शन समारोह में प्रेरितिक उत्साह पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ाया और सभी विश्वासियों को निमंत्रण दिया कि वे भले चरवाहे का अनुकरण करते हुए खोये हुए सदस्यों को शत्रु के रूप में न देखें बल्कि उसे प्रभु के आनन्द का साक्ष्य देने का अवसर समझें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 11 जनवरी 2023 (रेई) - संत पापा ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्ठम सभागार में एकत्रित, सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

पिछले बुधवार को हमने “सुसमाचार प्रचार के उत्साह” पर धर्मशिक्षा के एक चक्र की शुरूआत की, उस प्रेरितिक उत्साह पर जो कलीसिया एवं हरेक ख्रीस्तीय में जान डालता है। आइये, आज हम सुसमाचार के अतुलनीय आदर्श : येसु पर नजर डालें।

ईश्वर के शब्द

ख्रीस्त जयन्ती का सुसमाचार पाठ उन्हें “ईश्वर के शब्द” के रूप में परिभाषित करता है। (योहन १,१) वे लोगोस, याने शब्द हैं जो येसु के एक महत्वपूर्ण आयाम पर प्रकाश डालता है। वास्तव में, शब्द को संचारित किया जाता है। इस तरह येसु, पिता के अनन्त शब्द हमारे पास आये। ख्रीस्त न केवल जीवन के शब्द हैं लेकिन अपने जीवन को शब्द बनाते, अर्थात् वे हमेशा पिता की ओर और हमारी ओर लौटते हैं।

संत पापा फ्राँसिस
संत पापा फ्राँसिस

यदि हम उनके दिनों को देखते हैं जिनका जिक्र सुसमाचार में किया गया है, तब हम प्रार्थना द्वारा पिता के साथ संयुक्ति को पहले स्थान पर पाते हैं। यही कारण था कि येसु सुबह जल्दी उठते थे, अंधकार में ही उठकर वे निर्जन प्रदेश में प्रार्थना करने जाते थे (मार. 1:35; लूक. 4:42) महत्वपूर्ण निर्णय एवं खास चुनाव वे प्रार्थना करने के बाद ही करते थे। (लूक.6:12; 9:18) विशेष रूप से, इस रिश्ते के भीतर, प्रार्थना में जो उन्हें आत्मा में पिता से जोड़ता है, येसु अपने मनुष्य होने का अर्थ खोजते हैं, और दुनिया में अपने अस्तित्व को हमारे लिए एक मिशन के रूप में देखते हैं।

संत पापा ने कहा, “उनके इस पहले कार्य पर गौर करना दिलचस्प है जिसको उन्होंने नाजरेथ में वर्षों तक छिपे जीवन के बाद किया है। येसु ने महान चमत्कार नहीं किया, उन्होंने कोई प्रभावशाली संदेश नहीं दिया लेकिन वे लोगों के साथ मिले जो योहन से बपतिस्मा लेने जा रहे थे। इस तरह वे हमें एक संकेत देते हैं कि वे इस दुनिया में क्या करनेवाले थे :  वे अपने आपको पापियों के लिए खर्च करने, बिना दूरी के खुद को हमारे साथ एकजुटता में रखने, जीवन को पूर्ण रूप से साझा करनेवाले थे।” अपने मिशन के बारे बोलते हुए वे कहेंगे, कि वे सेवा कराने नहीं बल्कि सेवा करने आये हैं (मार.10:45) एक दिन प्रार्थना करने के बाद येसु ने अपना पूरा समय ईश्वर के राज्य की घोषणा में व्यतीत किया तथा लोग, खासकर, सबसे गरीब, कमजोर, पापी एवं बीमार लोग (मार. 1:32-39) अर्थात् प्रार्थना में येसु पिता से मिलते हैं और उसके बाद मिशन, धर्मशिक्षा एवं ईश्वर के राज के लिए रास्ता दिखाने हेतु सभी लोगों से मिलते-जुलते हैं।

भला चरवाहा

अब, यदि हम उनकी जीवनशैली की एक छवि के साथ उनका प्रतिनिधित्व करना चाहेंगे, तो इसे खोजना हमारे लिए मुश्किल नहीं होगा: येसु स्वयं अपने को एक भला चरवाहा के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहते हैं, वे “अपनी भेड़ों के लिए अपना प्राण निछावर करते हैं।” (यो. 10:11) संत पापा ने कहा कि वास्तव में, चरवाहा बनना सिर्फ एक पेशा नहीं था जिसके लिए समय और कठिन परिश्रम की आवश्यकता थी बल्कि जीने का एक सही तरीका था। दिन के २४ घंटे अपनी भेड़ों के साथ रहना, उनका साथ देना, भेड़ों के साथ सोना, दुर्बल भेड़ों की देखभाल करना। दूसरे शब्दों में येसु हमारे लिए कोई छोटा काम नहीं करते बल्कि अपना सब कुछ दे देते हैं, अपना पूरा जीवन अर्पित करते हैं। उनका हृदय प्रेरितिक है। पूरे हृदय से गड़ेरिया का काम करते हैं।

आमदर्शन समारोह
आमदर्शन समारोह

वास्तव में, कलीसिया के कार्य का सार एक शब्द “प्रेरितिक” में अक्सर व्यक्त किया जाता है। और हमारे प्रेरितिक देखभाल का मूल्यांकन करने के लिए हमें हमारे आदर्श येसु भले चरवाहे से मुलाकात करना चाहिए। संत पापा ने चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “हम अपने आपसे पूछें : क्या हम प्रार्थना के स्रोत से पीते हुए उनका अनुकरण कर रहे हैं ताकि हमारा हृदय उनके समान हो सके? येसु के साथ संयुक्त होना जैसा कि मठवासी चौतार्द सलाह देते हैं, हर प्रेरिताई की आत्मा है जिसको येसु स्पष्ट शब्दों में अपने शिष्यों से कहते हैं : "मुझसे अलग रहकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।" (यो 15:5) यदि आप येसु के साथ हैं तो पायेंगे कि उनका प्रेरितिक हृदय हमेशा खोये, भटके और दूर चले गये लोगों के लिए धड़कता है। क्या हमारा हृदय इसके लिए धड़कता है? कितनी बार हमें उन लोगों के प्रति जो हमारे लिए थोड़े जटिल लगता है, "यह उनकी समस्या है, उसे खुद कर लेने दो...लेकिन येसु ऐसा कभी नहीं कहे। वे उन्हें खोजने गये। हरेक व्यक्ति, हर वंचित एवं पापी व्यक्ति के पास गये। इसके लिए उनपर दोषारोपन किया गया: कि वे पापियों के साथ खाते पीते हैं, जबकि इसके द्वारा उन्होंने पापियों के लिए ईश्वर की मुक्ति प्रदान की।  

साक्ष्य देने का एक अवसर

संत लूकस रचित सुसमाचार में खोई हुई भेड़ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि हम प्रेरितिक उत्साह में बढ़ना चाहते हैं तो हमें संत लूकस के अध्याय 15 पर ध्यान देना चाहिए। उसमें हम समझ सकते हैं कि प्रेरितिक उत्साह क्या है। हम उसमें पाते हैं कि ईश्वर अपनी भेड़ों के घेरे पर निगरानी नहीं रखते अथवा उन्हें डराते हैं जिससे कि वे न भाग जाएँ बल्कि यदि एक भेड़ निकलती और भटक जाती है तो वे उन्हें नहीं छोड़ते, वे उन्हें खोजने जाते हैं। वे नहीं कहते कि वह चली गई, “उसकी गलती है”, “उसका मामला है”। संत पापा ने कहा कि प्रेरितिक हृदय दूसरे तरह से प्रतिक्रिया व्यक्त करता है :  वह एक ओर स्वतंत्र छोड़ता, वहीं दूसरी ओर उनके लिए शोक मनाता है, वह उन्हें और भी अधिक प्यार करता है। प्रभु को पीड़ा होती है जब हम उनके हृदय से खुद को दूर कर लेते हैं। वे उनके लिए भी दुःख सहते हैं जो उनके प्रेम की सुन्दरता और उनके आलिंगन के सुखद एहसास को नहीं जानते। लेकिन अपनी पीड़ा के बदले वे अपने आपको पीछे नहीं खींच लेते बल्कि जोखिम उठाते हैं। वे 99 सुरक्षित भेड़ों को छोड़कर, उस अकेली खोई हुई भेड़ की खोज में निकलते हैं इस तरह वे जोखिम उठाते और तर्क से अलग काम करते हैं। वे एक चरवाहे के हृदय से, भटकी भेड़ों के लिए विषाद महसूस करते हैं।

आमदर्शन समारोह
आमदर्शन समारोह

संत पापा ने कहा, जब हम सुनते हैं कि किसी ने कलीसिया छोड़ दिया है तो उसके बारे हमारे मन में क्या विचार आता है? “जो करता है करने दो” जी नहीं। येसु हमें विषाद महसूस कराते हैं उनके लिए जो दूर चले गये हैं। वे गुस्सा या बदले की भावना नहीं रखते बल्कि विषाद महसूस करते हैं। येसु को हमारी याद आती है और यही ईश्वर का उत्साह है।

संत पापा ने चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “हम अपने आप से पूछें, क्या हमारा अनुभव येसु के समान है? शायद हम उन लोगों को विरोधी या शत्रु के रूप में देखते हैं जिन्होंने झुण्ड को छोड़ दिया है। नहीं, वे दूसरी ओर चले गये हैं उन्होंने विश्वास खो दिया है, नरक उनका इंतजार कर रहा है...” और हम शांत हैं। स्कूल में, कार्य क्षेत्र में, शहर की सड़कों पर मुलाकात करते हुए हम क्यों न सोचें कि हमारे पास एक पिता की खुशी का साक्ष्य देने का एक अच्छा अवसर है जो उन्हें प्यार करते और उन्हें कभी नहीं भूलते?

एक प्रेरितिक हृदय

संत पापा ने कलीसिया से बिछुड़ गये लोगों की याद करते हुए कहा, धर्मांतरण नहीं, लेकिन पिता के शब्द उनके पास पहुँचे और उनके साथ चले। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा, “सुसमाचार प्रचार धर्मांतरण नहीं है, धर्मांतरण कोई नास्तिक या धार्मिक अथवा सुसमाचार प्रचार का कृत्य नहीं है। उनके (कलीसिया से बिछुड़ गये लोग) लिए एक अच्छा शब्द है और हमें उसे कहना है। क्योंकि वह शब्द, येसु हमसे कहते हैं कि हम सभी लोगों तक पहुँचें, एक खुले हृदय के साथ, क्योंकि वे भी खुले हैं। शायद हमने लम्बे समय तक येसु का अनुसरण किया है, उन्हें प्यार किया है और उनके समान पीड़ा महसूस करते, उनके समान जोखिम उठाते, उनके समान प्रेरितिक हृदय रखते हैं तो यह धर्मांतरण का सवाल नहीं है, यह प्रेम करना है ताकि वे भी ईश्वर के प्रसन्नचित बेटे-बेटियाँ बन सकें।  

संत पापा ने प्रेरितिक हृदय प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, “आइये, हम उस कृपा के लिए प्रार्थना करें ताकि एक प्रेरितिक हृदय, खुला, सभी के निकट, उनके लिए ईश्वर के संदेश को लानेवाले बन सकें एवं ख्रीस्त में उनके लिए विषाद का अनुभव कर सकें। क्योंकि उस प्रेम के बिना - जो दुःख महसूस करता एवं जोखिम उठाता - हम सिर्फ अपने आपको प्यार करते रह जायेंगे। वैसे चरवाहे जो भेड़ों की देखरेख करने के बदले, सिर्फ अपनी चिंता करते, वे कम महत्वपूर्ण बातों में समय गवाँते हैं। अतः संत पापा ने सभी के चरवाहे बनने की सलाह दी।  

आमदर्शन समारोह
आमदर्शन समारोह

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18 January 2023, 16:54