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2022.03.14 संत पापा फ्राँसिस की डीआर कोंगो यात्रा का लोगो 2022.03.14 संत पापा फ्राँसिस की डीआर कोंगो यात्रा का लोगो 

संत पापा की डीआरसी प्रेरितिक यात्रा का आदर्श वाक्य "मसीह में सभी का मेल मिलाप"

संत पापा फ्राँसिस विदेश में अपनी 40वीं प्रेरितिक यात्रा पर हैं वे "शांति के तीर्थयात्री" के रूप में 31 जनवरी से 5 फरवरी तक कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और दक्षिण सूडान के लिए रवाना हुए।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

किशांसा, मंगलवार 31 जनवरी 2023 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 31 जनवरी सुबह डीआर कोंगो एवं दक्षिणी सूडान के लिए रवाना हुए। अपनी यात्रा से पहले ही रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान उन्होंने दो अफ्रीकी देशों के के नागर अधिकारियों और धर्माध्यक्षों को उनके निमंत्रण और उनकी यात्रा के लिए की गई तैयारियों के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही उन प्यारे लोगों को भी हार्दिक बधाई दी जो उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।

संत पापा फ्राँसिस अपनी प्रेरितिक यात्रा के पहला चरण 31 जनवरी से 3 फरवरी तक कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की राजधानी किंशासा में रहेंगे, वहाँ वे नागर अधिकारियों, पूर्व में संघर्ष के शिकार लोगों और स्थानीय  कलीसिया के धर्माधिकारियों से मुलाकात करेंगे।

अफ्रीकी महाद्वीप में  परमाध्यक्षों की प्रेरितिक यात्रा

अफ्रीकी महाद्वीप में पहली प्रेरितिक यात्रा संत पापा पॉल षष्टम ने की थी। उन्होंने की 1969 में युगांडा प्रेरितिक यात्रा की थी। संत पापा फ्राँसिस से पहले संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने 1980 और 1985 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य का दौरा किया था। उस समय यह देश ज़ाइरे नामक एक पूर्व बेल्जियम उपनिवेश था।

यह अफ्रीका की 20 वी प्रेरितिक यात्रा है, संत पापा फ्राँसिस की चौथी प्रेरितिक यात्रा है वे 2015 में केन्या, युगांडा और मध्य अफ्रीकी गणराज्य, मार्च 2019 में मोरक्को और बाद में उसी वर्ष मोजाम्बिक, मेडागास्कर और मॉरीशस गए थे।

अफ्रीका वह जगह है जहाँ दुनिया के लगभग 20% काथोलिक रहते हैं और यह प्रतिशत बढ़ता जा रहा है।

डीआरसी की प्रेरितिक यात्रा का लोगो

कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की यात्रा का लोगो, देश के मानचित्र की रूपरेखा डीआरसी और वाटिकन सिटी के ध्वज के रंगों के साथ प्रस्तुत की गई है। इसके भीतर देश की जैव विविधता के कुछ तत्वों को बनाया गया है, जैसे: ताड़, जो वास्तव में विजय, पुनर्जन्म और अमरत्व को व्यक्त करता है; पहाड़, पूरे देश में मौजूद हैं, विशेष रूप से पूर्वी भाग (गोमा) में जहां न्यारागोंगो ज्वालामुखी स्थित है; पानी, कांगो नदी और देश में मौजूद विभिन्न झीलों द्वारा दी गई संपत्ति के रूप में, पेड़, जो कांगो की सभी वनस्पतियों और ओकापी, आधा ज़ेबरा और आधा जिराफ़, डीआरसी का पशु प्रतीक है। बाईं ओर नीला क्रूस है, जो कुँवारी माता मरियम के प्रति कांगो के लोगों की भक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और नीचे तीन लोग भ्रातृत्व के प्रतीक हैं। क्रूस और कांगो के मानचित्र के बीच केंद्र में आशीर्वाद देते हुए संत पापा फ्राँसिस राष्ट्र के लिए एक अनुग्रह और एक महान खुशी का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोगो के नीचे प्रेरितिक यात्रा का आदर्श वाक्य: "मसीह में सभी का मेल मिलाप" और प्रेरितिक यात्रा की तिथि है।

कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य अफ्रीका महाद्वीप के मध्य में स्थित देश है, जिसका कुछ भू-भाग अटलांटिक महासागर से मिलता है। क्षेत्रफल के लिहाज से यह देश अफ्रीका महाद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा देश है। पड़ोसी देश कांगो गणराज्य से भिन्नता के लिए इस देश को अक्सर डीआर कांगो, डीआरसी या फिर राजधानी किन्शासा के नाम पर कांगो-किन्शासा के नाम से पुकारा जाता है। कांगो नाम कांगो नदी के नाम पर पड़ा है, जिसे जाएर नदी के नाम से भी जाना जाता है। कांगो भले ही मध्य अफ्रीका में बसा हो, लेकिन दक्षिण अफ्रीकी विकास समुदाय (एसएडीसी) नामक संगठन की बदौलत दक्षिणी अफ्रीका से आर्थिक और क्षेत्रीय रूप से जुड़ा हुआ है। इसकी सीमाएं उत्तर में मध्य अफ़्रीकी गणराज्य और सूडान, पूर्व में यूगांडा, रवांडा और अंगोला, पश्चिम में कांगो गणराज्य लगी हुई हैं। पूर्व में तंगानयिका झील इस देश को तंजानिया से अलग करती है।

कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य क्षेत्रफल के अनुसार विश्व का 11वाँ सबसे बड़ा देश है और फ़्रान्सीसी भाषा बोलने वाला सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में 48 धर्मप्रांत, 1,637 पल्लियाँ, 8694 पास्टोरल सेंटर हैं। धर्माध्यक्षों की कुल संख्या 62, धर्मप्रांतीय पुरोहितों की संख्या 4,216 धर्मसंघी पुरोहितों की संख्या 1,946, धर्मबहनों की संख्या 5,525, लोकधर्मी मिशनरी 237 और 124 समर्पित लोकधर्मी हैं।

किन्शासा महाधर्मप्रांत

किन्शासा अफ़्रीका के कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह शहर कांगो नदी के किनारे बसा हुआ है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह उप-सहारा अफ्रीका में सबसे बड़े शहर के रूप में उभरा, अंततः 1960 में स्वतंत्र गणराज्य की राजधानी बन गया। 1966 में, मोबुतु की सरकार के तहत, इसने अपना वर्तमान नाम शहर के पास एक छोटे से गाँव से लिया। आज, लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र और 15 मिलियन से अधिक की आबादी है।

किंशासा महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल फ्रिडोलिन अंबोंगो बेसुंगु, ओ.एफ.एम. हैं।  यह महाधर्मप्रांत 8,500 वर्ग किमी में स्थित है 7,253,356 काथलिक हैं, 160 पल्लियाँ, 94 गिरजाधर  413 ​​धर्मप्रांतीय पुरोहित, 140 सेमिनरी ब्रदर्स, 1,164 धर्मसंधी पुरोहित, 543 धर्मबहनें, 816 शैक्षणिक संस्थान; 86 चारिटी सेंटर हैं।

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31 January 2023, 15:54