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कम्बोडिया के बौद्ध भिक्षु और प्रतिनिधिमंडल के साथ संत पापा फ्राँसिस कम्बोडिया के बौद्ध भिक्षु और प्रतिनिधिमंडल के साथ संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

बौद्ध मठवासियों से पोप : वार्ता पारिस्थितिक परिवर्तन को बढ़ावा दे सकता है

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को वाटिकन में कम्बोडिया के बौद्ध प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया तथा मुलाकात में पारिस्थितिक जिम्मेदारी विकसित करने के तरीके के रूप में अंतरधार्मिक संवाद को प्रोत्साहित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, १९ जनवरी 23 (रेई) – कम्बोडिया के बौद्ध प्रतिनिधियों के एक दल ने बृहस्पतिवार को पोप फ्राँसिस से मुलाकात की, जो अंतरधार्मिक वार्ता को बढ़ावा देने के रूप में थी।

प्रतिनिधिमंडल को अपने संबोधन में, पोप ने धर्मों के बीच संवाद को बढ़ावा देने के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि समाज का यह महत्वपूर्ण तत्व लोगों को "भाई-बहनों के रूप में शांतिपूर्वक" जीने में मदद करता है।

उन्होंने "पारिस्थितिक परिवर्तन" के बैनर तले इकट्ठा होने के लिए दल की सराहना की, और इसे "पृथ्वी, हमारे आमघर की देखभाल के लिए बढ़ती संवेदनशीलता और चिंता का सकारात्मक संकेत" कहा।

समाधान हृदय परिवर्तन से शुरू होता है

संत पापा फ्राँसिस ने दुनियाभर के समाजों को पीड़ित करनेवाली कई बुराइयों के समाधान हेतु सभी धर्मों के विश्वासियों के एकजुट होने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, "गरीबी और हाशिये पर जीवनयापन करनेवालों की गरिमा के लिए सम्मान की कमी, हमारे समय में बहुत अधिक पीड़ा और निराशा का कारण बनती है। उन्हें व्यापक रणनीतियों के साथ लड़ा जाना चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण की नाजुकता के बारे में जागरूकता बढ़ सके।" उन्होंने कहा कि सृष्टि और हमारे पड़ोसी दोनों सम्मान के योग्य हैं लेकिन सकारात्मक परिवर्तन के लिए हृदय परिवर्तन, दृष्टिकोण एवं अभ्यासों की आवश्यकता है।

व्यक्तिगत मन-परिवर्तन

संत पापा ने कहा कि पारिस्थितिक परिवर्तन तभी शुरू हो सकता है जब हम "वर्तमान पर्यावरणीय संकट की मानवीय जड़ों" को स्पष्ट रूप से पहचानते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि केवल सच्चा पश्चाताप ही पृथ्वी को हानि पहुँचानेवाली विचारधाराओं और प्रथाओं पर रोक लगा सकता है, जिसमें लाभ की अत्यधिक खोज और एकजुटता की कमी शामिल हैं।

"पारिस्थितिक मन-परिवर्तन का उद्देश्य है दुनिया में जो कुछ हो रहा है उसे अपनी व्यक्तिगत पीड़ा समझना और यह पता लगाना कि हम में से प्रत्येक इसके बारे में क्या कर सकता है।"

धार्मिक परम्परा की समृद्धि

संत पापा फ्राँसिस ने कहा, अंतरधार्मिक संवाद विभिन्न धर्मों के लोगों को पारिस्थितिक जिम्मेदारी विकसित करने के लिए एक साथ काम करने में मदद करता है।

उन्होंने गौर किया कि भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों के लिए मेटा की प्रथाओं को छोड़ दिया है, जिसमें जीवित प्राणियों को नुकसान नहीं पहुँचाना और एक साधारण जीवनशैली अपनाना शामिल है। इन प्रथाओं का पालन करके, "बौद्ध धर्मावलम्बी पृथ्वी पर, सभी प्राणियों और उनके निवास के लिए एक सहानुभूतिपूर्ण सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं।"

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय अपनी पारिस्थितिक जिम्मेदारी को पूरा करते हैं जब हम भरोसेमंद रखवाले के रूप में ईश्वर की सृष्टि की रक्षा करना चाहते हैं।

पोप की कृतज्ञता

कम्बोडिया के बौद्ध प्रतिनिधिमंडल को संत पापा फ्राँसिस ने रोम आने हेतु समय निकालने तथा वाटिकन के अंतरधार्मिक वार्ता विभाग के साथ जुड़ने के लिए धन्यवाद दिया।  

अंत में उन्होंने प्रतिनिधिमंडल एवं उनके देश पर ईश्वर के प्रचुर आशीष की कामना की।  

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19 January 2023, 15:40