रोम के अल्फोन्सियन अकादमी को संत पापा का संदेश
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
'संत अल्फोंसस : पिछड़े लोगों के चरवाहे एवं कलीसिया के धर्माचार्य' विषय पर रोम के अल्फोंसियन विद्यापीठ में आयोजित दो दिवसीय कोर्स के प्रतिभागियों को बृहस्पतिवार को सम्बोधित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने ठंढ़े, डेस्कटॉप नैतिकता के खिलाफ चेतावनी दी तथा हमारी आशा के लिए मकसद देने का आह्वान किया।
अल्फोंसियन अकादमी इटली की राजधानी रोम में स्थित नैतिक ईशशास्त्र का एक उच्च संस्थान है, जिसकी स्थापना 1949 में मुक्तिदाता धर्मसमाज के द्वारा की गई है। 1960 से, अकादमी ने परमधर्मपीठीय लातेरन विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र संकाय के एक भाग के रूप में नैतिक ईशशास्त्र में विशेषज्ञता प्राप्त की है। इस प्रकार, अकादमी नैतिक ईशशास्त्र (मोरल थेयोलॉजी) में लाइसेंस और डॉक्टरेट दोनों डिग्री प्रदान करती है।
अल्फोंसियन नैतिक प्रस्ताव
संत पापा ने अल्फोंस के नैतिक प्रस्ताव की प्रासंगिकता पर उनके सम्मेलन के अंत में और परमधर्मपीठीय संस्थान की नींव की 75वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर उनका स्वागत करने की खुशी व्यक्त की, जिसे वे 9 फरवरी 2024 को मनाएंगे।
संत पापा फ्राँसिस ने याद किया कि द्वितीय वाटिकन महासभा में कहा गया है कि पवित्र धर्मग्रंथ द्वारा पोषित नैतिक धर्मशास्त्र को विश्वासियों को दुनिया में ख्रीस्त की उदारता लाने के लिए उनकी बुलाहट की महानता को समझने में मदद करनी चाहिए।
"प्रत्येक धार्मिक-नैतिक प्रस्ताव की अंततः यह नींव होती है: यह ईश्वर का प्रेम है जो हमारा मार्गदर्शक है, हमारे व्यक्तिगत विकल्पों का मार्गदर्शक है और हमारी अस्तित्वगत यात्रा है।"
संत पापा ने कहा, "परिणामतः, नैतिक ईशशास्त्रियों, मिशनरियों और पापमोचकों को ईश्वर के लोगों के साथ एक जीवित संबंध में प्रवेश करने के लिए बुलाया जाता है, विशेष रूप से, कमजोर लोगों के रोने को लेकर, उनकी वास्तविक कठिनाइयों को समझने के लिए, अस्तित्व को उनके दृष्टिकोण से देखने के लिए और उन्हें उत्तर देने के लिए जो पिता के शाश्वत प्रेम के प्रकाश को दर्शाता है।"
संत पापा ने उनसे आग्रह किया कि वे हमेशा लोगों के करीब रहें, बिना किसी पर उंगली उठाए, उनकी चुनौतियों और संघर्षों में उनके साथ चलें।
एक ठंढ़ा, डेस्कटॉप नैतिकता
संत पापा ने गौर किया कि अल्फोंसियन परम्परा के विश्वासी ख्रीस्तीय जीवन का प्रस्ताव रखने की कोशिश करते हैं जो ईशशास्त्रीय चिंतन की मांग का सम्मान करते हुए, एक ठंढ़ा, डेस्टॉप नहीं है। जबकि प्रस्ताव जिसको वे देना चाहते हैं वह प्रेरितिक आत्मपरख का जवाब है जो करुणामय प्रेम से पोषित है, समझदारी, क्षमाशीलता, साथ देने और सबसे बढ़कर एकीकरण पर लक्षित है।
संत अल्फोंसस के काम को ध्यान में रखते हुए, पोप ने याद किया कि उनका सम्मेलन अंतरात्मा और इसके गठन की गतिशीलता पर चिंतन करके शुरू हुआ था, और कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है।
उन्होंने कहा, "वास्तव में, युग के जिस जटिल और तीव्र परिवर्तन से हम गुजर रहे हैं, केवल एक परिपक्व विवेक से संपन्न लोग ही समाज में, अपने भाइयों और बहनों की सेवा में एक स्वस्थ सुसमाचार नायकत्व का प्रयोग करने में सक्षम होंगे।"
हमारी आशा के लिए कारण देना
अंतःकरण, आखिरकार, वह स्थान है जहां हर आदमी 'ईश्वर के साथ अकेला है, जिसकी आवाज अंतरंगता में प्रतिध्वनित होती है।'
संत पापा ने उन्हें जैवनैतिकता और सामाजिक नैतिकता पर उनके चिंतन के लिए धन्यवाद दिया, उनकी समयबद्धता पर पहले से कहीं अधिक जोर दिया।
"पर्यावरण संकट, पारिस्थितिक बदलाव, युद्ध, एक वित्तीय प्रणाली जो लोगों के जीवन को नए गुलाम बनाने की स्थिति में ला सकता है, लोगों के बीच भाईचारे के निर्माण की चुनौती: इन मुद्दों को हमें अनुसंधान और संवाद के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।"
हाल के वर्षों में," उन्होंने कहा, "हमने प्रवासन और पीडोफिलिया जैसे गंभीर नैतिक मुद्दों का सामना किया है; आज हम दूसरों को जोड़ने की अत्यावश्यकता देखते हैं, जैसे कि कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित लाभ और वैश्विक शक्तियों का विभाजन। जो हमारे अंदर निहित आशा के लिए कारण देने है।"
संत पापा फ्राँसिस ने अकादमी को "ईश्वर के लोगों के साथ वैज्ञानिक कठोरता और निकटता का सामंजस्य स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि यह वास्तविक समस्याओं का ठोस उत्तर दे सके, और यह मानवीय नैतिक प्रस्तावों को तैयार कर सके, जो कि सत्य और लोगों की भलाई के प्रति चौकस हो। "
"पवित्र आत्मा आपको अंतरात्मा के सूत्रधार, उस आशा के शिक्षक बनने में मदद करे जो हृदय को खोलता है और ईश्वर की ओर ले जाता है।"