जल आपूर्ति मौलिक मानवाधिकार
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 24 मार्च 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): न्यूयॉर्क में जारी संयुक्त राष्ट्र संघीय जल सम्मेलन की रूपरेखा से जुड़े एक कार्यक्रम में भाग लेने वालों को प्रेषित सन्देश में संत पापा फ्राँसिस ने सब तक जल आपूर्ति के सार्वभौमिक मानव अधिकार को सुनिश्चित करने हेतु "ठोस और प्रभावी" कार्रवाई का आह्वान कर, कहा है कि जल की आपूर्ति जीवन का अधिकार है।
2010 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने जल की आपूर्ति को एक मौलिक मानवाधिकार घोषित किया था। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा मनाये जा रहे विश्व जल दिवस की पृष्ठभूमि में सन्त पापा फ्राँसिस ने स्वच्छ पेय जल और स्वच्छता तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करने के लिए नए सिरे से अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की तत्काल बहाली हेतु अपने आह्वान को दोहराया।
अनुभव और चुनौतियां
22 से 24 मार्च तक जारी संयुक्त राष्ट्र संघीय जल सम्मेलन तथा इससे जुड़े "जल और आशा: सतत विकास और हमारे सामान्य घर की देखभाल के प्रचार के लिए अनुभव और चुनौतियां" शीर्षक से जारी अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी को प्रेषित सन्देश में सन्त पापा ने कहा, "मानवता के अखण्ड विकास की आम सहमति बनाने के लिए सम्पूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सहयोग करना चाहिये।"
संगोष्ठी के वक्ता जल और विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए आज के विश्व के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों का समाधान पाने हेतु रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं। इनमें जल और जलवायु परिवर्तन; जल के मानव अधिकार की रक्षा में राष्ट्रों एवं सरकारों की भूमिका; देशज एवं स्वदेशी लोग तथा जल एक मानवाधिकार विषय प्रमुख हैं।
अपने संदेश में, सन्त पापा फ्रांसिस ने संगोष्ठी के आयोजन के लिए समर्थन व्यक्त किया और इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी आवाज उठाने के लिए एक साथ आने वाले विभिन्न संगठनों की प्रशंसा की। इन समूहों में अन्य लोगों के साथ-साथ, 2015 में आर्जेन्टीना में स्थापित प्रशिक्षण और विकास के लिए स्वच्छता कार्यकर्ता न्यास (फ्रूत्रासाफोड), स्वच्छ जल और स्वच्छता तक पहुंच के सार्वभौमिक अधिकार की वकालत करनेवाले एमाज़ोन के कलीसियाई सम्मेलन (सेआमा) तथा एमाज़ोन पर 2019 में सम्पन्न धर्माध्यक्षीय धर्मसभा से उभरे प्रस्तावों को लागू करने के लिए "एक प्रभावी साधन" के रूप में 2020 में निर्मित प्रबोधन क्वेरिदा एमाज़ोनिया" शामिल हैं।
सर्वांगीण विकास
सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि उक्त सम्मेलन मानवता के सर्वांगीण विकास के लिए ठोस और प्रभावी कार्रवाई की दिशा में मानवता के समक्ष आज प्रस्तुत "ख़तरनाक और नाटकीय" मुद्दों के समक्ष "आशा की एक नदी" है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और लगातार गहरी होती असमानताओं के परिणामों के लिए "ठोस और प्रभावी" कार्रवाई की आवश्यकता है, और इसलिए "मानवता के अखण्ड विकास" हेतु राष्ट्रों के बीच घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता है।
"22 मार्च को 'विश्व जल दिवस' के रूप में नामित किए जाने के तीस साल बाद इस अपरिहार्य संसाधन तक पहुंच पर डेटा, जलवायु परिवर्तन के परिणाम, बढ़ती असमानताएं, जैसे मुद्दे खतरनाक और दुखद हैं, इसलिए तत्काल कार्यवाई का आह्वान ठोस और प्रभावी कार्यों में परिणत होना चाहिये।
पानी जीवन का अधिकार
सन्त पापा फ्रांसिस ने आशा व्यक्त की कि न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन विश्व के लिए आवश्यक समाधान खोजने में समर्थ होगा ताकि, पानी और स्वच्छता तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करके, हम इस अधिकार को "पूरी तरह से प्राप्त कर सकें, जो "जीवन का अधिकार, भविष्य का, आशा का अधिकार है।" उन्होंने कहा, "हम जल और सबके लिये इसकी आपूर्ति पर विचार विमर्श से डर नहीं सकते, हमें अपने लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसके साथ आगे बढ़ते रहना हेगा।"