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कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संत पापा फ्राँसिस कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संत पापा फ्राँसिस  (AFP or licensors)

"हैंड्स ऑफ अफ्रीका!" संत पापा की नई किताब दुकान में आ रही है

संत पापा फ्राँसिस की एक नई किताब प्रकाशित की गई है जिसमें संत पापा ने पश्चिमी शक्तियों द्वारा अफ्रीका के निरंतर शोषण की निंदा की है और इस किताब की प्रस्तावना नाइजीरियाई नारीवादी लेखिका चिम्मांडा न्गोज़ी एडिची ने लिखी है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी  

वाटिकन सिटी, मंगलवार 23 मई 2023 (वाटिकन न्यूज) :  "अफ्रीका से दूर रहें! अफ्रीका का दम घोंटना बंद करें: यह शोषण की जाने वाली खदान या लूटी जाने वाली भूमि नहीं है। अफ्रीका अपने भाग्य का नायक खुद बनो!" इस साल की शुरुआत में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में अपनी प्रेरितिक यात्रा के पहले दिन के संत पापा फ्राँसिस के शब्द थे।

22 मई को वाटिकन पब्लिशिंग हाउस ने एक नई किताब के विमोचन की घोषणा की - जो इतालवी में लिखी गई है “हैंड्स ऑफ अफ्रीका!” इस किताब में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की यात्रा के दौरान संत पापा के सभी संदेशों और दक्षिण सूडान की यात्रा के तुरंत बाद के उनके संदेशों को एकत्रित किया गया है।

हालाँकि, महत्वपूर्ण रूप से, पुस्तक में न केवल संत पापा की आवाज़ है, बल्कि उन लोगों की भी है जिनसे वे अपनी यात्रा के दौरान मिले थे। डीआरसी और दक्षिण सूडान दोनों ही देश संघर्ष से गंभीर रुप से प्रभावित है। संत पापा फ्राँसिस ने युद्ध पीड़ितों की गवाही सुनी और उनकी कहानियाँ भी, खंडों में प्रस्तुत की गई हैं।

 प्रस्तावना, नाइजीरियाई नारीवादी लेखिका चिम्मांडा न्गोजी अदिची द्वारा लिखी गई है, जिन्होंने कहा कि पुस्तक "मुझे कांगो के लिए आशा की एक छोटी सी ज़ुल्फ़ लाती है और प्यारे एवं टूटे-फूटे महाद्वीप के लिए जिसे मैं अपना घर कहती हूँ।"

एक 'शांति की तीर्थयात्रा'

संत पापा फ्राँसिस ने इस वर्ष 31 जनवरी से 5 फरवरी तक डीआरसी और दक्षिण सूडान का प्रेरितिक दौरा किया। सप्ताह भर की यात्रा, जिसे उन्होंने 'शांति की तीर्थयात्रा' के रूप में संदर्भित किया, जिसका उद्देश्य संघर्ष-ग्रस्त देशों में सुलह को बढ़ावा देने के साथ-साथ विदेशी हस्तक्षेप से उनकी स्वतंत्रता को बढ़ावा देना था।

डीआरसी में, उन्होंने सरकारी अधिकारियों, धर्माध्यक्षों और युवाओं से मुलाकात की और कहा कि अफ्रीका के "राजनीतिक उपनिवेशवाद" का स्थान "आर्थिक उपनिवेशवाद" ने ले लिया है, जिसे उन्होंने "समान रूप से दासता" कहा।

इस बीच, दक्षिण सूडान में, उन्होंने सामंती राजनेताओं को संबोधित किया, जिनके बीच संघर्ष ने देश को तबाह कर दिया, इस बात पर जोर दिया कि "अब यह कहने का समय आ गया है: इस तरह का संघर्ष अब और नहीं!"

वे कहती हैं कि, स्थिति की सबसे बड़ी त्रासदी, "आंतरिक संघर्ष नहीं बल्कि दुनिया की चुप्पी" है, जो "एक ऐसी दुनिया द्वारा अफ्रीकी मानवता के निरंतर अवमूल्यन की बात करती है जो फिर भी उत्सुकता से अफ्रीकी संसाधनों का उपभोग करती है।" इस संदर्भ में, वे कहती हैं, कि संत पापा फ्राँसिस की डीआरसी की यात्रा और वहां उनके "शक्तिशाली" संदेश, धनी राष्ट्रों के लिए "एक आवश्यक फटकार" के रूप में पढ़े जाते हैं।

आगे वे लिखती हैं, "उनका संदेश केवल कांगो और अफ्रीका में ही मायने नहीं रखता है, लेकिन यह केवल एक कारण के लिए मायने रखता है। अपने संसाधनों के लिए नहीं, जिस पर वैश्विक उत्तर निर्भर करता है, इस डर के लिए नहीं कि महाद्वीप शीत युद्ध के दौरान हुई पश्चिमी छद्म लड़ाई का दृश्य फिर से बन सकता है, लेकिन केवल लोगों की वजह से अफ्रीका मायने रखता है क्योंकि अफ्रीकी मायने रखते हैं।”

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23 May 2023, 16:33