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संत पापाः हम अपनी जड़ों को न भूलें

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में हंगरी की अपनी प्रेरितिक यात्रा का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो।

मैं तीन दिन पहले हंगरी की तीर्थयात्रा पूरी कर लौटा। मैं उस सभों के प्रति अपनी कृतज्ञता के भाव व्यक्त करना चाहता हूँ जिन्होंने इसकी तैयारी की और प्रार्थना के जरिये मेरा साथ दिया। संत पापा ने इस यादगार भरी यात्रा के लिए हंगरी के अधिकारियों, स्थानीय कलीसिया के अगुवों और हंगरी के साहसी नागरिकों के प्रति पुनः अपने धन्यवाद के भाव प्रकट किये। “बुडापेस्ट में रूकने के दौरान मैं पूरे हंगरीवासियों के स्नेह को अनुभव कर सकता था।” उन्हें इस प्रेरितिक यात्रा को दो चिन्हों- जड़ें और सेतुओं के रुप में सभों के संग साझा किया।

हमारी जड़ें  

संत पापा योहन पौलुस द्वितीय के शब्दों को उद्धरित करते हुए संत पापा ने जड़ों के संबंध में कहा, “मैं एक तीर्थयात्री की भांति उन लोगों के पास गया जिनका इतिहास असंख्य संतों और नयकों से भरा है जो अपने में नम्र और मेहनती हैं।” यह सत्य हैं, मैंने बहुत से नम्र और कठिन परिश्रम करने वालों को देखा जो गर्व से अपनी जड़ों में अपने को बनाये रखते हैं। इन जड़ों में, जैसे कि स्थानीय कलीसिया और युवाओं से मिलन के दौरान, इसे स्पष्ट रुप में साक्ष्य स्वरूप प्रकट किया गया, इसमें सर्वप्रथम संतगण आते हैं, वे संतगण जिन्होंने लोगों के लिए अपने जीवन को अर्पित किया, संतगण जिन्होंने सुसमाचार के प्रति अपने प्रेम का साक्ष्य प्रस्तुत किया, वे अंधेरे समय में ज्योति की तरह रहे, उस समय के बहुत से संत आज भी हमें पराजयवाद और भविष्य के भय से विजय होने का संदेश देते हैं क्योंकि ख्रीस्त हमारे भविष्य हैं। संतगण हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि ख्रीस्त हमारे भविष्य हैं।

हंगरी की मजबूत जड़ें

संत पापा ने कहा कि यद्यपि हंगरीवासियों के मजबूत ख्रीस्तीय विश्वास के जड़ों की परीक्षा ली गई है। उनके विश्वास को आग में तपाया गया है। वास्त्व में, 20वी सदी के अविश्वासी सतावट के समय, ख्रीस्तियों को उनके धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मबंधुओं और लोकधर्मियों के संग मौत के घात उतारा गया या उन्हें अपने विश्वास से वंचित किया गया। और जबकि विश्वास के वृक्ष को काटने का प्रयास किया गया, जड़ें अपने में जस के तस बनी रहीं, एक गुप्त कलीसिया अपने में निष्ठावान, सजीव, सुसमाचार में मजबूत बनी रही। हंगरी में, यह साम्यवादी उत्पीड़न नाज़ी उत्पीड़न से पहले था, जिसमें एक बड़ी यहूदी आबादी का दुखद निर्वासन हुआ। लेकिन उस नृशंस नरसंहार में, कई लोगों ने प्रतिरोध और पीड़ितों की रक्षा करने की अपनी क्षमता से खुद को प्रतिष्ठित किया; और यह इसलिए संभव हो सका क्योंकि एक साथ रहने की उनकी जड़ें अपने में सुदृढ़ थीं। संत पापा ने हंगरी की एक कावित्री एडिथ ब्रुक का जिक्र किया जो रोम में रहती और आज अपना 92 सालगिराह मनाती हैं, वे युवाओं को अपने लेखों के माध्यम युवाओं को एक आदर्श की लड़ाई में बने रहने को प्रत्साहित करती हैं जिससे वे प्रताड़ना और निराश से हार न मानें।

यूरोप की समस्या

संत पापा ने कहा कि आज भी जैसे कि युवाओं और विश्व संस्कृति से मिलन के दौरान यह बात उभर का आयी, हमारी स्वतंत्रता खतरे में हैं। कैसेॽ मुख्य रुप से सफेद दस्ताने के साथ, एक भौतिकतावाद से जो असंवेदनशील हो जाता, जहाँ कोई थोड़ी भौतिक भलाई से संतुष्ट होता है और, अतीत को भूलकर, वर्तमान में “तैरता” है जो व्यक्तिगत माप का एक आधार बनता है। यह दुनियादारी का खतरनाक उत्पीड़न है जो उपभोक्तावाद में बढ़ता है। लेकिन केवल एक ही बात का महत्वपूर्ण होना जहाँ हम सिर्फ अपने बारे में सोचते और उन चीजों को करते हैं जो हमें केवल अच्छी लगती हैं तो यह जड़ों का गलाघोंट देता है। “यह पूरे यूरोप की समस्या है जहाँ अपने को दूसरों के लिए समर्पित करना, सामुदायिकता की अनुभूति, एक साथ सपने देखना और संयुक्त परिवारों के संग रहना जटिल हो गया है।” अतः हम जड़ों को सुरक्षित रखने के महत्वपूर्णतः पर चिंतन करें क्योंकि केवल गहराई में जाने से ही शाखाएं ऊपर की ओर बढ़ती और फलहित होती हैं। संत पापा ने सभों को इस विषय पर चिंतन करने का आहृवान करते हुए कहा कि हमारे जीवन की अति महत्वपूर्ण जड़ें कौन-सी हैंॽ क्या मैं उन्हें याद करता हूँ, क्या मैं उनकी देख-रेख करता हूँॽ

जड़ें सेतु बनने में सहायक

जड़ों के बाद दूसरा चिन्ह सेतुओं का आता है। बुडापेस्ट का जन्म 150 वर्ष पूर्व तीन शहरों के मिलन से हुआ, यह सेतुओं के लिए विख्यात है जो इसे और इसके विभिन्न भागों को जोड़ता है। इसकी चर्चा विशेष रूप से अधिकारियों के संग भेंटवार्ता में की गई, जो हमारा ध्यान विभिन्न लोगों के बीच शांति के सेतुओं का निर्माण करने की महत्वपूर्णतः को दिखलाता है। संत पापा ने कहा, “शांति का सेतु बनना,” यह विशेष रूप से यूरोप की बुलाहट है”, जहाँ हम विभिन्नताओं और उनका स्वागत करने के लिए बुलाये गये हैं जो हमारे द्वारों को खटखटाते हैं। इस अर्थ में, संत पापा ने मानवता के सुन्दर सेतु की चर्चा करते हुए हंगरी कलीसिया के संयुक्त करूणामय प्रेरितिक कार्यों की प्रंशसा की जो पड़ोसी यूक्रेन के शारणार्थियों के लिए तैयार किया गया है।

हंगरी की प्रतिबद्धता

संत पापा ने कहा कि हंगरी भविष्य में सेतुओं का निर्माण करने को तैयार प्रतिबद्ध है, यह पारिस्थितिक देखभाल और एक स्थायी भविष्य के लिए बड़ी चिंता करता है, और पीढ़ियों के बीच, बुजुर्गों और युवाओं के बीच पुल निर्माण कार्य जारी है, यह एक ऐसी चुनौती जिसे आज कोई भी त्याग नहीं सकता है। हम कलीसिया को भी विभिन्न लोगों के मध्य पुल का निर्माण करते हुए समर्पित पाते हैं, क्योंकि येसु ख्रीस्त को घोषित करना केवल अतीत के दुहरावे में बना नहीं रह सकता है बल्कि यह सदैव नवनीकरण की मांग करता है जिससे यह हमारे समय के नर और नारी के लिए येसु को पुनः खोज करने में सहायक हो सके।

मिस्मा बलिदान एक सेतु    

संत पापा ने कृतज्ञतापूर्ण हृदय से यूनानी-काथलिक समुदाय के संग सुन्दर यूखारीस्तीय धर्मविधि की याद की जो विश्वासियों के लिए सेतुओं के निर्माण स्वरुप रहा। रविवारीय धर्मविधि में विभिन्न रीतियों और देशों के लोगों ने साथ विभिन्न धर्मावलम्बियों ने भाग लिया जो हंगरी में अच्छी तरह मिलकर एक साथ कार्य करते हैं। संत पापा ने सुगंधित और एकता रूपी सेतुओं का निर्माण करने की बात कही।

अपनी इस प्रेरितिक यात्रा में संगीत के महत्व ने संत पापा का ध्यान आकर्षित किया जो हंगरी की संस्कृति का एक विशेष अंग है। अपनी धर्मशिक्षा के अंत में संत पापा ने हंगरी के लोगों का माता मरियम की भक्ति की ओर ध्यान आकर्षित कराया। हंगरी के प्रथम राजा, संत स्तीफन मरियम को समर्पित थे अतः हंगरीवासियों ने मरियम को आदर देने के संदर्भ में उनका नाम लिये बिना उन्हें हंगरी की रानी, शांति की रानी पुकारा। संत पापा ने कहा कि हम हंगरी की रानी, शांति की रानी, स्वर्ग की रानी के हाथों में इस प्रिय देश को समर्पित करते हैं, जिसे हम इस पास्का काल में पुकारते हैं। हम अपने हृदयों को उन्हें अर्पित करते हैं जिससे वे ईश्वर के प्रेम में बने रहें।

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03 May 2023, 15:53