संत पापा- भूमध्यसागर प्रांत आशा का मोजाईक
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।
पिछले सप्ताह के अंत में मैंने मार्सिले की यात्रा करते हुए भूमध्यसागरीय संगोष्टी के समापन में भाग लिया जिसमें बहुत से धर्माध्यक्षगण और भूमध्यसागर प्रांतीय आधिकारियों के अलावे बहुत से युवा शामिल थे जिससे उन्हें भविष्य हेतु नयी दृष्टिकोण प्राप्त हो सके। वास्तव में, मार्सिले के इस आयोजन की विषयवस्तु “मोज़ाईक ऑफ़ होप” आशा की पच्चीकारी थी। यह एक सपना है, एक चुनौती जो भूमध्यसागरीय प्रांत को अपनी बुलाहट की पुनः खोज करने का निमंत्रण देता है, जो अपने में सभ्यता और शांति की एक प्रयोगशाला है।
भूमध्यसागर सभ्यता और जीवन का उद्गम स्थल
संत पापा ने कहा कि भूमध्यसागर जैसे कि हम सभी जानते हैं सभ्यता और जीवन का उद्गम स्थल है। यह अपने में अस्वीकार्य है कि यह एक क्रबगाह बनें, और न ही युद्ध का एक स्थल। भूमध्यसागरीय प्रांत अपने में सभ्यताओं के मध्य संघर्ष, युद्ध, मानव व्यापार के एकदम विपरीत है। यह इससे पूरी तरह भिन्न है- भूमध्यसागर अफ्रीका, एशिया, और यूरोप के संग संचार का एक माध्यम है, इसे हम उत्तर और दक्षिण के बीच, पूरब और पश्चिम के मध्य, लोगों और संस्कृतियों, देशों और भाषाओं, दर्शनों औऱ धर्मों के बीच वार्ता के एक साधन स्वरुप पाते हैं। निःसंदेह, समुद्र सदैव एक गर्त की ओर इंगित कराता है जिस पर किसी न किसी तरह से काबू पाना होता है, और यह हमारे लिए खतरनाक भी हो सकता है। लेकिन इसका जल जीवन की समृद्धियों को सुरक्षित रखता है, इसकी लहरें और वायु में हम विभिन्न प्रकार के जहाजों को पाते हैं। इसके पूर्वी तट से, दो हज़ार साल पहले, हम येसु ख्रीस्त के सुसमाचार को पाते हैं।
संत पापा ने कहा कि निश्चय ही, यह जादूई रुप में नहीं हुआ, और न ही यह एक बार में सदैव के लिए पूरी हुई। यह एक यात्रा का फल रहा जिसे हर पीढ़ी, अपने समय की निशानियों और जीवन में देखते हुए, एक छोटे रुप में पूरा करने को बुलाई जाती है।
मानवता को बढ़ावा
मार्सिले की संगोष्टी सन् 2020 में बारी और विगत साल फ्लोरेन्स में हुई बैठक की तरह समापन हुई। यह कोई एक अलग घटना नहीं थी, बल्कि यह सन् 1950 के अंत में, फ्लोरेंस के मेयर जोर्जियो ला पीरा द्वारा आयोजित “मेडिटेरेनियन कोलोक्विया" के साथ शुरू हुई यात्रा को और एक कदम आगे ले चलना था। यह संत पापा पौल चतुर्थ के विश्व पत्र पोपुलोरूम प्रोग्रेसियो में किये गये अपील को एक कदम आगे ले जाना था, जो हमें “एक अधिक मानवीय विश्व समाज को बढ़ावा देने की मांग करता है, जहाँ सभी एक दूसरे के संग आदान-प्रदान कर सकते हैं, और जहाँ किसी का विकास दूसरों की कीमत पर खरीदी नहीं जाती हो।”
आशा के संचारक
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि मार्सिले की घटना का प्रभाव क्या रहा। उन्होंने कहा कि भूमध्यसागरीय संगोष्ठी से जो बात उभर कर आयी मैं उसे साधारण शब्दों में मानवीय की संज्ञा देता हूँ, यह न तो वैचारिक, न ही योजनारत, न राजनीतिक रूप से सही और न ही कोई साधन रहा, वरन यह मानवीय अर्थात हमने इसे हर चीज को व्यक्ति के प्राथमिक मूल्य और उसकी अनुल्लंघनीय गरिमा से जुड़ता हुआ पाया। वहीं हमने एक आशावादी दृष्टिकोण को उभरते पाया। यह अपने में बहुत ही आश्चर्यजनक है- जब हम उन लोगों के साक्ष्य को सुनते हैं जिन्होंने विभिन्न अमानवीय परिस्थितियों में जीवनयापन किया है या उसका शिकार हुए हैं, वे स्वयं अपने जीवन के द्वारा “आशा का साक्ष्य” देते हैं।
संत पापा ने कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, “यह आशा, यह भातृत्व हम से “विमुख” न हो, बल्कि यह हमें संगठित होने में मदद करे, यह हमें ठोस रुप में लम्बी, मध्य और अल्पकालीन कार्यों को करने में सहायता करे, जिससे लोग मानवीय सम्मान में प्रवासन करने या प्रवासन न करने का चुनाव कर सकें। भूमध्यसागर हमारे लिए आशा का एक संदेश बनें।
यूरोप की आवश्यकता
लेकिन एक दूसरा पूरक पहलू भी है- यूरोपीय समाज में हमें आशा को स्थापित करने की जरुरत है, विशेष रुप से नयी पीढ़ियों में। वास्तव में, हम दूसरों का स्वागत कैसे कर सकते हैं यदि हम स्वयं भविष्य की एक क्षितिज को अपने लिए खुला नहीं पाते हैं। युवाजन, जो अपनी आशा में कमजोर हैं, अपने को व्यक्तिगत जीवन में बंद पाते हैं, अपनी अनिश्चितता को लेकर चिंतित है, अपने को खोलते हुए दूसरे से मिलते और अपने जीवन को कैसे साझा करते हैंॽ बहुधा हमारे समाज व्यक्तिगतवाद, भौतिकतावाद और झूठे दिखावे से ग्रस्ति हैं, हमें अपने को, अपने हृदयों और आत्मा को साँस लेने हेतु खोलने की जरुरत है, ऐसा करने के द्वारा हम अपने संकटों को समझने के योग्य होते हैं जो हमारे लिए एक अवसर बनता और इस भांति हम उसका सामना सकारात्मक रुप में करते हैं।
आशा का मोजाईक
संत पापा ने कहा कि यूरोप को जोश और उत्साह पुनः प्राप्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा और मैं कह सकता हूँ कि मैंने इस जोश और उत्साह को मार्सिले के पुरोहितों, कार्डिनल आभीलिने, धर्मबधुओं और समर्पित लोगों, विश्वासियों में जो करूणा, शिक्षण के कार्य हेतु समर्पित हैं, में पाया। लोकधर्मी जिन्होंने वेलोड्रोम स्टेडियम में गर्मजोशी स्वागत दिखलाया, संत पापा ने राष्ट्रपति और सभों के प्रति अपनी कृतज्ञता के भाव प्रकट किये जो फ्रांस के नागरिकों का साक्ष्य प्रस्तुत करता है जिन्होंने मार्सिले की घटना पर ध्यान दिया। उन्होंने नोत्र देम दे ला गारदे की कुंवारी मरियम के चरणों में मार्सिले वासियों को सुपुर्द करते हुए यह आशा व्यक्त की कि उनका सहचर्य भूमध्यसागरीय प्रांत के लोगों के साथ बना रहे जिससे वे सभ्यता और आशा के एक मोजाईक बने रहें जिसके लिए वे सदैव जाने जाते हैं।