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मार्सिले में पोप : आप्रवासन का सामना मानवता, एकात्मता के साथ की जाए

पोप फ्राँसिस ने मार्सिले की दो दिवसीय यात्रा के दौरान समुद्र में खोए नाविकों और आप्रवासियों को समर्पित स्मारक पर अपने भाषण में, इस बात पर जोर दिया कि पूरे भूमध्यसागरीय क्षेत्र में त्रासदियों और आप्रवासन की चुनौतियों को, मानवीय तरीके से संबोधित करने की आवश्यकता है।

वाटिकन न्यूज

मार्सिले, शनिवार, 23 सितंबर 2023 (रेई) : पोप फ्राँसिस ने शुक्रवार शाम को समुद्र में खोए नाविकों और आप्रवासियों की स्मृति स्थल पर, समुद्री यात्रियों, आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की देखभाल में शामिल विभिन्न धर्मों के नेताओं, स्थानीय कलीसिया के सदस्यों तथा संगठनों के साथ फ्रांसीसी शहर में एक अंतरधार्मिक कार्यक्रम में भाग लिया।

भूमध्यसागर में मरनेवाले आप्रवासी आंकड़े नहीं

संत पापा ने उपस्थित लोगों को सम्बोधन कर कहा, “प्यारे भाइयो एवं बहनो, यहाँ उपस्थित होने के लिए धन्यवाद, हमारे सामने समुद्र है, एक जीवन का स्रोत, लेकिन इस स्थान पर जहाज टूटने की तबाही के उदाहरण भी हैं, जो मौत के कारण रहे हैं। हम यहाँ उन लोगों की याद में जमा हुए हैं जो इसे पार नहीं कर पाये, जो नहीं बचे। आइये, हम समाचारों की तरह, जहाज टूटने की घटना एवं समुद्र में मरनेवालों को एक आंकड़ा के रूप में देखने के आदी न बनें। उनके नाम और गोत्र हैं, वे चेहरे एवं इतिहास हैं, उनके जीवन टूटे और सपने बिखरे हुए हैं। मैं उन बहुत सारे भाई बहनों की याद करता हूँ जो भय में अपने आशाओं के साथ डूब गये हैं। इन परिस्थितियों के सामने हमें शब्दों की नहीं कार्यों की जरूरत है। हमें मानवीय होने की आवश्यकता है : मौन, शोक, सहानुभूति और प्रार्थना की आवश्यकता। संत पापा ने समुद्र में खोये भाई-बहनों की याद में कुछ क्षण मौन रहने का आह्वान किया।...

मानवता और एकात्मता की आवश्यकता

पोप ने कहा, इस युगांतरकारी आप्रवास संकट में, जब आप्रवासी खुद को जीवन और मृत्यु के बीच एक चौराहे पर पाते हैं, जैसा कि पुस्तक "हरमानितो" ("लिटिल ब्रदर") के नायक ने गिनी से यूरोप तक की अपनी खतरनाक यात्रा के अंत में याद किया है। यूरोपीय देश सभ्यता के चौराहे पर खड़े हैं।

“एक ओर भाईचारा है जो मानव समुदाय को अच्छाई के साथ विकसित करता; वहीँ दूसरी ओर, उदासीनता है जो भूमध्यसागर को खूनी बनाता है।”

संत पापा ने जोर देकर कहा, “समुद्र के खतरे से लोगों को बचाना मानवता और सभ्यता दोनों का कर्तव्य है। ईश्वर हमें आशीष प्रदान करेंगे यदि हम भूमि पर और समुद्र में कमजोर लोगों की देखभाल कर पायेंगे, यदि हम भय एवं उदासीनता के लकवे से उबर पायेंगे जो मखमली दस्ताने के साथ दूसरों को मौत की सजा देता है।”

“हम इंसानों को सौदा की वस्तु के रूप में व्यवहार करते हुए, कैद में रखते हुए और नृशंस तरीकों से प्रताड़ित होते हुए देखने से इनकार नहीं कर सकते; हम अब क्रूर तस्करी और उदासीनता की कट्टरता के कारण होनेवाले जहाजों के डूबने का नाटक नहीं देख सकते। जिन लोगों को लहरों पर छोड़े जाने पर डूबने का खतरा है, उन्हें बचाया जाना चाहिए। यह मानवता का कर्तव्य है; यह सभ्यता का कर्तव्य है!”

भूमध्यसागर में भिन्न धर्मों के लोगों को एक उदाहरण पेश करने का बुलावा

संत पापा ने कहा कि संकट का सामना करने के लिए विभिन्न धर्मों और विशेषकर तीन भूमध्यसागरीय अरबी एकेश्वरवाद के प्रतिनिधि, जो ईश्वर के नाम पर अतिथि सत्कार एवं अजनबियों के प्रति प्रेम की सीख देते हैं, एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए बुलाये जाते हैं।

“हम विश्वासियों को आपसी एवं भाईचारापूर्ण स्वागत में आदर्श होने पर जोर देते हुए संत पापा ने "अतिवाद के घुन और कट्टरवाद की वैचारिक महामारी की निंदा की जो समुदायों के प्रामाणिक जीवन को नष्ट कर देता है।"

मार्सिले : एक आशा की पच्चीकारी

संत पापा ने मार्सिले की जटिल बहु-सांस्कृतिक और बहु-धार्मिक सच्चाई पर प्रकाश डाला जो आज अंतर- सामुदायिक एवं सामाजिक तनाव का सामना कर रहा है तथा कहा कि फ्राँसीसी तटीय शहर “चौराहे पर खड़ा है : मुलाकात या टकराव पर।”

इस संदर्भ में, संत पापा ने विभिन्न संगठनों के कार्यों की सराहना की और उन्हें प्रोत्साहन दिया जो आप्रवासियों की मदद करते एवं समुदायों के बीच शांति पूर्ण सहअस्तित्व को बढ़ावा देते हैं, विशेष रूप से, अंतर-धार्मिक एनजीओ मार्सिले-एस्पेरेंस।

उन्होंने कहा, “आप भावी मार्सिले हैं, बिना निराश हुए आगे बढ़ने का प्रयास करें, ताकि यह शहर, फ्रांस, यूरोप और दुनिया के लिए आशा की किरण बन सके।"

संत पापा ने अंतरराष्ट्रीय फ्रांसीसी यहूदी इतिहासकार जुलीस ऐजक का हवाला देते हुए (जिन्होंने यहूदी ख्रीस्तीय संबंध को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किया था), वार्ता के अग्रदूत एवं साक्षी बनने का प्रोत्साहन दिया। 

 एक साथ शांति की पच्चीकारी बनायें

अपने सम्बोधन के अंत में, संत पापा ने उम्मीद जतायी कि भूमध्यसागर में भारी संख्या में आनेवाले आप्रवासियों के कारण इस समय की चुनौतियों का सामना, यूरोप एकात्मता की भावना से कर सकेगा, और यूरोपीय संघ के पूर्व अध्यक्ष डेविड सास्सोली के आह्वान के अनुसार दीवारों को तोड़कर सेतु का निर्माण करेगा। (इताली धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीईआई) द्वारा 2020 में बारी शहर में आयोजित चिंतन और आध्यात्मिकता सभा में: 'द मेडिटेरेनियन, ए फ्रंटियर ऑफ पीस'।)

संत पापा ने कहा, “भाइयो एवं बहनो, आइये हम इन चुनौतियों का एक साथ सामना करें, आइए हम आशा का जहाज़ बर्बाद न करें; आइए हम सब मिलकर शांति की एक पच्चीकारी बनाएँ!”

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23 सितंबर 2023, 16:31