पोप : युद्धग्रस्त विश्व में सम्मान, न्याय और विश्वास को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रदान करें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 (रेई) : पोप ने ग्राविसिमुम एदूकाशियोनिस की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में प्रेरितिक पत्र पर हस्ताक्षर किए
उन लाखों बच्चों पर विचार करते हुए, जिनकी अभी भी बुनियादी शिक्षा तक पहुँच नहीं है, और युद्ध, प्रवास, असमानता और गरीबी के कारण उत्पन्न शैक्षिक संकटों पर, पोप ने पूछा कि आज ख्रीस्तीय शिक्षा कैसे प्रतिक्रिया दे सकती है। 27 अक्टूबर 2025 को हस्ताक्षरित और ग्राविसिमुम एजुदूशियोनिस की घोषणा की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में जारी अपने प्रेरितिक पत्र "आशा के नए नक्शे बनाना" में, उन्होंने लिखा है कि ग्राविसिमुम एदूकाशियोनिस की अंतर्दृष्टि आज के खंडित और डिजिटल वातावरण में प्रासंगिक बनी हुई है, जो शैक्षिक समुदायों को पुल बनाने और रचनात्मकता के साथ नागरिक और व्यावसायिक गठन प्रदान करने के लिए प्रेरित करती रहती है। द्वितीय वाटिकन परिषद द्वारा पहली बार खोजी गई इस दिशा ने कार्यों और करिश्मों की एक समृद्ध श्रृंखला उत्पन्न की है जो कलीसिया के लिए एक आध्यात्मिक और शैक्षणिक खजाना बना है।
शैक्षिक विशिष्ठता जीवंत प्रतिक्रियाओं के रूप में
पत्र इस बात पर ज़ोर देता है कि शैक्षिक विशिष्ठता एक निश्चित सूत्र नहीं हैं, बल्कि प्रत्येक युग की आवश्यकताओं के प्रति जीवंत प्रतिक्रिया है। संत ऑगुस्टीन की इस शिक्षा को याद करते हुए कि सच्चा शिक्षक वह होता है जो सत्य और स्वतंत्रता की इच्छा जागृत करता है, पोप उस परंपरा का अवलोकन करते हैं जो मठवासी समुदायों से लेकर भिक्षुक संघों और रेशियो स्टूडियोरम तक फैली हुई है, जहाँ शैक्षिक विचार संत इग्नासियुस की आध्यात्मिकता से मिलते हैं।
पोप संत जोसेफ कलासांज़, संत जॉन बैप्टिस्ट डे ला साले, संत मार्सेलिन शैम्पेनट और संत जॉन बॉस्को जैसे शिक्षकों के योगदान को याद करते हैं, जिन्होंने गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों की सेवा करते हुए विशिष्ट शैक्षिक पद्धतियों को विकसित किया। वे धर्मबहनों और धर्मसंघियों के महत्वपूर्ण योगदान पर भी प्रकाश डालते हैं—जिनमें विसेंता मरिया लोपेज़ वाई विकुना, फ्रांसेस कैब्रिनी, जोसेफिन बखिता, मरिया मोंतेसरी, कैथरीन ड्रेक्सेल और एलिजाबेथ ऐन सेटन शामिल हैं—जिन्होंने लड़कियों, प्रवासियों और वंचितों के लिए शिक्षा तक पहुँच का विस्तार किया।
शिक्षा एक साझा मिशन के रूप में
पोप लियो 14वें इस बात पर जोर देते हैं कि शिक्षा हमेशा एक सामूहिक प्रयास है जिसमें शिक्षक, छात्र, परिवार, प्रशासक, पुरोहित और नागरिक समाज सभी भाग लेते हैं। वह संत जॉन हेनरी न्यूमैन—जिन्हें अब संत थॉमस एक्विनास के साथ शैक्षिक जगत का सह-संरक्षक कहा जाता है—के विचारों को गहन मानवता के साथ संयुक्त बौद्धिक कठोरता के एक आदर्श के रूप में याद करते हैं।
पोप सहानुभूति और खुलेपन के माध्यम से शैक्षिक वातावरण में नवीनीकरण को प्रोत्साहित करते हैं, और इस बात पर ज़ोर देते हैं कि शिक्षा को संपूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण करना चाहिए, ज्ञान को हृदय और विवेक की क्षमता के साथ एकीकृत करना चाहिए। काथलिक स्कूल और विश्वविद्यालय ऐसे स्थान होने चाहिए जहाँ जिज्ञासा का मार्गदर्शन और समर्थन किया जाए, न कि उसे दबाया जाए। वे आगे कहते हैं कि शिक्षण को सेवा के एक ऐसी बुलाहट के रूप में समझा जाना चाहिए जो समय, विश्वास, योग्यता और करुणा प्रदान करती है, न्याय को दया के साथ जोड़ती है।
केंद्र में मानव व्यक्ति
यह पत्र शिक्षा को केवल कार्यात्मक प्रशिक्षण या आर्थिक उत्पादकता तक सीमित न रखने के विरुद्ध पॉल षष्ठम की चेतावनी की पुष्टि करता है। पोप लियो 14वें लिखते हैं कि शिक्षा को मानवीय गरिमा और सर्वहित की सेवा करनी चाहिए। किसी व्यक्ति को मापने योग्य कौशलों या पूर्वानुमानित डिजिटल प्रोफ़ाइल तक सीमित नहीं रखा जा सकता, बल्कि उसे एक अद्वितीय व्यक्ति के रूप में पहचाना जाना चाहिए, जिसका एक चेहरा, एक कहानी और एक बुलाहट हो।
संघर्ष के बीच विश्वास बहाल करना
पुरानी यादों में खोए बिना, पोप अपने चिंतन को वर्तमान में दृढ़ता से स्थापित करते हैं। शिक्षा को निर्देशित करने वाले सिद्धांतों का वर्णन करने के लिए स्थिर तारों की छवि का उपयोग करते हुए, वे इस बात पर ज़ोर देते हैं कि सत्य की खोज संवाद में होती है, स्वतंत्रता में जिम्मेदारी निहित है, और अधिकार का प्रयोग सेवा के रूप में किया जाना चाहिए।
वे काथलिक शिक्षा का आह्वान करते हैं कि यह भय और विभाजन से ग्रस्त दुनिया में विश्वास का पुनर्निर्माण करे, साझापन की भावना का विकास करे जो लोगों और राष्ट्रों के बीच भाईचारे को बढ़ावा दे।
आस्था, संस्कृति और जीवन का अंतर्संबंध
पेरू के चिकलायो धर्मप्रांत में अपनी सेवा के वर्षों को याद करते हुए, पोप लियो 14वें शिक्षा को समर्पण और दृढ़ता से विकसित होती एक क्रमिक विकास यात्रा के रूप में देखते हैं। वे काथलिक स्कूलों को ऐसे समुदायों के रूप में प्रस्तुत करते हैं जहाँ आस्था, संस्कृति और जीवन सामंजस्यपूर्ण रूप से एक हैं।
वे लिखते हैं कि केवल तकनीकी अद्यतन ही समकालीन चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं; आवश्यकता है विवेक और दृष्टि की सुसंगतता की। शिक्षक का बौद्धिक और आध्यात्मिक, दोनों ही प्रकार का साक्ष्य, क्लास कक्षा में दिये गये निर्देश के बराबर महत्वपूर्ण है। इसीलिए, शिक्षकों का प्रशिक्षण—शैक्षणिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक—काथलिक शिक्षा के मिशन के लिए आवश्यक बताया गया है।
परिवार प्राथमिक शिक्षक के रूप में
पोप इस बात पर ज़ोर देते हैं कि परिवार शिक्षा का पहला और मूलभूत स्थान बना हुआ है। अन्य संस्थाएँ इसमें सहायता तो कर सकती हैं, लेकिन इसकी जगह कभी नहीं ले सकतीं। परिवारों, स्कूलों और व्यापक समुदाय के बीच सहयोग आवश्यक है, जो सुनने, साझा ज़िम्मेदारी और आपसी विश्वास पर आधारित हो।
एक परस्पर जुड़ी हुई दुनिया में, शिक्षा का भी परस्पर संबंध होना आवश्यक है। पोप पल्ली और धर्मप्रांतीय स्कूलों, विश्वविद्यालयों, व्यावसायिक संस्थानों, आंदोलनों, और डिजिटल एवं प्रेरितिक पहलों के बीच अधिक सहयोग को प्रोत्साहित करते हैं। उनका कहना है कि विधियों या संरचनाओं में अंतर को बाधाओं के बजाय संसाधनों के रूप में देखा जाना चाहिए, जो एक सुसंगत और फलदायी समग्रता में योगदान करते हैं। उनका कहना है कि भविष्य सहयोग और उद्देश्य की एकता में वृद्धि की माँग करता है।
सामाजिक और पर्यावरणीय न्याय को जोड़ना
पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि समग्र शिक्षा व्यक्ति के हर आयाम को जोड़ती और आस्था को एक अतिरिक्त विषय के रूप में नहीं, बल्कि उस श्वास के रूप में मानती है जो सभी शिक्षाओं को जीवन देती है। इस प्रकार, काथलिक शिक्षा एक समग्र मानवतावाद का बीजारोपण बन जाती है जो हमारे युग के जरूरी सवालों का जवाब दे सकती है।
पोप इसे संघर्ष और हिंसा से त्रस्त विश्व के संदर्भ में रखते हैं। वे बताते हैं कि शांति के लिए शिक्षा निष्क्रिय नहीं, बल्कि सक्रिय है: यह आक्रामकता को अस्वीकार करती है, मेल-मिलाप सिखाती है और दया व न्याय की भाषा का विकास करती है। वे इस मिशन को सामाजिक और पर्यावरणीय न्याय से जोड़ने की आवश्यकता से जोड़ते हैं, पाठकों को याद दिलाते हैं कि जब पृथ्वी पीड़ित होती है, तो सबसे ज़्यादा पीड़ित गरीब होते हैं। इसलिए, शिक्षा को ऐसे विवेक का निर्माण करना चाहिए जो केवल लाभप्रद ही नहीं, बल्कि सही का चुनाव करने में सक्षम हो, और स्थायी एवं सरल जीवन शैली को बढ़ावा दे।
मानवता की सेवा में प्रौद्योगिकी
द्वितीय वाटिकन की शिक्षाओं का एक बार फिर से हवाला देते हुए, पोप लियो 14वें शिक्षा को बाज़ार के तर्क या वित्तीय हितों के अधीन करने के विरुद्ध चेतावनी देते हैं। वे प्रौद्योगिकी के जिम्मेदाराना उपयोग का आह्वान करते हैं, जिससे रिश्तों या सामुदायिक जीवन को कमजोर करने के बजाय शिक्षा समृद्ध हो।
वह विशुद्ध तकनीकी दक्षता के विरुद्ध चेतावनी देते हैं जिसमें आत्मा का अभाव होता है, और मानकीकृत ज्ञान के विरुद्ध जो मानवीय भावना को दरिद्र बनाता है। उनका मानना है कि कोई भी डिजिटल प्रणाली उन मानवीय क्षमताओं की जगह नहीं ले सकती जो शिक्षा को पूरी तरह जीवंत बनाती हैं—कल्पना, कला, रचनात्मकता, सहानुभूति, और यहाँ तक कि त्रुटि के माध्यम से सीखने की इच्छा भी। वे आगे कहते हैं कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल वातावरण को नैतिक चिंतन और मानवीय गरिमा, न्याय और कार्य के मूल्य के प्रति चिंता द्वारा निर्देशित होना चाहिए।
मिलन की संस्कृति की ओर
पोप फ्रांसिस और शिक्षा पर वैश्विक समझौते की विरासत पर आधारित, पोप लियो 14वें तीन वर्तमान प्राथमिकताओं की पहचान करते हैं: आंतरिक जीवन का विकास, जो युवाओं की गहराई की खोज का जवाब देता है; एक मानवीय डिजिटल संस्कृति का निर्माण जो व्यक्ति को एल्गोरिदम से पहले रखती है; और नई पीढ़ियों को शांति, संवाद और सुलह के तरीकों से शिक्षित करना।
पोप एक ऐसी नई शैक्षिक संस्कृति का आह्वान करते हैं जो प्रतिद्वंद्विता के बजाय सहयोग पर आधारित हो, तथा कठोर पदानुक्रम के बजाय साझा आत्मपरख पर आधारित हो।
आत्मा की एक स्वर समता
अंत में, पत्र शिक्षकों को ऐसी भाषा का प्रयोग करने के लिए आमंत्रित करता है जो एक खुला और विवेकशील हृदय बनाए रखने के लिए चंगा करे, और आज की चुनौतियों का साहस और उदारता के साथ सामना करें। पोप वर्तमान की वास्तविक कठिनाइयों: अति-डिजिटलीकरण के कारण विखंडित ध्यान, नाज़ुक रिश्ते, सामाजिक असुरक्षा और असमानता को स्वीकार करते हैं।
इन खतरों के विरुद्ध, वे समावेशिता और सुसमाचारीय उदारता की भावना का आह्वान करते हैं जो न्याय और एकजुटता के ठोस कार्यों में अभिव्यक्त होती है। वे चेतावनी देते हैं कि जब शिक्षा गरीबों की दृष्टि खो देती है, तो वह अपनी आत्मा ही खो देती है।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here
