लातवियाई तीर्थयात्रियों को संत पापा ने 'अशांत समय' के लिए आध्यात्मिक सलाह दी
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, सोमवार 24 नवंबर 2025 : संत पापा लियो 14वें ने सोमवार को लातविया के तीर्थयात्रियों के एक प्रतिनिधि-मंडल से मुलाकात की, यह देश से रोम की पहली आधिकारिक तीर्थयात्रा के सौ साल पूरे होने के बाद की बात है। उनमें एविका सिलिना भी हैं, जो 2023 से लातविया की प्रधानमत्री हैं।
यूक्रेन में युद्ध
संत पापा लियो ने कहा, कि आज यह देश,जो रूस की सीमा से लगा हुआ है और यूक्रेन में चल रहे युद्ध से बहुत ज़्यादा प्रभावित हुआ है—“अशांत समय” का सामना कर रहा है।
ऐसे हालात में, उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हमारे लिए ईश्वर की ओर मुड़ना और उनकी कृपा से मज़बूत होना ज़रूरी है।”
फिर संत पापा ने “पिछले कुछ सालों में” परमधर्मपीठ और लातविया के बीच गहरे होते रिश्तों के लिए अपना आभार जताया और प्रतिनिधि-मंडल के बीच मौजूद रहने के लिए लातविया की प्रधानमंत्री एविका सिलिना को धन्यवाद दिया।
संत पापा लियो ने लातविया की प्रधानमंत्री एविका सिलिना के साथ अपनी प्राइवेट मुलाकात के दौरान यह बात कही। दोनों की उस सुबह वेटाकन में एक प्राइवेट मुलाकात हुई थी।
संत पापा से अपनी मुलाकात के बाद, सिलिना ने वाटिकन के अधिकारियों के साथ भी मीटिंग की, जिसमें राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन भी शामिल थे।
वाटिकन प्रेस कार्यालय की एक खबर के मुताबिक, बातचीत में ख्रीस्तीय धर्म और काथलिक कलीसिया द्वारा लातविया को दिए जाने वाले "सकारात्मक योगदान" के साथ-साथ "कई क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, खासकर यूक्रेन में शांति लाने और युद्ध खत्म करने की कोशिशों" पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
आशा निराश नहीं करती
लातवियाई तीर्थयात्रा, जिसमें करीब 200 सदस्य थे, 2025 जुबली साल के संदर्भ में हो रही है, जिसकी थीम ‘आशा के तीर्थयात्री’ है।
ग्रुप को अपने संबोधन में, संत पापा लियो ने कहा कि रोम में दफ़न सभी संतों ने यह दिखाया है कि “आशा निराश नहीं करती,” भले ही “उनके हालात अनिश्चित हों” और “जिन चुनौतियों का उन्होंने सामना किया हो।”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आशा का मतलब “सबका जवाब होना” नहीं है, बल्कि यह “ईश्वर पर भरोसा रखने” और “ख्रीस्त को और करीब से अनुसरण करना” है।
जगह और शांति
अपने संदेश को समाप्त करते हुए, संत पापा ने लातविया के ग्रुप द्वारा शुरू की गई तीर्थयात्रा के महत्व के बारे में कुछ विचार दिए।
उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसी यात्राएं हमें “रोज़मर्रा की ज़िंदगी के रूटीन और शोर से दूर” ले जाती हैं और हमें “ईश्वर की आवाज़ को शांतिपूर्वक और स्पस्ट रुप से सुनने के लिए जगह” देती हैं।
इस तरह संत पापा ने लातवियाई तीर्थयात्रियों को रोम में अपने समय का पूरा फ़ायदा उठाने के लिए कहा, “ताकि यह आपके विश्वास को मज़बूत करे और आपको वह शांति दे जो दुनिया नहीं दे सकती।”
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