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संत पापा लियो 14वें बुधवारीय आमदर्श समारोह में संत पापा लियो 14वें बुधवारीय आमदर्श समारोह में  (ANSA)

संत पापा लियोः विश्वास में अडिग हम दूसरों को जीवन दें

संत पापा लियो 14वें बुधवारीय आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा में येसु के पुनरुत्थान को जीवन का आशा बलताते हुए, जीवन को दूसरों के लिए जीने का संदेश दिया जैसे स्वयं येसु ख्रीस्त ने अपने जीवन को हमारे लिए जीया।

वाटिकन सिटी

संत पापा लियो 14वें ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर प्रांगण में उपस्थित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभाव और स्वागतम्।

येसु ख्रीस्त का पुनरूत्थान जीवन के रहस्य को आलोकित करता और हमें आशा में बने रहने को मदद करता है। यह हमारे लिए सदैव सहज और स्पष्ट नहीं है। बहुधा, दुनिया भर में कई लोगों की ज़िंदगी थकाऊ, दर्दनाक, समस्याओं और मुश्किलों से भरी लगती है, जिन्हें पार करना होता है। फिर भी, मानव को जीवन एक उपहार के रुप में मिला है, उन्होंने उसकी माँग नहीं की है, उन्होंने उसका चुनाव नहीं किया है, वे उसके रहस्य को शुरू से लेकर अंतिम क्षणों तक अनुभव करते हैं। जीवन की अपनी ही एक अति विशिष्टता हैः यह हमें दिया गया है, हम इसे स्वयं के लिए नहीं दे सकते हैं, लेकिन हमें निरंतर उसका पोषण करने की जरुरत है, उसकी देखरेख करने की जरुरत है जिससे यह भली-भांति बना रहे, उसे उर्जा मिले, उसकी सुरक्षा हो और उसे नवस्फूर्ति मिलती रहे।

हमारे जीवन के सवाल

हम यह कह सकते हैं कि जीवन का सवाल मानव के हृदय में व्याप्त गहरे सावलों में से एक है। हमने जीवन का अस्तित्व, इसके लिए बिना कुछ निर्णय लिये पाया है। जीवन की इस सच्चाई से हमारे लिए सदैव सवालों की एक धारा नदी के रुप में प्रवाहित होती है- हम कौन हैंॽ हम कहाँ से आते हैंॽ हम कहाँ जा रहे हैंॽ हमारे इस जीवन यात्रा का मुख्य अर्थ क्या हैॽ

आशा का मतलब

संत पापा लियो ने कहा वास्ताव में, जीवन जीने का तत्पर्य इसके अर्थ, दिशा और आशा से है। और आशा हमारे लिए एक गहरा गोता लगाने के समान है जो हमें कठिनाइयों से परे ले चलती है, जो  जीवनयात्रा की थकान में भी हमें इसका परित्याग नहीं करने को कहती है, यह हमें इस बात की सुनिश्चितता प्रदान करती है कि यात्रा का अस्तित्व हमें घर की ओर ले चलता है। आशा के बिना जीवन हमें दो अनंत रातों की भांति लगती है, इस धरती पर हमारे सफर से पहले और बाद के बीच का एक ठहराव। वहीं, इस जिंदगी में आशा रखने का मतलब है, लक्ष्य का अंदाज़ा लगाना, उस चीज़ पर यकीन करना जिसे हम अभी देख या छू नहीं सकते, यह विश्वास करते हुए अपने को उस पिता के प्रेम में सौंपना है जिन्होंने हमें इसलिए बनाया क्योंकि वे हमें प्रेम करते हैं और उस प्रेम में वे हमारी खुशी चाहते हैं।

मानव की बुलाहट, जीवन उत्पन्न करना है

संत पापा लियो ने कहा, अति प्रिय भाइयों, इस दुनिया में हम एक बीमारी को पाते हैं- जो विश्वास की कमी है। ऐसा लगता है मानों हमने अपने को एक नकारात्मक भाग्य के हवाले समर्पित कर दिया है। जीवन ईश्वर से मिले एक उपहार की भांति नहीं बल्कि अज्ञात लगता है, एक जोखिम की भांति जिससे हम अपने को बचाने की कोशिश करते हैं तकि हम निराश न हों। यही कारण है, कि हमें साहस के साथ जीते हुए जीवन उत्पन्न करना है जो आज की परिस्थिति में अत्यंत जरुरी है, जिससे हम ईश्वर का साक्ष्य दे सकें जो स्वयं “जीवन के प्रेमी हैं” जैसे की प्रज्ञा ग्रंथ हमें इसके बारे में कहता है।

सुसमाचार में येसु निरंतर इस बात की सुदृढ़ता बीमारों की चंगाई, घायल शरीर और आत्मा को शुद्ध करते और मरे हुओं को पुनर्जीवित करते हुए करते हैं। ऐसा करते हुए पुत्र पुनर्जीवित येसु हमें पिता को प्रकट करते हैं- वे पापियों को सम्मान देते, उनके पापों को क्षमा करते और सभों को- विशेष कर निराश, परित्यक्त और बहिष्कृतों को अपनी मुक्ति की प्रतिज्ञा में शामिल करते हैं।

हम दूसरों को जीवन दें

पिता से जीवन प्राप्त, ख्रीस्त जीवन के स्रोत हैं जो हमें जीवन प्रदान करने के लिए सबकुछ का परित्याग करते हैं, और वे हमें भी निमंत्रण देते हैं कि हम भी अपने जीवन को समर्पित करें। जीवन उत्पन्न करने का अर्थ किसी को जीवन देना है। इस नियम के अनुसार जीवित चीजों की दुनिया का विस्तार होता है जो जीवों की संगीत में एक अद्भुत विकास की अनुभूति को व्यक्त करती है जिसकी चरमसीमा नर और नारी में पूरी होती है: ईश्वर ने उन्हें अपने अनुरूप बनाया और उन्हें अपने अनुरूप में ही पैदा करने की जिम्मेदारी सौंपी, अर्थात प्रेम के लिए और प्रेम में।

संत पापा लियोः हम दूसरों को जीवन दें

मानव जीवन में विरोधाभाव है

संत पापा लियो ने कहा कि पवित्र धर्मग्रंथ शुरू से ही, हमें जीवन के बारे में कहता है, विशेषकर मानव को अपनी श्रेष्ठता में स्वतंत्रता प्राप्त होती है और यह एक नाटक बन जाता है। इस भांति, मानवीय संबंधों में भी हम एक विरोधाभाव को पाते हैं जिसके परिणाम स्वरुप भाई अपने भाई की ही हत्या तक कर देता है। काईन अपने भाई हाबिल को एक प्रतिद्वंदी, एक खतरे के रूप में देखता है, इस भांति अपनी निराशा में वह उसे प्रेम और सम्मान करने के अयोग्य होता है। अतः हम ईर्ष्या, द्वेष और खून खराबे को पाते हैं। ईश्वर का तर्क, यद्यपि अपने में भिन्न है। ईश्वर अपनी योजना और प्रेम में सदैव निष्ठावान बने रहते हैं, वे मानवता की मदद करने में कभी नहीं थकते हैं, तब भी जब काईन के उदाहरण पर चलते हुए, इंसानियत युद्धों, भेदभाव, नस्लवाद और कई तरह की गुलामी में हिंसा की अंधी के पीछे चलती है।

जीवन देने का अर्थ

इस तरह, उत्पन्न करने का अर्थ जीवन देनेवाले ईश्वर पर विश्वास करना और मानव को सभी रुपों में बढ़ावा देना है- सबसे पहले मातृत्व और पितृत्व के अद्भुत कार्यो में, यहाँ तक कि सामाजिक संदर्भों में भी जहाँ परिवारें अपने दैनिक जीवन की चुनौतियों का सामना करने में कठिनाई का अनुभव करते हैं, वे बहुधा अपनी परियोजनाओं और सपनों में पीछे रह जाते हैं। इस मनोभाव में, उत्पन्न करने का अर्थ अपने को अर्थव्यवस्था के आधार पर एकजुटता हेतु समर्पित करना है, सभों के लिए आम भलाई की तलाश करना, सृष्टि का सम्मान और देखभाल करना और दूसरों को सुनते हुए सांत्वना देना, तथा दूसरों के संग खड़े होते हुए उन्हें ठोस और निःस्वार्थ मदद देना है। 

भाइयो और बहनों, संत पापा लियो ने कहा येसु ख्रीस्त का पुनरूत्थान हमारे लिए वह शक्ति है जो हमें इस चुनौती में बने रहने को मदद करती है, यहाँ तक कि उन परिस्थितियों में भी जब हम अपने मन और हृदय में बुराई के अंधकार को पाते हैं। जब हम जीवन को बुझा, जड़ित पाते हैं, पुनर्जीवित येसु हमारे बीच से पार होते हैं, हमारे जीवन के अंतिम क्षणों तक, वे हमारे संग और हमारे लिए चलते हैं। वे हमारी आशा है। 

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26 नवंबर 2025, 16:21