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दिव्य उपासना की धर्मविधि में पोप : हम ख्रीस्तीय एकता की ओर आगे बढ़ सकें

पोप लियो 14वें ने इस्तंबुल स्थित संत जॉर्ज प्राधिधर्माध्यक्षीय महागिरजाघर में दिव्य उपासना धर्मविधि में भाग लिया तथा प्राधिधर्माध्यक्ष बर्थोलोमियो प्रथम के साथ मिलकर उन रिश्तों पर जोर दिया जो हमें हमारे ख्रीस्तीय विश्वास और पूर्ण एकता की लगातार कोशिशों को जोड़ते हैं।

वाटिकन न्यूज

इस्तंबुल, रविवार, 30 नवंबर 2025 (रेई) : तुर्की में अपनी प्रेरितिक यात्रा के अंतिम पड़ाव पर संत पापा लियो 14वें ने इस्तंबुल स्थित संत जॉर्ज महागिरजाघर में रविवार 30 नवम्बर को प्रेरित संत अंद्रेयस के पर्व दिवस के अवसर पर आयोजित दिव्य उपासना की धर्मविधि में भाग लिया।  

ख्रीस्तीय एकता प्राधिधर्माध्यक्षालय के पवित्र सिनॉड और दिव्य उपासना के धर्माध्यक्षीय धर्मसंघ के करीब 400 से अधिक सदस्यों के साथ संरक्षक संत प्रेरित अंद्रेयस का पर्व मनाया गया।  

समारोह के अंत में संत पापा ने अपने सम्बोधन में कहा, प्यारे भाइयो एवं बहनो, कलीसिया के इतिहास में पहली ख्रीस्तीय एकता महासभा जिन जगहों पर सम्पन्न हुई थी, उन जगहों की हमारी तीर्थयात्रा इस दिव्य उपासना की धर्मविधि के साथ समाप्त हो रही है, जिसमें हम प्रेरित अंद्रेयस का पर्व मना रहे हैं। पुरानी परंपरा के अनुसार, वे इसी शहर में सुसमाचार लेकर आए थे। उनका विश्वास हमारे विश्वास जैसा ही है, यानी वही जिसे ख्रीस्तीय एकता महासभा काउंसिल ने बताया है और जिसे आज कलीसिया मानती है।

इस ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना के दौरान, हम कलीसियाओं के प्रमुखों और ख्रीस्तीयों के विश्वसंघ के प्रतिनिधियों के साथ, याद किया है कि नाइसीन-कॉन्स्टटिनोपॉलिटन धर्मसार में बताया गया विश्वास हमें असली मेलजोल में जोड़ता है और हमें एक-दूसरे को भाई-बहन के रूप में पहचानने देता है। पहले, अलग-अलग कलीसियाओं के ख्रीस्तीयों के बीच कई गलतफहमियाँ और झगड़े भी हुए हैं, और अभी भी ऐसी रुकावटें हैं जो हमें पूरी तरह से मेलजोल कर पाने से रोक रही हैं। फिर भी, हमें एकता की कोशिश में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। हमें एक-दूसरे को मसीह में भाई-बहन मानते रहना चाहिए और उसी तरह एक-दूसरे से प्यार करना चाहिए।

अतीत में, अलग-अलग कलीसियाओं के ख्रीस्तीयों के बीच कई गलतफहमियाँ और झगड़े भी हुए हैं, और अभी भी ऐसी रुकावटें हैं जो हमें पूरी तरह से एक होने से रोक रही हैं। फिर भी, हमें एकता की कोशिश में पीछे नहीं हटना चाहिए। हमें एक-दूसरे को मसीह में भाई-बहन मानते रहना चाहिए और उसी तरह एक-दूसरे से प्यार करना चाहिए।

इस चेतना से प्रेरित होकर 60 साल पहले पोप पॉल 6वें और प्राधिधर्माध्यक्ष अथनागोरस ने समारोही घोषणा की कि 1054 ई. में आपसी बहिष्कार के लिए जिम्मेदार दुर्भाग्यपूर्ण फैसलों और दुखद घटनाओं को कलीसिया की यादों से हटा दिया जाना चाहिए।

संत पापा ने कहा, हमारे आदरणीय पूर्वजों के उस ऐतिहासिक कदम ने काथलिक और ऑर्थोडॉक्स के बीच मेल-मिलाप, शांति और बढ़ते मेलजोल का रास्ता खोला, जिसे लगातार संपर्क, भाईचारे की मुलाकातों और उम्मीद जगानेवाली धार्मिक बातचीत के जरिए बढ़ावा दिया गया है। पहले से हुई तरक्की को देखते हुए, कलीसियाई और कानूनी स्तर पर महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, और आज हमें पूर्ण एकता को फिर से आगे बढ़ाने के लिए और ज्यादा समर्पित होने हेतु बुलाया जा रहा है।

इसके लिए संत पापा लियो ने प्राधिधर्माध्यक्ष बर्थोलोमियो को अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, “मैं काथलिक कलीसिया और ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के बीच ईशशास्त्रीय संवाद के लिए संयुक्त अंतरराष्ट्रीय आयोग को लगातार समर्थन देने हेतु महामहीम और ख्रीस्तीय एकता प्राधिधर्माध्यक्ष का बहुत शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। मुझे यह भी उम्मीद है कि इसे पक्का करने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी कि सभी स्वतंत्र ऑर्थोडॉक्स कलीसियाएँ इस कोशिश में सक्रिय हिस्सा लेने के लिए वापस आएँ। अपनी तरफ से, द्वितीय वाटिकन महासभा की शिक्षा और मेरे पूर्वाधिकारियों के कार्यों को जारी रखते हुए, मैं यह सुदृढ़ करना चाहता हूँ कि वैध पृथकताओं का सम्मान करते हुए, पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा प्राप्त, सभी लोगों के बीच पूरी तरह से एकता की कोशिश करना, काथलिक कलीसिया की प्राथमिकताओं में से एक है। खास तौर पर, यह रोम के धर्माध्यक्ष के रूप में मेरी प्रेरिताई की प्राथमिकताओं में से एक, जिसकी भूमिका विश्वव्यापी कलीसिया में सभी की सेवा करना, एकता और एकजुटता बनाना एवं उसकी रक्षा करना है।”

उन्होंने आज की परिस्थिति में कलीसिया के कर्तव्यों की याद करते हुए कहा, प्रभु की इस इच्छा के प्रति वफादार बने रहने के लिए कि हम न सिर्फ अपने विश्वासी भाइयों और बहनों की, बल्कि पूरी मानवजाति और सारी सृष्टि की भी देखभाल करें, हमारी कलीसियाओं को आज पवित्र आत्मा की प्रेरणाओं पर एक साथ प्रत्युत्तर देना चाहिए। इस समय जब खूनी संघर्ष और हिंसा पास और दूर, दोनों जगहों पर हो रही हैं, सबसे पहले, काथलिक और ऑर्थोडॉक्स कलीसियाओं को शांति स्थापित करने के लिए बुलाया जाता है। इसका मतलब है कि कार्रवाई करना, चुनाव करना और ऐसे तरीके अपनाना जिनसे शांति स्थापित हो, साथ ही यह भी मानना ​​कि शांति सिर्फ इंसानी कोशिशों का फल नहीं है, बल्कि यह ईश्वर का तोहफा है। इसलिए, शांति प्रार्थना, प्रायश्चित, सोच-विचार और प्रभु के साथ एक जीवंत रिश्ता बनाकर खोजी जानी चाहिए, जो हमें यह समझने में मदद करते हैं कि हमें कौन से शब्द, उपाय और काम करने चाहिए ताकि हम सच में शांति की सेवा कर सकें।

पोप ने कहा, दूसरी चुनौती जिसका सामना हमारी कलीसियाएँ कर रही हैं वह है खतरनाक पारिस्थितिक संकट, जिसके लिए हमारे महामहीम ने अक्सर कहा है कि दिशा बदलने और दुनिया की सुरक्षा के लिए हमें आध्यात्मिक, व्यक्तिगत और सामूहिक बदलाव की जरूरत है। काथलिक और ऑर्थोडॉक्स दोनों कलीसियाओं को एक नई सोच को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना है ताकि हर कोई उस दुनिया की देखभाल करने की जिम्मेदारी को माने जो ईश्वर ने हमें सौंपी है।

तीसरी चुनौती है नई तकनीकी का प्रयोग, विशेषकर, संचार जगत में। यह जानते हुए कि ये तकनीकी मानव को बहुत फायदे दे सकती हैं, काथलिक और ऑर्थोडॉक्स कलीसियाओं को इनके जिम्मेदारी पूर्ण इस्तेमाल को बढ़ावा देने में मिलकर काम करना चाहिए। निश्चय ही, इन तकनीकियों को सारी मानवजाति के विकास के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए, और ये सभी के लिए आसानी से मिलनेवाली होनी चाहिए, ताकि यह पक्का हो सके कि इनके फायदे सिर्फ कुछ लोगों या कुछ खास लोगों के फायदों तक ही सीमित न रहें।

इन चुनौतियों का सामना करते हुए, मुझे पूरा भरोसा है कि सभी ख्रीस्तीय, दूसरे धार्मिक रिवाजों के सदस्य, और अच्छी सोचवाले सभी पुरुष और महिलाएँ सबकी भलाई के लिए मिलकर काम कर सकें।

अंत में, पोप लियो ने संत अंद्रेयस के पर्व की शुभकामनाएँ देते हुए कहा, “महामहीम, दिल से निकली इन बातों के साथ, मैं आपको और आपके भाइयों एवं बहनों को अपने संरक्षक संत का पर्व मनाते हुए अच्छी सेहत और शांति की दिल से दुआ देता हूँ।” फिर अपनी यात्रा के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “इन दिनों आपने मेरा जो गर्मजोशी और भाईचारा पूर्ण स्वागत किया है, उसके लिए मैं आपका दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। इसलिए, मैं आप सभी को प्रेरित अंद्रेयस और उनके भाई संत पेत्रुस, महान शहीद संत जॉर्ज, जिन्हें यह गिरजाघर समर्पित है, नाइसिया की पहली महासभा के धर्माचार्यों और कॉन्स्टटिनोपल के इस पुराने एवं शानदार गिरजाघर के कई पवित्र पुरोहितों की दुआओं को सिपूर्त करता हूँ। और मैं करुणावान पिता ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वे यहाँ मौजूद सभी लोगों को प्रचुर आशीष प्रदान करें।

दिव्य उपासना की धर्मविधि के अंत में पोप लियो 14वें और प्राधिधर्माध्यक्ष बरथोलोमियो प्रथम मिलकर सबको आशीष देने के लिए प्राधिधर्माध्यक्षालय की बालकनी गये और अपनी आशीष प्रदान की। इसी के साथ तुर्की में पोप लियो 14वें की चार दिवसीय प्रेरितिक यात्रा समाप्त हुई इसके बाद वे लेबनान के लिए प्रस्थान करेंगे।

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30 नवंबर 2025, 12:25