संत पापा लियो : संतों के मिलन का रहस्य, हमें मानवता की अंतिम नियति की याद दिलाता है
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार 01 नवम्बर 2025 : सब संतों के महोत्सव के दिन वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्रांगण में संत पापा लियो 14वे ने विश्व शिक्षा की जयंती के लिए विश्वभर से आये शिक्षाविदों, शिक्षकों और विश्वासियों के साथ पवित्र मिस्सा समारोह की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने संत जॉन हेनरी न्यूमैन को कलीसिया का धर्माचार्य (डॉक्टर) घोषित किया।
पवित्र मिस्सा समारोह के अंत में संत पापा ने देवदूत प्रार्थना के पहले इस पवित्र मिस्सा में भागलेने वालों का अभिवादन करते हुए अपना खुशी व्यक्त की। संत पापा ने कहा, प्रिय भाइयो और बहनो, मैं इस पवित्र समारोह में भाग लेने वाले आप सभी का, विशेष रूप से कार्डिनलों, धर्माध्यक्षों और प्रतिष्ठित अधिकारियों का अभिवादन करना चाहता हूँ।”।
इंग्लैंड की कलीसिया के प्रतिनिधिमंडल को अभिवादन
संत पापा ने इंग्लैंड की कलीसिया के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत और अभिवादन किया। संत पापा ने कहा, “मुझे यॉर्क के महाधर्माध्यक्ष स्टीफन कॉटरेल के नेतृत्व में इंग्लैंड की कलीसिया के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। कुछ दिन पहले सिस्टिन चैपल में महामहिम राजा चार्ल्स तृतीय के साथ आयोजित ऐतिहासिक प्रार्थना सभा के बाद, आज आपकी उपस्थिति संत जॉन हेनरी न्यूमैन को कलीसिया का धर्माचार्य घोषित किए जाने पर हमारी साझा खुशी को व्यक्त करती है। स्वर्ग से, वे ख्रीस्तियों के साथ पूर्ण एकता की ओर उनकी यात्रा में साथ चलें।”
"संतों की दौड़" की एकजुटता
इसके बाद संत पापा ने उपस्थित सभी तीर्थयात्रियों, विशेष रूप से उन युवाओं का अभिवादन किया, जिन्होंने मिशन डॉन बॉस्को द्वारा प्रचारित "संतों की दौड़" का आयोजन किया है और जो सबसे वंचित बच्चों के साथ खेल और एकजुटता को जोड़ती है। इस वर्ष, जयंती के अवसर पर, यह मार्ग विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह रोमके चार परमाध्यक्षीय महागिरजाघरों को जोड़ता है।
संतों के मिलन का रहस्य
संत पापा ने कहा, “संतों के मिलन का रहस्य, जिसकी हम आज गहरी साँस लेते हैं, हमें मानवता की अंतिम नियति की याद दिलाता है: एक महान उत्सव जिसमें हम सब मिलकर ईश्वर के प्रेम में आनन्दित होते हैं, जो हम सब में विद्यमान है, चेहरों की बहुमुखी सुंदरता को पहचानते और निहारते हैं, सभी भिन्न और सभी ईसा मसीह के चेहरे से मिलते-जुलते हैं। जैसे-जैसे हम इस भविष्य की वास्तविकता का अनुमान लगाते हैं, हम अन्याय और युद्ध के कारण मानव परिवार को झेलनी पड़ रही त्रासदियों के साथ इसके विपरीत को और भी अधिक तीव्रता और पीड़ा से महसूस करते हैं। और हम भाईचारे के निर्माता बनने के अपने कर्तव्य को और भी अधिक महसूस करते हैं। आइए हम अपनी प्रार्थनाओं और अपनी प्रतिबद्धता को कुँवारी मरियम और सभी संतों की मध्यस्थता को सौंप दें!
इतना कहने के बाद संत पापा ने विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।
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