पोप लियो : निष्ठा पुनर्जीवित ख्रीस्त के साथ मुलाकात से उत्पन्न होती है
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 6 नवम्बर 2025 (रेई) : पोप लियो 14वें ने येसु और मरियम को समर्पित धर्मसंघ (जीजस एंड मेरी) तथा संत चार्ल्स बोरोमियो की मिशनरी धर्मबहनों (स्कालाब्रिनियन) के धर्मसंघ की महासभाओं के प्रतिभागियों से मुलाकात की।
संत पापा ने उनसे मुलाकात करते हुए गौर किया कि वे दोनों धर्मसंघ अलग अलग परिस्थितियों में शुरू हुई फिर भी दोनों गरीबों के प्रति प्रेम से प्रेरित थी। येसु और मरियम को समर्पित धर्मसंघ की संस्थापिका संत क्लौदीने थेवेनेट को कठिन परिस्थिति से गुजर रही युवतियों से प्रेम था। वहीं संत चार्ल्स बोरोमियो धर्मसंघ के संस्थापकों संत जॉन बतिस्ता स्कालाब्रिनी, धन्य असुनता मरचेत्ती एवं आदरणीय फादर जुसेपे मरचेत्ती को प्रवासियों से प्रेम था।
येसु और मरियम को समर्पित धर्मसंघ की महासभा की विषयवस्तु है : “येसु स्वयं आ कर उनके साथ हो लिये,” (लूक. 24:15) संत चार्ल्स बोरोमियो धर्मसंघ की विषयवस्तु है, “आप जहाँ जायेंगी, वहाँ मैं भी जाऊँगी।” (रूथ 1:16)
संत पापा ने कहा, “येसु एम्माऊस के शिष्यों के साथ चलते हैं, रोटी तोड़ते हुए अपनी पहचान कराते और उन्हें अपने पुनरुत्थान के प्रेरित बनाते हैं।” रूत के ग्रंथ में, हम एक युवा मोआबी स्त्री को देखते हैं, जो अपनी सास नाओमी को, जो अकेली रह गई थी, नहीं छोड़ती, बल्कि अंत तक उसकी देखभाल करने के लिए एक विदेशी भूमि तक उसके साथ चलती है।
शुरूआत
संत पापा ने कहा, “आपकी शुरुआत की परिस्थितियाँ आसान नहीं थीं। संत क्लौदिने के लिए फ्रांसीसी क्रांति की खतरनाक स्थिति थी, और बिशप स्कालाब्रिनी, डॉन जुसेपे और मदर असुंता के लिए सामूहिक प्रवास की त्रासदी थी। हालाँकि, वे पीछे नहीं हटे, न ही हतोत्साहित हुए।” ऐसी निष्ठा का रहस्य पुनर्जीवित येसु के साथ उनकी मुलाकात में निहित है। यहीं से उनके लिए और आपके लिए भी यह सब शुरू हुआ। यहीं से हम शुरुआत करते हैं और जब आवश्यक हो, हम यहीं से फिर शुरु करते हैं, ताकि साहस और दृढ़ता के साथ खुद को परहित में समर्पित कर सकें।
प्रार्थना, मौन और सुनना
संत पापा ने कहा, कि यह विशेष रूप से महासभा के दौरान सच होता है, जब येसु आपके साथ चलते हैं और पास्का के प्रकाश में उन्हें अपने इतिहास को फिर से पढ़ने में मदद करते हैं। उन्होंने कामना की कि महासभा के दौरान प्रभु हमेशा उनके केंद्र में रहें। इसलिए, उन्होंने कहा, “अपने पूरे कार्य के दौरान प्रार्थना और मौन को पर्याप्त स्थान दें। एक महासभा में, सबसे महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि "घुटनों पर" प्राप्त होती है, और महासभा के हॉल में जो परिपक्व होता है, उसे पवित्र संदुक के सामने और बाईबिल वचन को सुनने में बोना और छानना आवश्यक है। क्योंकि केवल प्रभु को सुनने से ही हम एक-दूसरे को सचमुच सुनना सीखते हैं।”
पीड़ित भाई-बहनों में येसु का चेहरा खोजना
संत पापा ने सलाह दी कि वे रूथ के आदर्शों पर चलें क्योंकि इसी तरह वे “जरूरतमंद भाई-बहनों में ईश्वर के चेहरे को देख सकते हैं।” और उनमें "एक प्रतिज्ञा, एक आशा, ईश्वरीय उपस्थिति, ईश्वर का चिन्ह देखना है, जिसकी 'महिमा' एक जीवित मानव व्यक्ति में पूर्ण होती है।" इसके लिए साहस की आवश्यकता है, “ताकि हम पीड़ित लोगों की उपस्थिति से चुनौती स्वीकार कर सकें, अपनी सुरक्षा को त्यागने के भय के बिना, और यदि प्रभु कहें, तो नए रास्तों पर आगे बढ़ सकें। यह भी कैपिटुलर्स के रूप में आपके कार्य का एक हिस्सा है।”
संत पापा ने महासभा में भाग लेनेवाले सभी प्रतिभागियों को दीनता पूर्वक ईश्वर को सुनने और दूसरों की आवश्यकताओं पर ध्यान देने का साहस करने का निमंत्रण दिया।
अंत में, संत पापा ने उनके प्रेरितिक कार्यों के लिए धन्यवाद देते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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