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वाटिकन प्रकाशन केन्द्र की नई पुस्तकः ईश्वर की उपस्थिति में   वाटिकन प्रकाशन केन्द्र की नई पुस्तकः ईश्वर की उपस्थिति में  

भाई लोरेंसो ईश उपस्थिति में जीने का आनंद सिखाते हैं

सन्त पापा लियो 14 वें ने कारमेल मठवासी धर्मबन्धु लोरेंसो की कृति "ईश्वर की उपस्थिति का अभ्यास" का प्राक्कथन लिखा है, जिसका नया संस्करण वाटिकन प्रकाशन केन्द्र द्वारा 19 दिसम्बर को प्रकाशित की गई।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 19 दिसम्बर 2025 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा लियो 14 वें ने कारमेल मठवासी धर्मबन्धु लोरेंसो की कृति "ईश्वर की उपस्थिति का अभ्यास" का प्राक्कथन लिखा है, जिसका नया संस्करण वाटिकन प्रकाशन केन्द्र द्वारा 19 दिसम्बर को प्रकाशित की गई।

इस पुस्तक के प्राकक्थन में सन्त पापा लिखते हैं कि यह पुस्तक "17वीं सदी के एक सीधे-सादे और विनम्र फ्रांसीसी धर्मसमाजी व्यक्ति की कृति है जिसने बहुतों के साथ-साथ मेरे आध्यात्मिक जीवन को भी गहनतम ढंग से प्रभावित किया है।"

रास्ता आसान तथापि मुश्किल

सन्त पापा लिखते हैं, "भाई लोरेन्सो हमें जो रास्ता दिखाते हैं, वह आसान भी है और मुश्किल भी: आसान इसलिए क्योंकि इसके लिए ईश्वर को लगातार याद करने के अलावा और कुछ नहीं चाहिए, हर काम और सोच में ईश्वर की प्रशंसा, ईश्वर से विनती और आराधना क्योंकि ईश्वर ही हमारे जीवन का स्रोत और लक्ष्य हैं। मुश्किल इसलिए क्योंकि इसके लिए हमारे कामों से कहीं अधिक अपने मन और विचारों के सबसे करीबी हिस्से को साफ़ करने, त्यागने, और मनपरिवर्तन की यात्रा की ज़रूरत होती है।" फिलिप्पी के विश्वासियों को सन्त पौल ने यही लिखा था: "आप लोग अपने मनोभावों को येसु मसीह के मनोभावों के अनुसीर बना लें" (फिलिप्पियों 2:5)। अस्तु, सन्त पापा ने लिखा कि न सिर्फ़ हमारा नज़रिया और व्यवहार ईश्वर जैसा होना चाहिए, बल्कि हमारी भावनाएँ, हमारा अस्तित्व भी ईश्वर जैसे होने चाहिये।

साक्षात्कार का अनुभव

सन्त पापा ने लिखाः "भाई लोरेन्सो के पन्नों में ईश्वर से साक्षात्कार का अनुभव होता है, जिसे उन्होंने अपनी मुलाकातों, और बातचीत में छिपे हैरानी के पलों तथा व्यक्तिगत रिश्तों के तौर पर बताया है, जो महान रहस्यवादियों, खासकर अविला की सन्त तेरेसा के अनुभवों की याद दिलाता है, जिन्होंने खुद ईश्वर के साथ इस जान-पहचान की गवाही दी थी और यहाँ तक कि "बर्तनों के ईश्वर" की बात की थी। अस्तु, भाई लोरेन्सो की पुस्तक एक ऐसे रास्ते की ओर इशारा करती है जो हर किसी के लिए आसान है, खासकर इसलिए कि यह रोज़मर्रा का रास्ता है।"

सन्त पापा ने लिखाः "भाई लोरेन्सो जो रास्ता हमें दिखाते हैं, उसमें जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं ईश्वर की मौजूदगी धीरे-धीरे जानी-पहचानी होती जाती है और हमारे अंदर बस जाती है, उनके साथ रहने की खुशी हमारे दिलों में बढ़ती जाती है, कृपा और आध्यात्मिक दौलत बढ़ती जाती है और हमारे दिनचर्या के काम भी आसान और हल्के हो जाते हैं।"

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19 दिसंबर 2025, 10:44