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लेबनान में संत पापा देश के राष्ट्रपति और प्रथम  महिला संग लेबनान में संत पापा देश के राष्ट्रपति और प्रथम महिला संग  (ANSA)

संत पापाः शांति स्थापक धन्य हैं

संत पापा लियो ने लेबनान की प्रेरितिक यात्रा के प्रथम पड़ाव में नागर अधिकारियों, राजनायिकों को दिये गये अपने संदेश में लेबनानियों की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

वाटकिन सिटी

संत पापा लियो ने लेबनान की प्रेरितिक यात्रा के दौरान बेरूत के राष्ट्रपति भवन में नागर अधिकारियों, राजनायिकों, धर्मअधिकारियों और गणमान्य लोगों से भेंट की।

संत पापा ने सबों का अभिवादन करते हुए कहा,“धन्य हैं वे जो शांति स्थापित करते हैं।” संत पापा ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए शांति की इस चाह को बुलाहट का एक स्वरूप कहा, “यह एक उपहार और प्रगतिशील कार्य है।”

संत पापा ने अपनी प्रेरितिक यात्रा के केन्द्रीय विषयवस्तु को धोषित करते हुए कहा कि धन्य हैं वे जो शंति स्थापित करते हैं। यहाँ और दुनिया भर में लाखों की संख्या में लेबनानी हैं जो शांति हेतु प्रति दिन कार्य करते हैं। उन्होंने अति जटिल, युद्धग्रस्त और अनिश्चित परिस्थितियों में शांति स्थापक होने के अर्थ पर चिंतन किया।

लेबनानीः हार नहीं मानते

संत पापा ने कहा कि लेबनान की प्रकृति सुन्दरता और सांस्कृतिक समृद्धि के अलावे और एक चमकता गुण है जो लेबनानियों को दूसरों से अलग बनता हैः “आप हार मानने वाले नहीं हैं, बल्कि कठिनाईयों की स्थिति में आप साहस में पुनः उठना जानते हैं। आपकी हिम्मत शांति बनाने वालों की एक ज़रूरी खासियत है, क्योंकि शांति के कार्य अपने में निरंतर एक नई शुरुआत को व्यक्त करता है।” शांति और प्रेम की चाह हमें जीवन की हार से भयभीत नहीं करते और न ही निराश करते हैं बल्कि वे हमें अपनी निगाहें आगे रखते हुए सारी परिस्थितियों का आलिंगन आशा में करने को प्रेरित करते हैं। शांति बनाने के लिए हिम्मत की आवश्यकता है, जीवन की रक्षा और देखभाल हमसे लगनता की मांग करती है।

संत पापा लियो लेबनान में
संत पापा लियो लेबनान में   (ANSA)

आशा लेबनानियों की भाषा

संत पापा ने कहा कि आप अपने इतिहास को देखें और स्वयं से पूछें वह बड़ी शक्ति कहाँ से आती है जिसने आप के लोगों का परित्याग कभी नहीं किया है या आपको आशाहीन छोड़ा हो। आप विविधता के समुदाय हैं जिसकी एक सामान्य भाषा है। उन्होंने कहा कि मैं लेबनान अरबी भाषा की नहीं बल्कि आशा की भाषा के बारे में कह रहा हूँ जिसके फलस्वरुप आप सदैव पुनः शुरू करने के योग्य होते हैं। हम पूरी दूनिया में एक तरह से निराशावाद और शक्तिहीनता की भावना को पाते हैं, जहाँ लोग अपने में यह नहीं सोच सकते हैं कि इतिहास को बदले के उन्हें क्या करना चाहिए। बड़े निर्णय कुछ चुने हुए लोगों के द्वारा लिये जाते हैं, जो अक्सर जन सामान्य की भलाई के लिए नुकसानदेह होती है, जैसे कि यह एक अनिवार्य विधान हो। आर्थिक अर्थव्यवस्था के कारण आप को बहुत कष्ट झेलना पड़ा है जिसके कारण वैश्विक अस्थिरता आती है, लेकिन आप ने सदैव पुनः शुरू करने की चाह रखी है और इसके शुरू करना जानते हैं।

जीवंत और शिक्षित समाज

संत पापा लियो ने कहा कि लेबनान अपने जीवंत, शिक्षित समाज, युवा लोगों पर गर्व कर सकता है जो अपने सपनों और पूरे देश की आशाओं को व्यक्त करने के योग्य हैं। “आप अपने को अपनों से अलग न करें, और निष्ठा और ईमानदारी में उनकी सेवा हेतु संलग्न रहें।” आप नई शुरूआत करते हुए सदैव आशा की भाषा बोलें जो सब को एक साथ लाती है। एकता में रहने और आगे बढ़ने की इच्छा हर दल की एक आवाज़ हो। आपको उन गहरे प्यार के रिश्तों से मदद मिले जो दुनिया भर के लेबनानियों से आपको जोड़ती है। वे अपनी जमींर से प्रेम करते हैं और उन लोगों के लिए प्रार्थना करते हैं जिन्हें वे आज भी अपना अंग महसूस करते हैं। वे कई अनुभवों और कलाओं के ज़रिए भी उनका साथ देते हैं, जिनकी वजह से हर जगह उनकी  प्रशंसा की जाती है।

संत पापा और लेबनान के राष्ट्रपति
संत पापा और लेबनान के राष्ट्रपति   (ANSA)

चंगाई हेतु घावों पर कार्य करें 

संत पापा लियो ने कहा कि यह हमें शांति स्थापकों की दूसरी विशेषता पर लाती है। वे केवल ऐसा करना ही नहीं जानते बल्कि वे सर्वप्रथम सुलह के कठिन मार्ग का चुनाव करते हैं। वास्तव में, हम व्यक्तिगत और सामूहिक घावों को देखते हैं, कभी-कभी पूरी पीढ़ी के लिए जिसकी चंगाई के लिए सालों लगते हैं। यदि हम उन यादों की चंगाई हेतु उन पर कार्य नहीं करते तो शांति की हमारी यात्रा कठिन लाती है। हम अपने दर्द और अपनी सोच में कैद होकर रह जाते हैं। दूसरी ओर सच्चाई का सामना हम सिर्फ दूसरों से मिलन में करते हैं। दूसरों से मिलन बिना हम सच्चाई के सिर्फ एक पहलू को जानते हैं। सच्चाई और मेल-मिलाप का विकास एक साथ मिलन में होता है, चाहे वह परिवार, विभिन्न समुदायों और देशों या अलग-अलग लोगों में ही क्यों न हो।

ईश्वर की योजना- हम एक परिवार हों

संत पापा ने कहा कि उसके साथ ही हम सामान्य लक्ष्य के बिना मेल-मिलाप को लम्बें समय तक टीका नहीं पाते हैं, यह हमें प्रताड़ितों के लिए अच्छाई और भलाई की मांग करती है। मेल-मिलाप की संस्कृति इस भांति सिर्फ नीचे, कुछेक के साहस से नहीं होती है। इसके लिए हमें अधिकारियों और संस्थानों द्वारा सामान्य भलाई की चाह रखने की मांग करती है। शांति वास्तव में, एक संतुलन से कहीं अधिक है उन लोगों के बीच जो एक ही छत के नीचे रहते हुए भी अलग-अलग रहते हैं। शांति अपने में एक साथ, एकता में लोगों के संग मेल-प्रेम से जीवनयापन करना है। कभी-कभी हम सोचते हैं कि एक कदम लेने से पहले हमें सभी बातों को स्पष्ट करने और सुलझाने की जरुरत है। लेकिन इसके बदले हमें चाहिए कि हम मिलकर वार्ता करें, कुछ नसमझियों के मध्य भी जो हमें मेल-मिलाप हेतु आगे ले चलती है। हमारे लिए सच्चाई यही है कि ईश्वर ने हमें अपनी योजना में एक परिवार का अंग होने हेतु बनाया है।

संत पापा का ऑनर बुक में समृति लेख
संत पापा का ऑनर बुक में समृति लेख   (ANSA)

शांति की प्रतिबद्धता

संत पापा लियो ने शांति की चाह रखने वालों के लिए एक तीसरे विन्दु की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि बलिदान की मांग किये जाने की स्थिति में भी शांति स्थापक को आगे बढ़ने की आवश्यकता है। कई बार भागना हमारे लिए सहज लगता है या हम अपने में एक सुविधजनक मार्ग का चुनाव करते हैं। अपने देश में रहना या लौटकर आना साहस और दूरदर्शिता की मांग करती है। हम इस देश में, और विश्व के विभिन्न स्थानों पर अनिश्चितता, हिंसा, गरीबी और बहुत से दूसरे जोखिमों को पाते हैं जो युवाओं को भविष्य की खोज हेतु परिवारों को छोड़कर दूसरे जगहों में जाने को विवश करता है, चाहें मातृभूमि को छोड़ना उनके लिए बहुत दर्दनाक  ही क्यों न हो। निश्चित तौर पर लेबनानियों का विश्व के विभिन्न स्थानों में होना बहुत अच्छी बात है, यद्यपि हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि अपने ही देश में रह कर उसकी नागरिकता और शांति में बढ़ने हेतु कार्य करना अति मूल्यवान है।

हमारी पहचान हमारी मातृभूमि

वास्तव में, कलीसिया सिर्फ उन लोगों की चिंता नहीं करती है जो सम्मान हेतु अपने देशों को छोड़ते हैं। वह नहीं चाहती कि कोई अपने देश को छोड़ने में बाध्य हों। इसके भी बढ़कर कलीसिया चाहती है कि वे जो अपनी मातृभूमि लौटने की चाह रखते हैं वे सुरक्षा में ऐसा कर सकें। मानव गतिशीलता हमारे लिए एक बृहद मिलन और आपसी समृधि के अवसर उत्पन्न करती है, वहीं हमें उस विशेष लगाव को नहीं मिटा सकते जो किसी विशेष स्थान में जुड़े रहने में है, जो हमें एक पहचान प्रदान करती है। शांति का विकास एक ठोस भौगोलिक, एतिहासिक और आध्यात्मिक परिस्थिति में होता है। हमें चाहिए कि उन लोगों को बढ़ावा दें जो इसे स्थापित करने हेतु कार्य करते हैं। संत पापा फ्रांसिस के विश्व प्रेरितिक पत्र फ्रातेल्ली तूत्ती को उदृधतृ करते हुए संत पापा लियो ने कहा, “हमें छोटी-मोटी प्रांतीय सोच से बचने के लिए वैश्विक नज़रिया अपनाना होगा। जब हमारा घर, घर न रहकर एक घेरा, एक कोठी बनने लगता है, तो वैश्विकता हमारी मदद के लिए आती है, एक “आखिरी वजह” जो हमें पूर्णता की ओर खींचती है। साथ ही, स्थानीयता को भी खुशी से अपनाना होगा, क्योंकि इसमें कुछ ऐसा है जो विश्व में नहीं है: यह एक खमीर बनने, समृद्धि लाने, विकल्प के तरीकों को जगाने में सक्षम है। इस तरह, वैश्विक भाईचारा और सामाजिक दोस्ती हर समाज में दो ऐसे अहम और बराबरी के ध्रुव हैं जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता।”

संत पापा की प्रतीक्षा में भीड़
संत पापा की प्रतीक्षा में भीड़

हमारी चुनौतियाँ

संत पापा ने चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा, “हम क्या कर सकते हैं कि युवा लोग विशेषकर अपनी मातृभूमि का परित्याग कर पलायन करने हेतु वाध्य नहीं होते हों”ॽ हम कैसे उन्होंने दूसरी जगह शांति की खोज करने के बदले स्वयं अपने जन्म स्थल में शांति के अगुवे बनने को प्रोत्साहित कर सकते हैंॽ इस संदर्भ में ख्रीस्तीय और मुस्लिम मिलकर, और सारा लेबनानी नागर समाज, अपने में कार्य करने को आमंत्रित किया जाता है, और इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चेतना के रुप में प्रस्तुत कर सकता है।

संत पापाः लेबनानी हार नहीं मानते हैं

नारियों की भूमिका अहम

इस संदर्भ में संत पापा ने नारियों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि शांति स्थापित करने में नारियों की भूमिका अहम है। “हम इस बात को न भूलें कि नारियों में शांति स्थापना की एक विशेष योग्यता है क्योंकि वे जीवन, लोगों और स्थानों के संग रिश्तों को संजोकर रखना और उसे मजबूत बनाना जानती हैं। सामाजिक और राजनीति जीवन के साथ-साथ वे धर्मसंध के समुदायों में नवीनता की एक सच्ची कड़ी हैं, वैसे ही जैसे युवाओं में शाक्ति का संचार होता है। धन्य हैं वे जो शांति स्थापित करते हैं और धन्य हैं वे युवा जो अपनों से दूर रहते या लेबनान लौटने की चाह रखते हैं जिससे यह पुनः जीवन के भरपूर हो।

लेबनानी संगीत प्रेमी

संत पापा ने लेबानानियों के एक दूसरी विशेषता का जिक्र करते हुए कहा कि आप संगीत प्रेमी हैं। त्योहारों में यह नृत्य का रुप, खुशी और एकता की एक भाषा बनती है। यह आप को इस बात को समझने में मदद करती है कि शांति मानव प्रयास का फल नहीं है। वास्तव में, यह ईश्वर का एक उपहार है जो हमारे लिए आता और हमारे हृदयों में निवास करता है। यह हमारे लिए आंतिरक वेग की भांति है जो हमें बाहर की ओर धकेलता है, जहाँ हम अपने को ईश्वर के संगीत, दिव्य प्रेम में बढ़ने देते हैं। वे जो नाचते हैं धीरे से बढ़ते हैं, धरती को रौंदे बिना, दूसरों के संग कदम से कदम मिलाकर। शांति के साथ वैसी ही बात है, जिसकी शुरूआत पवित्र आत्मा से होती है, जो हमारे हृदय को दूसरों के लिए खोलती है। यह शांति जो हमारे लिए ईश्वर से आती है आप में विकसित हो, यह आप में और इस धरती पर परिवर्तन की ब्यार लाये जिसे ईश्वर अत्यधिक प्रेम करते और आशीष देते रहते हैं। 

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01 दिसंबर 2025, 13:24