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तुर्की की प्रेरितिक यात्रा के दौरान संत जॉर्ज महागिरजाघऱ के सामने संत पापा धर्मगुरुओं के साथ तुर्की की प्रेरितिक यात्रा के दौरान संत जॉर्ज महागिरजाघऱ के सामने संत पापा धर्मगुरुओं के साथ  (@Vatican Media)

संत पापा : तुर्की और लेबनान की यात्रा से पता चलता है कि शांति मुमकिन है

संत पापा लियो 14वें ने तुर्की और लेबनान की अपनी हाल की प्रेरितिक यात्रा को याद करते हुए कहा कि धार्मिक नेताओं से मुलाकात करने से पता चलता है कि अगर हम मिलकर शांति बनाएं तो यह मुमकिन है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, सोमवार 08 दिसंबर 2025 : तुर्की और लेबनान की अपनी यात्रा के बाद रविवारीय देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा लियो 14वें ने उन कई लोगों को धन्यवाद दिया जिन्होंने इसे संभव बनाया और उन विश्वासियो को भी, जिन्होंने अपनी प्रार्थनाओं में उनका साथ दिया।

तुर्की की यात्रा

तुर्की में, उन्होंने अपने “प्यारे भाई बार्थोलोम प्रथम, कॉन्स्टांटिनोपल के ख्रीस्तीय एकता के प्राधिधर्माध्यक्ष और दूसरे ख्रीस्तीय संप्रदाय के प्रतिनिधियों” के साथ 325 में नाइसिया महासभा की जगह पर, आज के इज़निक में प्रार्थना की।

उन्होंने कहा, “ठीक आज हम संत पापा पॉल षष्टम और प्राधिधर्माध्यक्ष अथनागोरस के बीच संयुक्त घोषणा की 60वीं सालगिरह मना रहे हैं, जिसने आपसी बहिष्कार को खत्म कर दिया।” “आइए हम ईश्वर का धन्यवाद करें और सभी ख्रीस्तियों की पूर्ण एकता की यात्रा के लिए अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराएं।”

संत पापा लियो ने तुर्की के काथलिक समुदाय से मिलने के मौके पर अपनी खुशी ज़ाहिर की, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह समुदाय अपनी सब्र वाली बातचीत और दुख झेलने वालों की सेवा में प्रेम के सुसमाचार का गवाह है।

लेबनान में युवाओं से मुलाकात करते हुए संत पापा
लेबनान में युवाओं से मुलाकात करते हुए संत पापा   (ANSA)

लेबनान की यात्रा

लेबनान की बात करते हुए, संत पापा ने कहा कि देश “मिल-जुलकर रहने का एक तरीका” बना हुआ है, और उन्हें यह सुनकर हिम्मत मिली कि बहुत से लोग इस मॉडल के गवाह हैं।

उन्होंने कहा, “मैं ऐसे लोगों से मिला जो बेघर लोगों का स्वागत करके, कैदियों से मिलकर और ज़रूरतमंदों के साथ रोटी बाँटकर सुसमाचार का प्रचार करते हैं।” “सड़कों पर इतने सारे लोगों को मेरा स्वागत करते देखकर मुझे बहुत खुशी हुई, और बेरूत के बंदरगाह पर हुए धमाके के पीड़ितों के रिश्तेदारों से मिलकर मैं बहुत भावुक हो गया था।”

संत पापा ने कहा कि भले ही उन्होंने दिलासा देने वाली बातें कहीं, लेकिन बदले में उन्हें लेबनानी लोगों के विश्वास और जोश से उन्हें और भी ज़्यादा दिलासा मिला।

संत पापा लियो 14वें ने अंत में कहा, “हाल के दिनों में तुर्की और लेबनान में जो हुआ है, वह हमें सिखाता है कि शांति मुमकिन है, और ख्रीस्तीय और, दूसरे धर्मों व संस्कृतियों के पुरुषों और महिलाओं के साथ बातचीत करके शांति बनाने में मदद कर सकते हैं।”

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08 दिसंबर 2025, 14:42