कार्डिनल चरनी ने एल सल्वाडोर में मौत के शिकार जेस्विटों की याद की
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
33 साल पहले 16 नवम्बर 1989 की रात छः येसु समाजी पुरोहितों की हत्या सलवाडोर के यूसीए (सन सलवाडोर में मध्य अमरीकी येसु समाजी यूनिर्सिटी) के परिसर में साल्वाडोरियन सशस्त्र बलों के कमांडो ने कर दी थी।
देश में उन वर्षों में जारी गृहयुद्ध (1979-1992) ने दक्षिणपंथी सैन्य सरकार और क्रांतिकारी समूह फ़राबुंडो मार्टी नेशनल लिबरेशन फ्रंट को एक-दूसरे के विरूद्ध कर दिया था। अधिकारियों ने रेक्टर फादर इग्नासियो एलाकुरिया, ईशशास्त्री और दर्शनशास्त्री फादर इग्नासियो मार्टिन बारो, फादर सेगुंदो मोंतेस, फादर अमंदो लोपेज, फादर ज्वाकिन लोपेज वाई लोपेज और फादर जुवन रामोन पार्दो पर क्रांतिकारी समूह फ़राबुंडो मार्टी नेशनल लिबरेशन फ्रंट का समर्थन करने का आरोप लगाया था। यही कारण था कि उन्होंने उनपर हमला कर उन्हें मार डाला था। उसी हमले में उन्होंने वहाँ के रसोइये और सेविका एलबा रामोस तथा उनकी 16 साल की बेटी सिसिलिया की भी हत्या कर दी थी।
कई वर्षों की जाँच
रक्तपात ने उस समय अंतरराष्ट्रीय जनता की राय को झकझोर कर रख दिया था, लेकिन 2000 में इस मामले को खारिज कर दिए जाने के बाद जांच में कभी भी सच नहीं निकली। बीस साल बाद, अमेरिका ने 13 सैन्य अधिकारियों को जो अभी भी सेवा में थे और पूर्व सैन्यकर्मियों को, सल्वाडोरियन निर्वासितों के 'असाधारण मृत्युदण्ड' के लिए जिम्मेदार माना।
कार्डिनल चरनी का पत्र
तीन दशक बाद उन शहीदों की याद करते हुए वाटिकन के समग्र मानव विकास विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल माइकेल चरनी ने उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर एक पत्र लिखा। जेस्विट कार्डिनल ने अपने भाइयों की हत्या की याद करते हुए शहादत के विरासत की लम्बी सूची में रखा जो आज अपनी चरम सीमा पर है जिसको संत पापा "तीसरा विश्व युद्ध" कहते हैं।
नवीनीकरण हेतु निमंत्रण
कार्डिनल ने लिखा, "अगर हम दुनिया भर में देखें, तो क्या कोई महाद्वीप या क्षेत्र है जहाँ यह महत्वपूर्ण वर्षगांठ जिसे हम आज याद करते हैं, सच्ची शांति के साथ मनाया जा सकता है? या यह कई चुनौतियों और विद्रोहों का समय है?" स्थिति बहुत गंभीर है, लेकिन फिर भी दृष्टिकोण आशा का है ˸ "दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हिंसा के संकेतों और शांति की नाजुकता के बावजूद, हमारे प्रभु हमें सिनॉड के रास्ते के माध्यम से एक नवीकरण के लिए आमंत्रित करते हैं।" उन्होंने कहा है कि सतर्क रहना और यात्रा करना, शहीद भाई-बहनों से प्रेरित होकर विनम्र तीर्थयात्रा और आनन्दमय सेवा, कलीसिया का सच्चा जीवन है।
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