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निकारागुआ में पानी का अभाव, प्रतीकात्मक तस्वीर निकारागुआ में पानी का अभाव, प्रतीकात्मक तस्वीर   (AFP or licensors)

जल पुनर्जीवन का प्रतीक, महाधर्माध्यक्ष गाब्रियल काच्या

न्यू यॉर्क में "सतत विकास हेतु जल" 2018- 2028 कार्रवाई पर अंतर्राष्ट्रीय दशक के उद्देश्यों की व्यापक समीक्षा पर आयोजित मध्यावधि सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल काच्या ने कहा कि जल पुनर्जीवन का प्रतीक है।

जूलयट जेनेवीव  क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

न्यू यॉर्क, शुक्रवार, 24 मार्च 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): न्यू यॉर्क में "सतत विकास हेतु जल" 2018- 2028  कार्रवाई पर अंतर्राष्ट्रीय दशक के उद्देश्यों की व्यापक समीक्षा पर आयोजित मध्यावधि सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल काच्या ने कहा कि जल पुनर्जीवन का प्रतीक है।  

पानी पुनर्जीवन का प्रतीक

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, इतिहास के अन्तराल में, अलग-अलग समय और स्थानों पर, पानी का मौलिक महत्व सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक परंपराओं में परिलक्षित हुआ है। उन्होंने कहा, "पानी पुनर्जीवन का प्रतीक है क्योंकि यह वह पेय है जिसकी हमें लगातार आवश्यकता होती है; यह शुद्ध करता है और जीवन को लगातार पुनर्स्थापित करता है।"

महाधर्माध्यक्ष काच्या ने कहा, सीधे शब्दों में कहें तो पानी के बिना जीवन नहीं है। हमारा शरीर अधिकांश पानी से बना है, और हम अपने अस्तित्व के लिए इस पर भरोसा करते हैं, "फिर भी इस संसाधन पर वह ध्यान नहीं दिया गया है जिसका यह हकदार है। हम आज भी पानी को बर्बाद करने, उसकी अवहेलना करने या उसे प्रदूषित करने की ग़लती करते रहते हैं।

उन्होंने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा कि पानी तक सार्वभौमिक पहुंच, इसका धारणीय और ज़िम्मेदार उपयोग एवं प्रबंधन पूरे मानव परिवार की सामान्य भलाई की उपलब्धि के लिए अनिवार्य है।

पानी की कमी और बर्बादी

महाधर्माध्यक्ष काच्या ने कहा कि जल के धारणीय विकास से सम्बन्धित दशक के इस मध्य बिंदु पर, जल के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय आयामों को याद रखना आवश्यक है। उन्होंने इस बात का स्मरण दिलाया कि  दुनिया की लगभग आधी आबादी अभी भी गरीबी में जी रही है, और गरीब ही हैं जो पानी की कमी से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं, हर दिन हजारों लोग मर रहे हैं। यहां तक कि जब पानी उपलब्ध होता है, तब भी लाखों लोगों की पहुंच असुरक्षित पानी तक ही होती है, जिसके परिणामस्वरूप "कई मौतें होती हैं और पानी से संबंधित बीमारियां फैलती हैं।" इसके अलावा, उन्होंने कहा, कोविड-19 महामारी ने "मौजूदा सामाजिक और आर्थिक असमानताओं और सबसे ज्यादा ज़रूरतमन्द लोगों के बीच जल सेवाओं की अनुपस्थिति या अक्षमता के कारण होने वाले नुकसान को उजागर किया है।

महाधर्माध्यक्ष काच्या ने कहा कि एक ओर पानी का अभाव है तो दूसरी ओर, बहुत से स्थानों में पानी बर्बाद हो जाता है। सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों का उल्लेख कर उन्होंने कहा, "पानी की समस्या आंशिक रूप से एक शैक्षिक और सांस्कृतिक मुद्दा है, क्योंकि इस तरह के व्यवहार की गंभीरता के बारे में बहुत कम जागरूकता है।"

उन्होंने कहा कि इस समस्या को संबोधित करने के लिए एक प्रारंभिक बिंदु के रूप में, सन्त पापा ने पानी के तर्कसंगत उपयोग, और संसाधनों के प्रबंधन में अधिक ज़िम्मेदारी और एकजुटता का आह्वान किया है, एक ऐसी दृष्टि लागू करने काआग्रह किया है जो खुद से परे देखे।

निजीकरण से बचें

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि पानी की बढ़ती उपलब्धता इसके निष्कर्षण, निस्पंदन, शुद्धिकरण और संरक्षण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे में अधिक निवेश पर निर्भर करती है। जल संसाधनों के प्रबंधन की प्राथमिक ज़िम्मेदारी सरकारों की है, लेकिन "राज्यों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग, साथ ही अंतर-सरकारी निकायों द्वारा पहल में वृद्धि, आज, पहले से कहीं अधिक आवश्यक है।"

साथ ही, उन्होंने कहा, "इस बहुमूल्य संसाधन का निजीकरण करने, पानी को बाज़ार के नियमों के अधीन एक वस्तु में बदलने" की प्रवृत्ति से सावधान रहना भी आवश्यक है।

महाधर्माध्यक्ष काच्या ने कहा कि जल जीवन का एक स्रोत है, इसलिए इसे एक प्राथमिक वस्तु के रूप में मान्यता देना जो सभी के लिए उपलब्ध हो अति आवश्यक है। राष्ट्रों और सरकारों का उन्होंने आह्वान किया कि वे इसके लिये उन "पर्याप्त नीतियों को विकसित और लागू करें जो "सभी के लिए पानी और स्वच्छता की उपलब्धता और स्थायी प्रबंधन सुनिश्चित करने में समक्ष हैं।"

देशों के प्रतिनिधियों से उन्होंने अनुरोध किया कि वे इस सम्मेलन के ऐतिहासिक अवसर का लाभ उठाकर पानी सभी के लिए उपलभ्य सम्बन्धी हमारी साझा प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करें ताकि जल मानव उपभोग के लिए उपयुक्त हो, इसका प्रबंधन टिकाऊ रहे तथा पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाये।

 

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24 March 2023, 12:16