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2023.10.14 सिनॉड के दौरान छोटे दलों में विचार-विमार्श 2023.10.14 सिनॉड के दौरान छोटे दलों में विचार-विमार्श  (Vatican Media)

सिनॉडालिटी पर सिनॉड का ‘मॉड्यूल बी 2

धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की 16वीं महासभा के प्रतिभागी ने वाटिकन के पॉल षष्ठम सभागार में अब "मॉड्यूल बी2" की जांच और उसपर चर्चा शुरू करना शुरू कर दिया है, जिसका पूरा दस्तावेज हम यहाँ नीचे प्रस्तुत कर रहे हैं।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शनिवार, 14 अक्टूबर (रेई) : धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की 16वीं महासभा के प्रतिभागी ने वाटिकन के पॉल षष्ठम सभागार में अब "मॉड्यूल बी2" की जांच और उसपर चर्चा शुरू करना शुरू कर दिया है, जिसका पूरा दस्तावेज हम यहाँ नीचे प्रस्तुत कर रहे हैं।

बी2. मिशन में सह-जिम्मेदारी: हम सुसमाचार की सेवा में वरदानों और कार्यों को बेहतर ढंग से कैसे साझा कर सकते हैं?

51. “तीर्थयात्री कलीसिया अपने स्वभाव से ही मिशनरी है।” (एजी2) मिशन उस गतिशील क्षितिज का गठन करता है जहाँ से हमें सिनॉडल कलीसिया के बारे में सोचना है, जिससे यह "परमानंद" की ओर एक प्रेरणा प्रदान करता जिसमें "खुद से बाहर आना और दूसरों की भलाई की तलाश करना, यहां तक ​​कि अपने जीवन का बलिदान देना शामिल है।" (सीवी 163; एफटी 88) मिशन व्यक्ति को पेंतेकोस्त का अनुभव कराता है: पवित्र आत्मा को ग्रहण करने के बाद पेत्रुस एवं अन्य ग्यारह शिष्य उठे और येरूसालेम के सभी लोगों के लिए क्रूसित एवं पुनर्जीवित येसु की घोषणा करने लगे।(प्रे.च 2:14-36) सिनॉडल जीवन (एक साथ) उसी गतिशीलता पर आधारित है। ऐसे कई साक्ष्य हैं जो इन शब्दों में पहले चरण के जीवंत अनुभव का वर्णन करते हैं, और इससे भी अधिक ऐसे साक्ष्य हैं जो धर्मसभा और मिशन को अविभाज्य तरीके से जोड़ते हैं।

52. कलीसिया जो खुद को ईश्वर से संयुक्ति एवं मानवता के साथ एकता के चिन्ह और साधन के रूप में परिभाषित करती है (एलजी1) मिशन पर चर्चा संकेत की स्पष्टता और साधन की प्रभावकारिता पर केंद्रित है, जिसके बिना किसी भी उद्घोषणा में विश्वसनीयता का अभाव होता है। मिशन किसी धार्मिक उत्पाद का व्यापार नहीं है, बल्कि एक ऐसे समुदाय का निर्माण है जिसमें रिश्ते ईश्वर के प्रेम की अभिव्यक्ति हैं और इसलिए उनका जीवन ही एक उद्घोषणा बन जाता है। प्रेरित चरित में, संत पेत्रुस के भाषण के तुरन्त बाद, आरम्भिक समुदाय के जीवन का विवरण दिया गया है, जिसमें सब कुछ सहभागिता का अवसर बन गया (2:42-47), जिसने समुदाय को आकर्षक बना दिया।

53. इस क्रम में, मिशन के संबंध में पहला प्रश्न पूछा जाता है कि ख्रीस्तीय समुदाय के सदस्य वास्तव में क्या समानता रखने को तैयार हैं, प्रत्येक सदस्य की अघुलनशील विशिष्टता, बपतिस्मा में ख्रीस्त के साथ उनके सीधे संबंध के आधार पर और पवित्र आत्मा के मंदिर के रूप में। यह हरेक बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति के योगदान को बहुमूल्य एवं परम आवश्यक बनाता है। पहले चरण के दौरान देखी गई आश्चर्य की भावना का एक कारण योगदान की इस संभावना से संबंधित है: "क्या मैं वास्तव में कुछ दे सकता हूँ?" साथ ही, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी अपूर्णता को स्वीकार करने के लिए आमंत्रित किया जाता है, और इसलिए मिशन की पूर्णता इस चेतना में है कि सभी जरूरतमंद हैं। इस अर्थ में, मिशन का एक संवैधानिक रूप से धर्मसभा आयाम भी है।

54. इसलिए, कलीसिया द्वारा पहचानी जानेवाली दूसरी प्राथमिकता है कि यह अपने आपको मिशनरी और सिनॉडल चिंताओं के रूप में पहचाने, ताकि यह सभी से सहयोग का आग्रह कर सके, हरेक से उनकी भूमिका एवं क्षमता के आधार पर, कैरिज्म की विविधता को महत्व देते हुए और पदानुक्रमित विशिष्ट वरदानों के बीच संबंधों को एकीकृत कर सके [1]।  

मिशन का परिप्रेक्ष्य कैरिज्म और प्रेरिताई को सार्वजनिक के क्षितिज के भीतर रखता है, और इस तरह उनकी फलदायीता की रक्षा करता है, जिससे तब समझौता कर लिया जाता है जब बहिष्कार के रूपों को वैध बनाते हुए वे विशेषाधिकार बन जाते हैं। एक मिशनरी सिनॉडल कलीसिया का कर्तव्य है अपने आपसे पूछना कि वह हरेक बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति के मिशन में सहयोग को कैसे पहचान सकता एवं महत्व दे सकता है, ताकि स्वयं से बाहर आकर और किसी बड़े कार्य में दूसरों के साथ मिलकर भाग ले सके। "मानवता के आमहित में सक्रिय योगदान देना (सीए 34) व्यक्ति की गरिमा का एक अभिन्न अंग है,” जो ख्रीस्तीय समुदाय के भीतर भी है। पहला योगदान अगर कोई व्यक्ति दे सकता है तो वह है कि वह व्यक्ति समय के चिन्ह पर आत्मपरख करे (जीएस 4) ताकि हमारे आम मिशन में पवित्र आत्मा के अनुसार चेतना बनाये रखा जा सके। इस आत्मपरख के लिए हर दृष्टिकोण से सहयोग दिया जा सकता है, गरीब और बहिष्कृत लोगों से शुरू करते हुए। उनके साथ चलने का मतलब केवल उनकी जरूरतों और पीड़ाओं पर प्रतिक्रिया देना और उन्हें स्वीकार करना मात्र नहीं है बल्कि उनके नायकत्व का सम्मान करना और उनसे सीखना भी है। यही उनकी समान प्रतिष्ठा को पहचानना है, कल्याणवाद के जाल से बचना और जहां तक संभव हो नए आकाश और नई पृथ्वी के तर्क की आशा करना, जिसकी ओर हम बढ़ रहे हैं।  

55. इस प्राथमिकता से जुड़ी कार्यपत्रक मिशनरी सिनॉडल कलीसिया के भीतर विभिन्न बुलाहटों, विशिष्ठताओं और प्रेरिताइयों की मान्यता, महिलाओं की बपतिस्मात्मक गरिमा को बढ़ावा देने, अभिषिक्त पुरोहितों की भूमिका और विशेष रूप से धर्माध्यक्षों की प्रेरिताई जैसे विषयों के संबंध में इस मूल प्रश्न को ठोस बनाने का प्रयास करती है।

[1] विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ, पत्र इउवेनेसिट एक्लेसिया, 15 मई 2016, 13-18

 

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14 October 2023, 15:36