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नागोर्नो कराबाख के क्षेत्र से भाग रहे शरणार्थी नागोर्नो कराबाख के क्षेत्र से भाग रहे शरणार्थी  (AFP or licensors)

जातीय अर्मेनियाई नागोर्नो कराबाख छोड़ रहे हैं

करीब 2,900 से अधिक जातीय अर्मेनियाई लोग नागोर्नो कराबाख के क्षेत्र से भाग गए हैं, अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि लगभग 120,000 की लोग क्षेत्र को छोड़ सकते हैं।

वाटिकन न्यूज

पिछले सप्ताह अजरबैजानी सैन्य अधिग्रहण के बाद, अब तक लगभग तीन हजार जातीय अर्मेनियाई लोग नागोर्नो काराबाख से भाग गए हैं।

सोमवार को जारी अर्मेनियाई सरकार के बयान अनुसार 2,900 से अधिक शरणार्थी दक्षिण काकेशस क्षेत्र से अर्मेनिया पहुँचे हैं।

सामूहिक पलायन

पर्यवेक्षकों का कहना है कि और बहुत सारे लोग अर्मेनिया आ सकते हैं।

जातीय अर्मेनियाई सरकार के क्षेत्रीय अधिकारी डेविड बबायन ने रॉयटर्स न्यूज एजेंसी को बतलाया कि उन्हें उम्मीद है कि काराबाख के लगभग 120,000 जातीय अर्मेनियाई लोग चले जाएंगे।

उन्होंने कहा, “वे अजरबैजान के हिस्से के रूप में रहना नहीं चाहते, 99.9% लोग हमारे ऐतिहासिक भूमि को छोड़ना चाहते हैं... हमारे गरीब लोगों का भाग्य, इतिहास में अर्मेनियाई लोगों और पूरी सभ्य दुनिया के लिए अपमान और शर्म की बात के रूप में दर्ज किया जाएगा।

काराबाख अर्मेनियाई की स्थिति

नागोर्नो काराबाख की अजरबैजान के हिस्से के रूप में एक अंतरराष्ट्रीय पहचान है, लेकिन सोवियत संघ के पतन के बाद से जातीय अर्मेनियाई लोगों द्वारा शासित किया गया है।

अजरबैजान का कहना है कि वह अर्मेनियाई लोगों को अब अपनी सीमा में "समान नागरिक" के रूप में फिर से एकीकृत करना चाहता है।

हालाँकि, आर्मेनिया ने मानवाधिकारों के हनन और जातीय सफाए की आशंका जताई है, यह बताते हुए कि अजरबैजान ने पुनर्एकीकरण प्रक्रिया की अंतरराष्ट्रीय निगरानी से इनकार कर दिया है, और यह कैसे हासिल किया जाएगा, इसके बारे में विवरण देने में विफल रहा है।

अर्मेनियाई सरकार ने विदेशी अन्तःक्षेत्र से आनेवाले सभी शरणार्थियों को जगह देने का वादा किया है। यह कहते हुए कि “उनका स्वागत प्रेम से हमारे भाईयों एवं बहनों के रूप में किया जाएगा।”

क्षेत्रीय तनाव

सदियों से, नागोर्नो कराबाख पर फारसियों, तुर्कों, रूसियों, ओटोमन्स और सोवियत संघ का शासन रहा है। इनमें से अंतिम के पतन के बाद, इसने स्वतंत्रता की घोषणा की।

विदेशी अन्तःक्षेत्र दक्षिण काकेशस क्षेत्र में स्थित है जो गैस पाइपलाइनों से घिरा हुआ है, और रूस, ईरान, तुर्की और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच तनाव का केंद्र है।

अर्मेनिया के प्रधानमंत्री ने रूस पर आरोप लगाया है - जिसके क्षेत्र में 2,000 शांति सैनिक तैनात हैं - नागोर्नो काराबाख की रक्षा करने में विफल रही है। रूस ने इस आरोप को खारिज कर दिया है।

तुर्की के प्रधानमंत्री रेचप एरदोगन जो अजरबैजान के एक प्रमुख सहयोगी हैं, सोमवार को अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव से मिले।

इस बीच, यूरोपीय संघ ने घोषणा की है कि वह आर्मेनिया, अजरबैजान, फ्रांस और जर्मनी के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की मेजबानी करेगा।

ख्रीस्तीय धरोहर

वर्ष 300 ईस्वी के आसपास, आर्मेनिया आधिकारिक तौर पर ख्रीस्तीय धर्म अपनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया।

यूरोपीय संसद और संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को दोनों ने विदेशी अन्तःक्षेत्र में ऐतिहासिक ख्रीस्तीय स्थलों के विनाश पर चिंता जताई है।

2020 में बीबीसी के साथ एक साक्षात्कार में, अजरबैजानी राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने यह सुझाव देते हुए कि गिरजाघरों को गलती से निशाना बनाया गया था, इस बात से इनकार किया था कि इसमें चिंता का कोई कारण है।

संत पापा फ्राँसिस ने 2016 में अर्मेनिया का दौरा किया था। इस साल की शुरुआत में, उन्होंने वाटिकन के राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन को नागोर्नो कराबाख की स्थिति के संबंध में अर्मेनियाई और अजरबैजानी दोनों अधिकारियों से मिलने के लिए क्षेत्र में भेजा था।

 

26 September 2023, 16:38