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संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में  (AFP or licensors)

संत पापाः चरनी का उद्भव और उसका अर्थ

संत पापा फ्रांसिस ने चरनी के प्रचलन पर अपने चिंतन व्यक्त किये।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्टम के सभागार में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

8 सौ साल पहले, 1223 के ख्रीस्त जयंती में संत फ्रांसिस ने ग्रेचो में एक सजीव चरनी का निर्माण किया था। चरऩी जिसे हम अपने घरों में इन दिनों बना रहे हैं या अन्य स्थानों में बना चुके हैं, हमारे लिए अच्छा होगा हम इसके प्रचलन पर विचार करें।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि इसका उद्भव कैसे हुआॽ इन शब्दों में हम संत फ्रांसिस के विचारों को पाते हैं, “मैं बेतलेहम में जन्मे बालक को प्रस्तुत करना चाहता हूँ, और अपनी आंखों से उनकी कठिनाइयों को देखना चाहता हूँ जहाँ वे एक बालक के रुप में अपने को, सारी चीजों के अभाव में पाते हैं- कैसे उन्हें चरनी में लिटा दिया गया और वे कैसे पुआल में बैल और गधों के बीच अपने हाथों को फैलाते हैं।” फ्रांसिस एक सुन्दर कलात्मक कार्य को प्रस्तुत नहीं करना चाहते हैं, बल्कि चरनी के दृश्य द्वारा वे ईश्वर की नम्रता से, उनकी कठिनाइयों से अपने को आश्चर्यचकित होने देना चाहते हैं, जो हमारे प्रेम के खातिर उन्हें बेतलेहम के निर्धन खोह में लाता है। वास्तव में, संत फ्रांसिस की जीवनी के लेखक इस बात पर गौर करते हैं, “उस मार्मिक दृश्य में सुसमाचार की सरलता चमकती है, दरिद्रता की प्रशंसा की जाती है, नम्रता को प्रोत्साहित किया जाता है। ग्रेचो अपने में एक नया बेतलेहेम बना जाता है। संत पापा ने आश्चर्य पर जोर देते हुए कहा कि यह हमारे लिए एक महत्वूपर्ण शब्द है। ख्रीस्तीयों के रुप में ख्रीस्त जयंती का दृश्य हमें आश्चर्यचकित करे और यदि ऐसा नहीं होता तो हम अपने विश्वास की गहराई तक नहीं पहुंचते हैं।

चरनी सरलता का विद्यालय

संत पापा ने कहा कि चरनी की एक विशेषता को हम सरलता के विद्यालय स्वरुप पाते हैं। यह हमें बहुत सारे संदेश देता है। आज, वास्तव में, हम अपने जीवन की महत्वपूर्ण चीजों के अर्थ को खो देते हैं और ठीक इसके विपरीत ख्रीस्त जयंती की मानसिकता बदल जाती है- हम अपने को भौतिकता में डूबा पाते हैं। उपहार देना हमारे लिए उचित है लेकिन इसके लिए खरीद बिक्री की धुन में खो जाना ख्रीस्त जयंती की सरलता को खो देता है जिसे हम चरनी में पाते हैं। हम अपने में आश्चर्य का अनुभव नहीं करते क्योंकि हम महोत्सव के धुन में डूबे रहते हैं।

चरनी का उद्देश्य- येसु की ओर लौटना

येसु के जन्म का दृश्य इसलिए बनाया गया जिससे हम उसकी ओर लौट सकें जो हमारे लिए जरूरी है- ईश्वर की ओर जो हमारे बीच निवास करने आते हैं। यही कारण है कि चरनी को देखना हमारे लिए जरुरी है क्योंकि यह जीवन की महत्वपूर्ण चीजों को समझने में हमें मदद करता है। हम येसु को सामाजिक संबंधों में पाते हैं, परिवार में, मरियम और योसेफ के संग, प्रियजनों और चरवाहों के बीच में। यहाँ हम लोगों को प्रथम स्थान में पाते हैं। वहीं बहुधा हम लोगों के बदले चीजों को पहले स्थान में रखते हैं। यह हमारे जीवन के लिए सहायक नहीं होता है। 

चरनीः सरलता और खुशी की निशानी

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि ग्रेचो का ख्रीस्त जयंती दृश्य केवल सरलता के बारे में नहीं कहता लेकिन यह खुशी को भी प्रकट करता है क्योंकि खुशी वह तथ्य है जो आनंद मनाने के भिन्न है। आनंद मनाना अपने में बुरा नहीं है यदि इसे सही तरीक से मनाया जाये, यह हमारे लिए मानवीय है। लेकिन खुशी उससे भी गहरी है जो अधिक मानवीय है। कई बार हम इस प्रलोभन में पड़ जाते हैं जहाँ हम आनंद मनाते हैं लेकिन हम अपने में सच्ची खुशी का अनुभव नहीं करते हैं, हम शोर-गुल तक सीमित होकर रह जाते हैं। यह हमारे लिए उस जोकर की भांति होता जो हमें हंसाता और खूब हंसाता है लेकिन उसके हृदय में उदासी है। खुशी की जड़ें हमें ख्रीस्त जंयती में आनंदित होने को अग्रसर करें। संत पापा ने इस खुशी की व्याख्या का जिक्र करते हुए कहा, जो कहती है, “और खुशी का दिन आया, आनंदित होने का समय... यह अपने में उदीप्त होने का समय है। लोग एक साथ जमा होकर आनंदित हुए जिसका अनुभव उन्होंने पहले कभी नहीं किया था। सभी अपने घरों को आनंद से सराबोर लौट गये।” यहां हम सरलता, आश्चर्य को पाते हैं जो हम में बनवटी नहीं बल्कि असल खुशी लाती है।

संत पापाः चरणी का उद्भाव और उसका अर्थ

खुशी येसु के स्पर्श में 

लेकिन ख्रीस्त जयंती में हमारे लिए खुशी कहाँ से आती हैॽ निश्चित ही घरों में उपहार लाने से नहीं और न ही खर्चीला उत्सव मनाने से ही। बल्कि यह खुशी हृदय से उत्पन्न होती है जहाँ कोई अपने को येसु की निकटता से स्पर्श होने देता है, ईश्वर की कोमलता से, जो हमें अकेला नहीं छोड़ते हैं लेकिन हमें सांत्वना देते हैं। निकटता, कोमलता और करूणा ये तीन ईश्वर के मनोभाव हैं। चरनी के सामने खड़ा होकर प्रार्थना करते हुए हम इनका अनुभव करते हैं जिसे येसु हमारे दैनिक जीवन में लाते हैं।

चरनी घरेलु सुसमाचार

प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त जयती का दृश्य एक छोटे कुएँ के समान है जहाँ से हम अपने लिए ईश्वर की निकटता, आशा और खुशी निकालते हैं। चरनी हमारे लिए सजीव, घरेलू सुसमाचार की भांति है। हम इसे धर्मग्रँथ के कुएँ स्वरूप पाते हैं जो मिलन स्थल बनता है, जहाँ हम येसु के पास अपने जीवन की आशाओं और चिंताओं के साथ आते हैं जैसे कि बेतलेहम के चरवाहों, ग्रेचो के लोगों ने किया। यदि ख्रीस्त जयंती के दृश्य के सम्मुख हम उन सारी चीजों को अर्पित करते जिन्हें हम अपने में धारण करते हैं तो हम भी एक महान खुशी का अनुभव करेंगे। एक खुशी जो हमारे लिए विशेष रुप से आश्चर्य में रहस्यमयी बातों पर मनन-चिंतन करने से आती है। हम ख्रीस्त जयंती के दृश्य के सामने खड़े हों और अपने हृदय को कुछ अनुभव करने दें। 

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20 December 2023, 12:48

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