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संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में  (AFP or licensors)

संत पापाः शैतान से वार्ता एकदम न करें

संत पापा फ्रांसिस ने गुण और अवगुण पर अपनी धर्मशिक्षा माला की एक नयी श्रृंखला शुरू की।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्टम के सभागार में जमा हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा- प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

आज मैं धर्मशिक्षा माला की एक नयी श्रृंखला की शुरूआत करूंगा जिसकी विषयवस्तु गुण और अवगुण है। हम इसकी शुरूआत बाईबल की पुस्तिका उत्पत्ति ग्रंथ से ही, पहले पुरखों की चर्चा करते हुए कर सकते हैं, जो हमारे लिए बुराई और प्रलोभन के आयाम का जिक्र करता है। स्वर्गीय सुखद जीवन के चित्रण, आदन वाटिका की प्रस्तुति में हम एक साँप को पाते हैं जो प्रलोभन की निशानी को व्यक्त करता है। साँप एक कपटी जन्तु है, उसकी चाल धीमी है, यह जमीन में रेंगता है और कई बार हम उसकी उपस्थिति को अनुभव भी नहीं करते हैं, क्योंकि यह वातावरण में अपने को अच्छी तरह शांतिमय तरीके से छुपाने में कामयाब होता है। यही कारण है यह हमारे लिए खतरनाक है।

सर्वशक्तिमत्ता का एहसास, एक प्रलोभन

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि जब वह आदम और हेवा से बातें करना शुरू करता है, तो हम एक वार्ता में उसे माहिर पाते हैं। वह इसकी शुरूआत दुष्टता पूर्ण गपशप से करते हुए एक दुर्भावनापूर्ण सवाल पूछता है,“क्या ईश्वर ने कहा है कि तुम किसी भी वृक्ष का फल नहीं खा सकते होॽ” हम इस वाक्यांश में झूठ को पाते हैं, वास्तव में, ईश्वर ने नर और नारी को वाटिका वृक्षों के सभी फलों को उन्हें दिया था, जिसमें वह विशिष्ट पेड़ भी शामिल था, जो भले और बुरे के ज्ञान का वृक्ष था। इस निषेध का उद्देश्य मनुष्य को तर्क का उपयोग करने से रोकना नहीं है, जैसा कि इसकी गलत व्याख्या की जाती है, बल्कि यह बुद्धिमत्ता का एक माध्यम है। यहाँ ऐसा लगता मानो यह कहा जा रहा हो, तुम अपनी सीमा को पहचानो, तुम यह न समझो की तुम सारी चीजों के स्वामी हो, क्योंकि घमंड सारे बुराई की जड़ होती है। इस भांति सृष्टि की कहानी हमें बतलाती है कि ईश्वर ने हमारे पहले पुरखों को सृष्टि का मालिक और रक्षक नियुक्त किया लेकिन उनकी चाह रही कि वे इस सोच से दूर रहें कि वे अपने में सर्वशक्तिमान हैं, जो उन्हें अच्छाई और बुराई का मालिक बनाता हो, जो अपने में एक प्रलोभन है। यह आज भी हमारे लिए एक बुरा प्रलोभन है। यह मानव हृदय के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।

मानव की सोच

संत पापा ने कहा कि जैसे हम जानते हैं कि आदम और हेवा साँप के प्रलोभन के सामने टिक नहीं पाते हैं। ईश्वर के बारे में उनका यह विचार कि वे उतने अच्छे नहीं हैं, वे उन्हें गुलाम बने रहने की चाह रखते हैं, वे उन्हें अपनी गुलामी में रखना चाहते हैं, ये सारी चीजें उनके दिमाग में पनपती हैं, और इस तरह सारी चीजें बिगड़ जाती हैं।

बुराई की शुरूआत

इस संदर्भ में, धर्मग्रंथ हमारे लिए इस बात की चर्चा करता है कि बुराई यह बतलाती है कि मनुष्य में बुराई शोर-शराबे से शुरू नहीं होती है, बल्कि यह अपने में बहुत पहले शुरू होती है, जब कोई इसके बारे में कल्पना करना शुरू करता है, उसे अपने विचारों और कल्पना में पोषित करता है और इस भांति अंततः उसके प्रलोभनों में फँस जाता है। हाबिल की हत्या पत्थर फेंकने से शुरू नहीं होती है, लेकिन यह द्वेष के कारण शुरू होती है जिसे काईन अपने हृदय में वहन करता है, जो उसे अपने अंदर एक रक्षक को जन्म देता है।

संत पापा का आमदर्शन समारोह - 27 दिसम्बर 2023

शैतान से बातें न करें

प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि हम शैतान से वार्ता न करें। हम उनके साथ कभी ऐसा न करें। वह अपने में चतुर और बुद्धिमान है। उन्होंने कहा कि येसु ने शैतान से कभी बातें नहीं की, बल्कि अपने से दूर हट जाने को कहा। मरूभूमि में अपनी परीक्षा की घड़ी में उन्होंने उनसे बातें करते हुए उसे जवाब नहीं दिया, बल्कि धर्मग्रंथ, ईश्वर के वचनों से उसका सामना किया। संत पापा ने पुनः सभों को सावधान करते हुए कहा,“आप सावधान रहें, शैतान अपने में चालाक है। आप उनसे बातें न करें क्योंकि वह हम सभों से चतुर है, यदि हम ऐसा करते तो हमें उसकी कीमत चुकानी होगी। प्रलोभन आने पर आप उससे बातें न करें। आप अपने द्वार बंद कर लें, अपनी खिड़की और अपना हृदय बंद कर लें। ऐसा करने के द्वारा हम अपने को उसके प्रलोभन से बचाये रखते हैं, क्योंकि वह शातिर औ कुटिल है। संत पापा ने कहा कि उसने येसु को धर्मग्रंथों के वचनों को हवाला देते हुए फुसलाने की कोशिश की। मरूभूमि में वह एक बड़ा ईशशास्त्री बना। लेकिन शैतान से कोई वार्ता नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि आप सभी इस बात को अच्छी तरह से समझें और सतर्क रहें। शैतान से वार्ता नहीं करने के द्वारा हम अपने को सभी प्रलोभनों से दूर रखते हैं। प्रलोभनों के आने पर आप अपने द्वार बंद कर लें। हमें अपने हृदय की रक्षा करनी है।

हृदय की रक्षा करें

हर किसी को चाहिए कि वह अपने हृदय की रक्षा करे। इसके लिए हमें चाहिए कि हम शैतान से बातचीत न करें। अपने हृदय की रक्षा हेतु बहुत से आचार्य, संतगण सुझाव देते हैं। अपने हृदय की रक्षा हेतु हमें सदैव इसकी रक्षा हेतु कृपा मांगने की जरुरत है। यह हमारी बुद्धिमत्ता है जिसके द्वारा हम अपने हृदय की रक्षा करते हैं। ईश्वर हमें अपने इस कार्य में मदद करें। संत पापा ने कहा कि जो अपने हृदय की रक्षा करता है वह एक निधि की रक्षा करता है। प्रिय भाइयो एवं बहनों हम अपने हृदय की रक्षा करना सीखें।

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27 December 2023, 13:17

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